भारतीय समाज में सामान्यतया जनसाधारण को यह कहते हुए सुना जाता है कि जर, जोरू और जमीन पर तो विश्व हमेशा से लड़ता आया है। हम विचार करें कि यह कथन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के संदर्भ में कितना प्रासंगिक और सार्थक है? गहराई से पड़ताल की जाए तो ज्ञात होता है कि इस जर, जोरू […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
राष्ट्रदेव की पूजा करो
हमारे हिन्दू समाज में तैंतीस करोड़ देवों की कल्पना की गयी है। विद्वानों की अपनी-अपनी व्याख्याएं इस विषय में उपलब्ध हैं। हमें इस प्रकरण में प्रचलित व्याख्याओं का उल्लेख यहां विषयांतर के कारण नहीं करना है। आज हमें देवों के भी देव की आराधना करनी है, उसी की उपासना करनी है उसी की आरती उतारनी […]
भारत में आज न्यायालयों में करोड़ों वाद लंबित हैं। सस्ता और सुलभ न्याय देना सरकारी नीतियों का एक अंग है। किंतु यथार्थ में न्याय इस देश में इतना महंगा और देर से मिलने वाला हो गया है कि कई बार तो न्याय प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भी वह न्याय भी अन्याय सा प्रतीत होने […]
जब आप किसी के लिए कुछ कहते हैं तो समझ लीजिए कि आपके कहे की वह प्रतिक्रिया अवश्य करेगा। ऐसा हो ही नहीं सकता कि आप कुछ कहें और आगे वाले की ओर से कुछ भी प्रतिक्रिया ना हो। आगे वाले की प्रतिक्रिया हमारे लिए कर्णप्रिय और हृदय को प्रफुल्लित करने वाली हो-इसके लिए आवश्यक […]
……कितना बदल गया इंसान
रामचंद्रजी पिता की पीड़ा को देखकर माता कैकेयी से पूछ लेते हैं कि ”माते! मेरे राजतिलक होने के पश्चात से पिताजी इतने व्यथित क्यों हैं?” माता कैकेयी रामचंद्रजी को सारा वृतांत सुना देती है, और कह देती है कि मुझे दिये वचनों से वह लौट नहीं सकते और तुम्हें राजतिलक करके अब तुमसे वनगमन के […]
कवि की कविता की विशेषता कवि क्रान्तदर्शी होता है। कवि की कल्पना व्योम को भी पार कर जाती है और पत्थर को भी तोड़ जाती है। यह देखा जाता है कि जिस बात को सुनकर कोई व्यक्ति क्रोधित हो सकता है, वही व्यक्ति गद्य में उस बात को जब पद्यात्मक शैली में सुनता है, तो […]
पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-44
रोग पीडि़त विश्व के संताप सब हरते रहें गतांक से आगे….. हमारे पूर्वज ऋषियों ने जीवन के पम लक्ष्य मोक्ष को पाने के लिए वेद की उपरोक्त आज्ञा का पालन करते हुए संगम तट पर शांत एकांत स्थानों का और अपनी झोंपडिय़ों का निर्माण किया था। जिनमें वह बैठकर जीवन की साधना करते थे और […]
….अन्यथा लोकतंत्र मर जाएगा
लोकतंत्र में विपक्ष का होना अनिवार्य है। इसका कारण ये है कि लोकतंत्र लोकहित के लिए तभी स्वस्थ कार्य कर सकता है जब शासक वर्ग की नीतियों में कमी निकालने वाला भी उसी के साथ बैठा हो। राजतंत्र में कभी चाटुकार राजदरबारी हुआ करते थे, जो अपने राजा की हां में हां मिलाने वाले होते […]
मुसलमानों में तीन तलाक की परम्परा उतनी ही पुरानी है जितना पुराना इस्लाम है। इस्लाम के प्रगतिशील उदार और मानवतावादी विद्वानों का मत है कि वैवाहिक जीवन को तोडऩे का अधिकार इस्लाम में ना केवल पति को प्राप्त है अपितु पत्नी को भी प्राप्त है। यदि कोई पति अपनी पत्नी पर अत्याचार करता है और […]
नितिन गडकरी जी से
मान्यवर, गडकरी जी, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में आप केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री के जिस महत्वपूर्ण मंत्रालय को देख रहे हैं वह सीधे जनता से जुड़ा हुआ मंत्रालय है। प्रधानमंत्री मोदी और आप जैसे उनके विश्वसनीय मंत्री इस समय भ्रष्टाचार के समूलोच्छेदन के लिए कमर कसे हुए हैं। उसके कुछ अच्छे परिणाम […]