Categories
संपादकीय

पर्रिकर का बड़बोलापन ठीक नही

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब से बांग्लादेश होकर आये हैं, तब से पाकिस्तानी नेताओं के पेट में अनावश्यक दर्द हो रहा है। म्यांमार में जो कुछ भी भारतीय सेना ने किया है उसे तो पाकिस्तान कतई नही पचा पा रहा है। पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि यदि भारत की ओर […]

Categories
संपादकीय

‘बाबा’ को लौटा दो उसकी पहचान

हिंदी विश्व की समृद्घतम संस्कृत भाषा की उत्तराधिकारिणी है। इसके एक-एक अक्षर का वैज्ञानिक अर्थ है। एक-एक शब्द कुछ ऐसा अर्थ रखता है जिसमें झलकती है-आत्मीयता और टपकता है-स्नेह रस। आज हम कुछ ऐसे शब्दों पर चर्चा करते हैं जो दिखाते हैं हमारे संबंधों को और जिनके कारण हम बंध जाते हैं प्रेम की डोर […]

Categories
संपादकीय

‘मोदीमय’ एक वर्ष और मोदी का लक्ष्य

‘मोदीराज’ का एक वर्ष पूर्ण हो रहा है। देश ने सही एक वर्ष पूर्व ऐतिहासिक निर्णय देकर नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुना था। सचमुच यह वह काल था जब देश चारों ओर से नेतृत्वविहीनता की स्थिति से जूझ रहा था। देश के भीतर की स्थिति हो या देश के बाहर की, आर्थिक मोर्चा हो […]

Categories
संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

तब हम बुद्घ के नही युद्घ के उपासक बन इतिहास बना रहे थे

जिस प्रकार कटेहर ने ताजुल मुल्क और उसके सुल्तान को आनंद की नींद नही सोने दिया और लगभग हर वर्ष कटेहर के स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए दिल्ली के सुल्तान को भारी सेना भेज-भेजकर अपनी विवशता का प्रदर्शन करना पड़ा। वही स्थिति दोआब ने भी सुल्तान के लिए बनाये रखी। पिछले पृष्ठों पर भी […]

Categories
संपादकीय

मोदी जी ! कश्मीर की अंधी लूट को रोको

जम्मू कश्मीर राज्य की भारत संघ में विशेष स्थिति है। यह एक पहाड़ी राज्य है। इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 92 प्रतिशत भाग पहाड़ी है। यहां की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर है, तो शीतकालीन राजधानी जम्मू है। इस राज्य का कुल क्षेत्रफल (पाकिस्तान तथा चीन द्वारा कब्जाए गये क्षेत्रफल सहित) 2, 22, 236 वर्ग किमी. है। […]

Categories
संपादकीय

यह लोकतंत्र नही, यह तो ‘शोकतंत्र’ है

लोकतंत्र को सभी शासन प्रणालियों में सर्वोत्तम शासन प्रणाली के रूप में दर्शित किया जाता है। वैसे लोकतंत्र का अर्थ लोक की लोक के द्वारा लोक के लिए अपनायी गयी शासन व्यवस्था है। जिसमें हमें अपने सर्वांगीण विकास के सभी अवसर उपलब्ध होते हैं। वेद ने ऐसी व्यवस्था को ‘स्वराज्यम्’ कहा है। अत: विश्व में […]

Categories
संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

कटेहर नरेश हरिसिंह ने मनवाया सुल्तानों सेे अपनी वीरता का लोहा

स्वतंत्रता, हमारी सांस्कृतिक धरोहर अग्नि का स्वाभाविक गुण (धर्म) जलाना है, इसलिए अग्नि से किसी को ये कहना नही पड़ता कि-‘हे, अग्निदेवता!  आप लकड़ी को जला डालो।’ इसके विपरीत बिना कहे अग्नि स्वयं ही लकड़ी को जला डालती है। इसी प्रकार भगवान की करूणा है, जिसे मांगा नही जाता। वह स्वयं ही हमें अपनी करूणा […]

Categories
संपादकीय

डा. स्वामी सच ही तो कह रहे हैं

‘मेरा भारत वो भारत है…जिसके पीछे संसार चला!’ ये शब्द निश्चय ही भारतवासियों के लिए गर्व करने योग्य हैं। पर आज भारत में कथित प्रगतिशील लोगों का एक  ऐसा वर्ग पनपा है, जो भारत को ‘गारत’ करने पर तुला है। उस वर्ग ने भारत की  परिभाषा, भाषा और आशा को ही परिवर्तित करने का बीड़ा […]

Categories
संपादकीय

शिवाजी हमारे नेतृत्व के लिए आज भी प्रेरक हैं

शिवाजी भारतीय राष्ट्रवाद के उन्नायक थे। उनके हर निर्णय और हर कार्य में राष्ट्रवाद झलकता था। अक्टूबर 1664 ई. में उन्होंने बीजापुर से खवासखान की सहायता के लिए आये बाजी घोर पड़े की सेना को परास्त कर भगा दिया था। बाजी घोरपड़े को अपने भी प्राण गंवाने पड़ गये। भारत का राष्ट्र निर्माता शिवाजी इस […]

Categories
संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

तुगलक वंश के अंतिम क्षणों तक सल्तनत को मिली हिंदू-चुनौती

हमारे दुर्भाग्य का दु:खद पहलू हम भारतीयों के दुर्भाग्य का सबसे दु:खद पहलू यह है कि हमारे देश का प्रचलित इतिहास इस देश की माटी से हमें नही जोड़ता। विदेशी इतिहासकारों ने इस पावन देश की पावन माटी से किसका संबंध है, यह प्रश्न भी उलझा दिया है-ये कह कर कि यहां जो भी लोग […]

Exit mobile version