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संपादकीय

मोदी जी! बचके रहना रे बाबा….

जो लोग सुनने से पहले अपना निर्णय सुनाने के अभ्यासी होते हैं, वे अच्छे न्यायाधीश और अच्छे वात्र्ताकार नही हो सकते। अच्छा न्यायाधीश और वात्र्ताकार बनने के लिए आपके भीतर दूसरे को सुनने का असीम धैर्य होना चाहिए। सुनवाई का अवसर न्यायालयों में हर पक्षकार को इसीलिए दिया जाता है कि किसी भी पक्षकार को […]

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संपादकीय

जयराम और जय जय राम

एक समय था जब राजनीतिक लोगों की झलक पाने के लिए लोग आतुर रहा करते थे। बड़ी मुश्किल से लोगों की अपने नेताओं और जनप्रतिनिधियों से नजदीकियां विकसित हो पाती थीं। नेता के लिए सब अपने होते थे और कोई अपना नही होता था। इसलिए नेता सबके प्रति समानता का भाव बरतते थे, वह अपने […]

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संपादकीय

बापू ने कहा -‘करो या मरो’

महात्मा गांधी की अहिंसा को लेकर आरंभ से ही वाद विवाद रहा है। इसमें कोई संदेह नही कि अहिंसा भारतीय संस्कृति का प्राणातत्व है। पर यह प्राणतत्व दूसरे प्राणियों की जीवन रक्षा के लिए हमारी ओर से दी गयी एक ऐसी गारंटी का नाम है, जिससे सब एक दूसरे के जीवन की रक्षा के संकल्प […]

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संपादकीय

भाजपा, नैतिकता और गोविन्दाचार्य

भाजपा जब अस्तित्व में आयी थी तो इसने ‘पार्टी विद डिफरेंस’ का नारा दिया था। उसका अभिप्राय लोगों ने यह लगाया था कि यह पार्टी अन्य पार्टियों की राह को न पकडक़र राजनीति में अपना रास्ता अपने आप बनाएगी और वह रास्ता ऐसा होगा जो अन्य पार्टियों के लिए और इस देश की भविष्य की […]

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भाजपा, नैतिकता और गोविन्दाचार्य

भाजपा जब अस्तित्व में आयी थी तो इसने ‘पार्टी विद डिफरेंस’ का नारा दिया था। उसका अभिप्राय लोगों ने यह लगाया था कि यह पार्टी अन्य पार्टियों की राह को न पकडक़र राजनीति में अपना रास्ता अपने आप बनाएगी और वह रास्ता ऐसा होगा जो अन्य पार्टियों के लिए और इस देश की भविष्य की […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

मोहम्मद गोरी को हराने वाली रानी नायका और राजा भीमदेव

शाहिद रहीम अपनी पुस्तक ‘संस्कृति और संक्रमण’ के पृष्ठ 243 पर लिखते हैं- ‘1026 ई. से 1174 ई. तक की डेढ़ शताब्दी में कोई आक्रमण (भारत पर) नहीं हुआ। लेकिन संक्रमण के राजनीतिक प्रभाव से स्थिति इतनी दुरूह हो गयी कि संपूर्ण भौगोलिक क्षमता को आधार बनाकर कोई केन्द्रीय सत्ता स्थापित न हो सकी। धरती […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

मोहम्मद गोरी को हराने वाली रानी नायका और राजा भीमदेव

शाहिद रहीम अपनी पुस्तक ‘संस्कृति और संक्रमण’ के पृष्ठ 243 पर लिखते हैं- ‘1026 ई. से 1174 ई. तक की डेढ़ शताब्दी में कोई आक्रमण (भारत पर) नहीं हुआ। लेकिन संक्रमण के राजनीतिक प्रभाव से स्थिति इतनी दुरूह हो गयी कि संपूर्ण भौगोलिक क्षमता को आधार बनाकर कोई केन्द्रीय सत्ता स्थापित न हो सकी। धरती […]

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संपादकीय

लड़ाई पूरे पाकिस्तान को लेने की है

पाकिस्तान इस्लाम की ‘दारूल इस्लाम और दारूल हरब’ की मूल सोच का परिणाम था जिसे जिन्नाह ने हवा दी और करोड़ों मुस्लिमों ने उसकी आवाज पर पाकिस्तान जाने का निर्णय ले लिया। यदि जिन्नाह पाकिस्तान का निर्माता और भारत का विभाजक नही था और मुसलमानों ने भारत में सदा इस देश की संस्कृति में, इतिहास […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

पानीपत ने इब्राहीम को विदा कर बाबर को सत्ता सौंप दी

इब्राहीम लोदी का शासन भारत में 1517 ई. से 1526 ई. तक रहा। उसके काल में भी विद्रोहों की हिन्दू परंपरा पूर्ववत निरंतर जारी रही। जब वह सुल्तान बना था तो उसे अपने ही लोगों से सत्ताच्युत करने की चुनौती मिली। फलस्वरूप सल्तनत में गृहयुद्घ की भी स्थिति उत्पन्न हो गयी। उसी के भाई शहजादा […]

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संपादकीय

वास्तविक बंधुता कब स्थापित होगी?

जब तक एक मत अर्थात हम सब राष्ट्रवासी एक सी मति वाले और विचार वाले न हो जाएं, तब तक हमारी गति की दिशा सही नही होगी। एक जैसी मति ही सही गति का निर्धारण करती है। इसीलिए महर्षि दयानंद का विचार था कि जब तक एक मत, एक हानि-लाभ एक सुख दुख परस्पर न […]

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