आज का अमेरिका पहले वाला अमेरिका नहीं है। एक समय था जब अमेरिका भारत को संदेह की दृष्टि से देखता था और इसका कारण यह था कि वह हमें रूस का पिछलग्गू माना करता था। यद्यपि भारत ने अपनी ओर से अमेरिका को ऐसा विश्वास दिलाने का हरसंभव प्रयास किया था कि वह विश्व की […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
भारत के छात्रों की राजनीति एक बार फिर गरमा रही है। जे.एन.यू. में कुछ दिनों पूर्व जो कुछ देखने को मिला था अब कुछ वैसा ही डी.यू. में देखने को मिला है-जहां कुछ छात्रों ने देशविरोधी नारे लगाये हैं, जिसका ए.बी.वी.पी. ने विरोध किया है। कम्युनिस्ट दलों के नेताओं सहित सभी धर्मनिरपेक्ष दलों ने न्यूनाधिक […]
कब्रिस्तान और श्मशान की राजनीति
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के चलते राजनीतिज्ञों की ओर से मतदाताओं को लुभाने हेतु कई प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया गया है। बेचारेे सीधे-सीधे तो संप्रदाय या जाति के आधार पर वोट मांग नहीं सकते। अत: घुमा-फिराकर अपनी बात को कहने के लिए शब्दों को ढूंढऩे का प्रयास हमारे राजनीतिज्ञ करते दिखाई दिये […]
ये षडय़ंत्रकारी मिथक भी अब टूटना चाहिए कि भूमि को लेकर विश्व लड़ता आया है। इसके स्थान पर भारतीय संस्कृति की यह क्षात्र-परम्परा अब पुन: प्रतिष्ठित हो कि दूसरों की भूमि को लेकर हड़पना, उन पर अपना वर्चस्व स्थापित करना दुष्टता है, जिसके विरोध में हम सदा युद्घ करते आये हैं और करते रहेंगे। संक्षेप […]
बी.एम.सी. चुनाव परिणामों से पूर्व शिवसेना काफी उत्साहित थी। शिवसेना का आत्मविश्वास बताा रहा था कि नोटबंदी से परेशान हुए लोग मोदी सरकार को दण्ड अवश्य देंगे और वह दण्ड शिवसेना के स्वयं के लिए पुरस्कार बन जाएगा, जिससे वह बी.एम.सी. में अपना बहुमत प्राप्त करने में सफल होगी। इसी भ्रांति के कारण शिवसेना ने भाजपा […]
महाराष्ट्र की जनता का अभिनंदन
महाराष्ट्र की जनता ने राष्ट्रवाद बनाम छद्म धर्मनिरपेक्षतावाद के बीच स्पष्ट अंतर करने वाला जनादेश देकर भाजपा को वहां की नगर पालिकाओं/महानगरपालिका में शानदार सफलता प्रदान की है। महाराष्ट्र की जनता के इस परिपक्व निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि वह अपने राष्ट्रवादी नेतृत्व के साथ कई प्रकार के भौतिक और मानसिक कष्ट झेल […]
अनन्त अंतरिक्ष की संभावनाएं और वेद
अंतरिक्ष अनंत है, और जितना अंतरिक्ष अनंत है-उतना ही वेद ज्ञान अनंत है। अनंत ही अनंत का मित्र हो सकता है। जो सीमाओं से युक्त है, सीमाओं में बंधा है, ससीम है, वही सांत है, उसके ज्ञान की अपनी सीमाएं हैं, परंतु ईश्वर ने हमें ‘मन’ नाम का एक ऐसा कंप्यूटर दिया है, जिसकी शक्तियां […]
यह धारणा भी इण्डो अरब संस्कृति के कथित उपासकों की इस काल्पनिक संस्कृति की परिचायक है। यदि वास्तव में यह मान लिया जाए कि संसार में जितने भी युद्घ हुए हैं वे सभी अपने-अपने वर्चस्व की स्थापना के लिए हुए हैं और ऐसा तो होता ही आया है और होता भी रहेगा, तो परिणाम क्या […]
इस्लाम की व्यवस्था देखिये इस्लाम में स्पष्ट व्यवस्था है-”ऐसी औरतें जिनका खाविन्द (पति) जिंदा है, उनको लेना हराम है, मगर जो कैद होकर तुम्हारे साथ लगी हों उनके लिए तुम्हें खुदा का हुक्म है और उनके सिवाय भी अन्य दूसरी सब औरतें हलाल हैं, जिनको तुम माल अस्वाब देकर कैद से लाना चाहो, न कि […]
मुस्लिम मतों का साम्प्रदायिकीकरण
भारत की राजनीति में मुसलमानों को केवल ‘वोट बैंक’ के रूप में प्रयोग करते रहने की परंपरा कांग्रेस ने डाली थी। 1947 में जो मुसलमान भारत में रह गये थे-उनमें से अधिकांश के भीतर एक भय व्याप्त था कि पाकिस्तान की मांग मजहब के आधार पर की गयी थी-जिसे 1945-46 में हुए नेशनल असेम्बली के […]