जब देश के सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में आर्य समाज अपना बिगुल फूंककर भारत की बलिदानी परंपरा की धार को पैना कर रहा था, उसी समय भारत में एक और घटना भी आकार ले रही थी जो भविष्य की कई संभावनाओं को जन्म देने की सामथ्र्य रखती थी। ब्रिटिश काल में हिंदू समाज को अपने […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
स्वाध्याय से दूर होता युवा वर्ग
स्वाध्याय बहुत ही मूल्यवान है। समाज में सामान्यत: स्वाध्याय का अर्थ अच्छी पुस्तकों को पढऩा माना जाता है। किन्तु स्वाध्याय केवल अच्छी पुस्तकों का अध्ययन मात्र ही नहीं है। स्व+अध्याय=अपने आप का अध्ययन=अपने आपको पढऩा, समझना। अपने विषय में ही यह जानना कि मैं क्या हूँ, कौन हँ, कहाँ से आया हूँ, कहाँ जा रहा […]
संस्कृत भाषा और हमारे प्रधानमंत्री
डा. विष्णुकांत शास्त्री भारतीय संस्कृति के विषय में लिखते हैं :-‘‘जीवन को सुसंस्कृत करते रहने के तीन साधन हमारे पूर्वजों ने बताये हैं। गुणाधान (गुणों को अर्जित करना) दोषापनयन (दोषों को दूर करना) और हीनांगपूत्र्ति (सतकर्म के लिए अन्य लोगों से सहायता साधन-आवश्यक अवयव प्राप्त करना)। ऋग्वेद की ही उक्ति है-‘‘आ नो भद्रा : क्रतवो […]
बिहार का चुनावी परिदृश्य
बिहार विधानसभा के चुनावों की घोषणा कर दी गयी है। ये चुनाव आगामी 12 अक्टूबर से 5 नवंबर तक संपन्न होंगे। जबकि 8 नवंबर को वोटों की गिनती की जाएगी और दोपहर तक यह स्पष्ट हो जाएगा कि अगले 5 वर्ष के लिए बिहार पर शासन किसको होगा? इस चुनावी महासमर की घोषणा होते ही […]
गाय पर कुरान और इस्लाम
जिन लोगों ने इस देश में हिंदू मुस्लिमों के मध्य घृणा का परिवेश बनाकर एक दूसरे को साम्प्रदायिक पालों में खड़ा करने का प्रयास किया है, इस देश के वास्तविक शत्रु वही हैं। इस्लाम की व्याख्या करने वालों ने अपने लिये हिंदू समाज की धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के विपरीत चलना ही उचित माना। कहने […]
कहां गये देश के वे राजनेता?
आज भारत की राजनीति जिस दौर में प्रविष्ट हो चुकी है, उसे देखकर दुख होता है। कभी-कभी तो राजनीतिज्ञों के व्यवहार और कार्यशैली को देखकर ऐसा लगता है कि देश में राजनीतिक विरोध को व्यक्तिगत विरोध में परिवर्तित कर देश के नेता देश में लोकतंत्र की ही हत्या करने जा रहे हैं। ऐसा नही है […]
श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी का संदेश-भाग-5
बलराम, कृतवर्मा, सात्यकि जैसे लोग भी मूर्खता व धूर्तता का व्यवहार करने लगे। यह कलहपूर्ण व्यवहार बढ़ा और बढक़र झगड़े का रूप धारण कर गया। इस झगड़े में सारे यादव कट-कटकर परस्पर मर गये। श्रीकृष्ण और बलराम इस घटनाक्रम से दु:खी होकर वन में तपस्या करने चले। बलराम द्वारा ब्रह्मरंध्र से बाहर निकालकर प्राण त्याग […]
श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी का संदेश-भाग-4
इस नियुक्ति का शिशुपाल ने उद्दण्डता पूर्वक विरोध् किया। उसके विरोध् को शांत करने का भीष्म पितामह और अन्य सभी महानुभावों ने प्रयास किया। कृष्ण शांतमना सारा दृश्य देखते और झेलते रहे। अंत में जब शिशुपाल उनका वध् करने भागा तो कृष्ण जी के द्वारा उसी का वध् कर दिया गया। उसके पश्चात् वह यज्ञ […]
दिल्ली के प्रसिद्घ सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया ने कहा था-‘‘कुछ हिंदू जानते हैं किइस्लाम सच्चा धर्म है पर वे इस्लाम कबूल नही करते….भयभीत होने के उपरांत भी हिंदुओं नेअपने दिलों से इस्लाम को वैसे ही निकाल फेंका है जैसे आटा गूंथते समय उसमें पड़ गये बालको निकाल दिया जाता है।’’निजामुद्दीन औलिया जैसे सूफी संतों […]
सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविता ‘जलियांवाले बाग में बसंत’ में लिखा है :- ‘‘यहां कोकिला नही, काक हंै शोर मचाते।काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।।कलियां भी अधखिली मिली हैं कंटक कुल से।वे पौधे, वे पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।।परिमल हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,हा यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा […]