कश्मीर को लेकर जब-जब चर्चाएं चलती हैं, बहस होती है या राजनीति में गरमाहट आती है तो समय की सुईयां पुन: 1947 की ओर घूम जाती हैं, और हम सबके अंतर्मन पर कुछ परिचित से नाम पुन: घूमने लगते हैं। इन नामों में सरदार वल्लभभाई पटेल, महाराजा हरिसिंह, पंडित जवाहरलाल नेहरू, शेख अब्दुल्ला, लियाकत अली, […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है
दिल्ली यूं तो अब से पूर्व कई विदेशी आक्रांता या बलात् अधिकार कर दिल्ली के सुल्तान बन बैठे शासकों के आतंक और अत्याचार का शिकार कई बार बन चुकी थी, पर इस बार का विदेशी आक्रांता और भी अधिक क्रूरता की वर्षा करने के लिए आ रहा था। हिंदू प्रतिरोध यद्यपि निरंतर जारी था, परंतु […]
1857 ई. की क्रांति की बात तो हमने सुनी है कि उस समय किस प्रकार क्रांति के विभिन्न केन्द्र देश में बन गये थे? इस रोमांचकारी घटना से भी हम लोग परिचित ना होते, यदि उसके विषय में स्वातंत्रय वीर सावरकर जैसे लोग हमें ना बताते कि यह विद्रोह नही, अपितु भारतीयों का स्वातंत्रय समर […]
नही हुआ था सीताजी का स्वयंवर
यह सामान्य धारणा है कि सीताजी का स्वयंवर हुआ था, और उन्होंने रामचंद्र जी को अपने लिए पति रूप में चुना। ऐसी ही धारणा द्रोपदी के लिए है कि उसने भी अपने स्वयंवर में अपने पति रूप में अर्जुन को अपने लिए चुना। इस आलेख में हम केवल सीताजी के कथित स्वयंवर तक ही सीमित […]
जब किसी मुस्लिम राजवंश का पतन होता था तो स्वाभाविक रूप से अंतिम समय के सुल्तानों का अपने शासन पर नियंत्रण शिथिल हो जाता था। शासन की इस शिथिलता का लाभ हमारे तत्कालीन हिंदू वीर अवश्य उठाते थे। यह क्रम 1206 ई. से लेकर अब तक (तुगलक वंश के अंतिम दिनों तक) यथावत चला आ […]
आतंकवाद भारत की ही नही अपितु आज विश्व की एक बड़ी समस्या बन चुका है। सही अर्थों में मानव समाज की यह बुराई मानव के दानवी स्वरूप की सनातन परंपरा का अधुनातन स्वरूप है। विश्व के पिछले दो हजार वर्ष के इतिहास को यदि उठाकर देखा जाये तो जिन लोगों ने ईसाईयत और इस्लाम के […]
‘क्या तुम्हें मिठाई नही दिखती’
भारत में घोटाले खुलते हैं और अनुसुलझे रहस्यों की भांति अतीत के गर्भ में समाहित हो जाते हैं। हत्याकांड सामने आते हैं और एक अनकहे से किस्से की भांति अदृश्य हो जाते हैं। समय तेजी से दौड़ता है। अगली घटनाएं घटित होती हैं, तो दस बीस पहले घटी घटना को मीडिया में परोसना बंद कर […]
सिमट गया साम्राज्य अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में सल्तनत साम्राज्य पर्याप्त विस्तार ले गया था, वह तुगलक काल में सिमटकर छोटा गया। अफगानिस्तान और आज के पाकिस्तान का बहुत बड़ा भाग, जम्मू कश्मीर, राजस्थान का बहुत बड़ा भाग, उत्तराखण्ड, नेपाल, भूटान, सिक्किम, बंगाल और सारा पूर्वाेत्तर भारत, उड़ीसा, तेलंगाना, आंध्र और कर्नाटक महाराष्ट्र से […]
महाभारत का एक श्लोक और हमारा संविधान
मनुष्य के लिए सबसे उत्तम संविधान क्या है? यह प्रश्न इस जगत के सृष्टा के हिरण्यगर्भ रूपी मानस में उस समय भी था जब कोई नही था और कोई था तो वह-“भूतस्य जात: पतिरेक आसीत” सभी भूतों (प्राणियों) का एक मात्र स्वामी ईश्वर था। तब उस ‘एक’ ने अपनी समस्त प्रजा के लिए (मानव मात्र […]
इस्लामी लेखकों की विश्वसनीयता?सल्तनत काल में मुस्लिम लेखकों को हर क्षण अपने प्राणों की चिंता रहती थी। सच कहने या लिखने पर उनकी आत्मा भी कांप उठती थी। क्योंकि वह अपने नायकों की क्रूरता से इतने भयभीत रहते थे कि पता नही कब किस बात पर उसका क्रोध उनके प्राण ले ले? वैसे भी मुस्लिम […]