महर्षि दयानंद का मत जिन लोगों ने विदेशियों का अंधानुकरण करते-करते स्वदेश और स्वदेशी की भावना को अपने लिए अपमानजनक समझकर उसे कोसना आरंभ किया, उन लोगों को देखकर महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज को असीम पीड़ा हुआ करती थी। उन्होंने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ समुल्लास-11 में लिखा है- ‘‘अपने देश की प्रशंसा वा पूर्वजों की बड़ाई […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
भारत स्वतंत्र हुआ
14 अगस्त सन 1947 ई. को पाकिस्तान नामक एक नये राष्ट्र ने जन्म लिया। जबकि 15 अगस्त सन 1947 ई. को भारत स्वतंत्र किया गया। इस प्रकार माउंटबेटन ने अंग्रेजी साम्राज्य की उस परंपरा का भारत के संदर्भ में भी पूर्ण निर्वाह किया जिसके वह आज तक अपने प्रत्येक उपनिवेश को विभाजित करके ही वहां […]
राहुल ने बनाया देश का ‘आउल’
बीते बुधवार को जब शिव चतुर्दशी पर लोग जलाभिषेक कर रहे थे, तब देश की संसद में सुषमा स्वराज राहुल गांधी को ‘धो’ रही थीं। सचमुच संसद में बुधवार वित्तमंत्री अरूण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम रहा। कांग्रेस की ओर से वही हुआ जिसकी आशंका थी कि इसकी ओर से सत्तापक्ष पर […]
भारत की असफल विदेश नीति और चीन-भाग-दो
इस समझौते में यद्यपि चीन ने भी तिब्बत के बदले में सिक्किम को भारत का अंग मान लिया, किन्तु यह भी ध्यान देने योग्य तथ्य है कि सिक्किम महाभारत काल से ही भारत का अंग रहा है। अंग्रेजों ने इस पहाड़ी प्रान्त को भारत से अलग करके दिखाने का प्रयास किया था। यह उनकी कूटनीतिक […]
भारत की असफल विदेश नीति और चीन
चीन का नाम आते ही एक ऐसे राष्ट्र की छवि उभरती है जो दीखने में तो अत्यंत सरल है किन्तु वास्तव में बहुत भयावह सोच वाला है। भारत की सरकारें स्वतंत्रता के पश्चात से पाकिस्तान की अपेक्षा चीन को अपने निकट अधिक मानती आयी हैं। भारतीय विदेश नीति का यह असफ ल पहलू है कि […]
धर्मांतरण और हिंदूवादी संगठन
धर्मपरिवर्तन इस देश की सदियों पुरानी बीमारी है। सल्तनत काल में या मुगल काल में जब धर्मपरिवर्तन होता था तो उस समय सीधे-सीधे इसका कारण इस्लामिक दबाव होता था। ईसाइयत ने धर्मांतरण के दूसरे पैमाने माने हैं। उसने जहां धर्मांतरण बलात् रूप में किये हैं, वहीं लोगों की अशिक्षा और निर्धनता का लाभ उठाकर उन्हें […]
गोधन विकास पर राजनाथ सिंह बोले….
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने देश में गोधन विकास के लिए गंभीर और ठोस बात कही है। श्री सिंह ने कहा है कि गोधन विकास और गोवध निषेध को मुगल बादशाह भी इस देश पर शासन करने के लिए आवश्यक मानते थे। जबकि अंग्रेजों ने इस ओर पूर्णत: उपेक्षा भाव का प्रदर्शन किया। इस प्रकार […]
‘कश्मीरी पंडित’ का वास्तविक अर्थ कश्मीर को पंडितों की भूमि कहा जाता है। पंडित का अर्थ यहां किसी जाति विशेष से न होकर विद्घानों से है। कश्मीर सदा से ही ऋषियों की तप: स्थली रहा है। यहां लोग लोक-परलोक को सुधारने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए आत्मसाधना हेतु जाया करते थे। इसलिए ऐसे आत्म […]
पूर्णत: धर्मांध था तैमूर लंगतैमूर लंग ने भारत पर 1398 ई. में आक्रमण किया। इस विदेशी आततायी का उद्देश्य भी भारत के धर्म और संस्कृति को मिटाकर यहां इस्लाम का झण्डा फहराना था। इसमें कोई दो मत नही कि हिंदुओं के प्रति तैमूर अत्यंत क्रूर था। उसकी क्रूरता को सभी इतिहासकारों ने स्वीकार किया है, […]
कांग्रेस का बेअसर नेतृत्व
मोदी सरकार के विरूद्घ कांग्रेस ने मोर्चा खोल रखा है। विरोध लोकतंत्र में आवश्यक होता है पर उसकी अपनी सीमाएं हैं। सकारात्मक विरोध सरकार के लिए नकेल का काम करता है, और उसे स्वेच्छाचारी बनने से रोकता है। स्वेच्छाचारिता लोकतंत्र को प्रतिबंधित और संकीर्ण करती है। लोकतंत्र में यह दुर्गुण प्रविष्ट न होने पाये, इसलिए […]