Categories
संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

वैद्यराज श्री भट्ट के प्रयासों से कश्मीर फिर से बन गया था स्वर्ग

सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविता ‘जलियांवाले बाग में बसंत’ में लिखा है :- ‘‘यहां कोकिला नही, काक हंै शोर मचाते।काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।।कलियां भी अधखिली मिली हैं कंटक कुल से।वे पौधे, वे पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।।परिमल हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,हा यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा […]

Categories
संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हिन्दुओं को मिले तीन विकल्प-इस्लाम, मृत्यु, कश्मीर छोड़ो

कश्मीर का सुल्तान सिकंदरकश्मीर दुर्भाग्य और दुर्दिनों से जूझ रहा था। धर्म नष्ट हो रहा था, और ‘दीन’ फैलता जा रहा था। अंधेरा गहराता जा रहा था, और दूर होने का नाम नही लेता था। इसी काल में कश्मीर का सुल्तान सिकंदर बन गया। इसने अपनी उपाधि ही ‘बुतशिकन’ (मूर्ति तोडऩे वाला) की रख छोड़ी […]

Categories
संपादकीय

श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी का संदेश-भाग-3

हस्तिनापुर के राजघराने का इतिहास उस काल के भारतवर्ष का इतिहास है। यदि यह सत्य है कि भारतवर्ष का ‘भारत’ नाम (?) इसी वंश के पूर्वज राजा भरत के नाम पर पड़ा और यह राजघराना भारतवर्ष की चरमोन्नति का ध्वजवाहक रहा तो यह भी निर्विवाद रूप से सत्य है कि इसी परिवार के कृत्यों से […]

Categories
संपादकीय

श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी का संदेश-2

नंद के घर में उन्होंने प्रवेश किया और वहां से उनकी नवजात लडक़ी को उठाकर उसके स्थान पर अपने नवजात शिशु को सुलाकर जल्दी ही मथुरा की ओर लौट पड़े। घनघोर वर्षा से यमुना का जल प्रवाह अत्यंत तीव्र था, वसुदेव के लिए संतान की रक्षा का उत्तरदायित्व इस समय सर्वोपरि था। वसुदेव के उत्साह […]

Categories
संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

स्थानीय हिन्दू शासक भी लड़ते रहे अपना स्वतंत्रता संग्राम

सिकंदर लोदी बना सुल्तान बहलोल लोदी की मृत्यु जुलाई 1489 ई. में हो गयी थी। तब उसके पश्चात दिल्ली का सुल्तान उसका पुत्र निजाम खां सिकंदर दिल्ली का सुल्तान बना। उस समय दिल्ली सल्तनत कोई विशेष बलशाली सल्तनत नही रह गयी थी। उसके विरूद्घ नित विद्रोह हो रहे थे और सुल्तानों की सारी शक्ति उन […]

Categories
संपादकीय

श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी का संदेश

श्रीराम और श्रीकृष्ण भारतीय सांस्कृतिक गगन मण्डल के ऐसे आप्त पुरूष हैं जिन्हें उसका सूर्य और चंद्रमा कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है। समसामयिक पारिस्थितिक घटनाक्रम के अंतर्गत दोनों ही व्यक्तियों का अपना-अपना सहयोग और कार्य अविस्मरणीय है, अनूठा है, अनुपम है और अद्वितीय है। इस लेखमाला में इन दो व्यक्तियों में से जिसका वर्णन किया […]

Categories
संपादकीय

‘वन रैंक-वन पैंशन’ की मांग

हम शांति पाठ करते समय ‘ओ३म् द्यौ: शांतिरंतरिक्षं शांति : पृथिवी:….’ के मंत्र से द्यौलोक से लेकर पृथ्वी तक और जलादि प्राकृतिक पदार्थों से लेकर वनस्पति जगत तक में शांति शांति भासने का वर्णन करते हैं, और अंत में इन सबमें व्याप्त इस शांति के लिए प्रार्थना करते हैं कि यही शांति मुझे भी प्राप्त […]

Categories
संपादकीय

गीता प्रेस के लिए प्राणसंकट?

विश्व को ज्ञान विज्ञान का मार्ग दिखाने वाले ‘विश्वगुरू’ भारत के विषय में आज का सच यह है कि यहां हिंदी पुस्तकों के पाठक अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम हैं। देहात में अशिक्षा अधिक है, जो लोगों को पुस्तकों से दूर करती है तो शहरों में हर वस्तु के प्रति व्यक्ति के दृष्टिकोण में […]

Categories
संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अत्याचारों की करूण गाथा के उस काल में भी आशा जीवित रही

सिकंदर के शासन काल में हिंदुओं की स्थिति कश्मीर में सिकंदर का शासन और हिंदुओं की स्थिति इस प्रकार थी कि सिकंदर का शासन मानो खौलते हुए तेल का कड़ाह था और हिंदू उसमें तला जाने वाला पकौड़ा। ऐसी अवस्था में बड़ी क्रूरता से हिंदुओं से जजिया वसूल किया जाता था। जजिया को जोनराज ने […]

Categories
संपादकीय

जनसांख्यिकीय आंकड़े और मुसलमान

भारत में साम्प्रदायिक आधार पर जनसांख्यिकीय आंकड़े जारी कर दिये गये हैं। जिनके अनुसार देश की कुल जनसंख्या का 79.8 प्रतिशत हिंदू हैं। 14.2 प्रतिशत मुसलमान हैं। 2.3 प्रतिशत ईसाई हैं, 1.7 प्रतिशत सिख हैं, 0.4 प्रतिशत जैन और 0.7 प्रतिशत अन्य लोग हैं। इसके अतिरिक्त 0.2 प्रतिशत लोग देश में ऐसे भी हैं, जिन्होंने […]

Exit mobile version