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संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-8

ऐसा कब होता है? जब कत्र्तव्य बोध से लेाग च्युत हो जाते हैं और जब राष्ट्रबोध से लोग विमुख हो जाते हैं, तब ‘कमीशन’ और ‘पैसा’ कर्तव्य बोध और राष्ट्रबोध को भी लील जाता है। आज हमें यही  ‘कमीशन’ और पैसा हमें लील रहा है। प्राकृतिक प्रकोप हमारी अपनी बदलती प्रकृति और प्रवृत्ति के परिणाम […]

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संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-7

उसे हर प्रकार के शोषण से लडऩे और उसे उजागर करने के लिए प्रेरित किया जाता, राष्ट्र के नितांत ईमानदार और राष्ट्रसेवी आचार्य उसके भीतर की छिपी हुई मानवीय शक्तियों और प्रतिभाओं को सही दिशा और दशा प्रदान करते तो यह राष्ट्र अब तक स्वर्ग सम बन गया होता। इसमें दो मत नही हो सकते। […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अमरसिंह राठौड़ के शव को उठाकर ले जाने वाला बल्लूजी चाम्पावत

हमारे इतिहास की पहचान किसी कवि ने ईश्वर के विषय में कहा है :- तू दिल में तो आता है, समझ में नही आता। मालूम हुआ बस तेरी पहचान यही है।। ….और हम अपने इतिहास के विषय में भी यही समझ सकते हैं। आपको अधिकांश लोग अपने इतिहास के और अपने राजा-महाराजाओं के रोमांचकारी किस्से-कहानी […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-55

लाभकारी हो हवन हर जीवधारी के लिए ज्ञान पूर्वक का अर्थ है कि इसमें किसी प्रकार का अज्ञानान्धकार, पाखण्ड, ढोंग या अंधविश्वास ना हो। हम सारी क्रियाओं का रहस्य समझते हुए उन्हें पूर्ण करें। ‘ओ३म् देव सवित:……’ मंत्र के माध्यम से हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे सर्वान्तर्यामिन परमेश्वर! आप हमारी समस्त त्रुटियों […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-6

उत्तराखण्ड के भूकंप के समय और गुजरात के भूकंप के समय मेरे मित्रों ने (जो या तो वहां गये या किसी भी प्रकार से निकटता से जुड़े रहे) मुझे बताया कि नकद धनराशि बहुत कमी के साथ उन लोगों तक पहुंच पाती है जिनके लिए वह भेजी जाती है। उसका अधिकांश भाग तो अधिकारियों के […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-5

परिस्थिति के निर्माता हम स्वयं वास्तव में सारी परिस्थितियों के हम स्वयं ही निर्माता हैं। परिस्थितियों को हम ही बनाते हैं, परिस्थितियां हमें कदापि नहीं बनाती हैं। लोकतंत्र को ‘लूटतंत्र’ में हमने ही तो परिवर्तित किया है। कैसे? जनता ने ‘वोट’ के बदले नेता से ‘नोट’ पाकर। अधिकारी ने मनचाहे स्थान के लिए ‘स्थानांतरण’ कराने […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-4

भ्रष्टाचारी भी नहीं और आय भी बहुत एक जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट कह रहे थे कि जिलाधिकारी महोदय एक माह में 50 लाख रूपये तो तब कमा लेते हैं जब उन्हें किसी से रिश्वत या भ्रष्टाचार के माध्यम से कोई पैसा लेने या मांगने की आवश्यकता ही न पड़े। ऐसा सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-3

जी हां! अपने प्यारे देश में ‘कमीशन’ ने सिद्घांतों का सौदा कर दिया है। इस ‘कमीशन’ के लिए अब तो समय आ गया है कि जब इसे भगवान मानकर इसकी आरती उतारी जाए। जिधर देखता हूं बस! उधर तू ही तू है। कि हर शय में जलवा तेरा हू ब हू है।। ‘कमीशन’ की इस […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

राणा भीमसिंह की वीरता की हो गयी थी भ्रूण हत्या

पुन: मेवाड़ की ओर अब हम एक बार पुन: महाराणा प्रताप की पुण्य कर्मस्थली मेवाड़ और उनके राणा वंश की ओर चलें। यह वंश निरंतर कितनी ही पीढिय़ों तक देश सेवा में लगा रहा। महाराणा प्रतापसिंह के पुत्र राणा अमरसिंह से चित्तौड़ हाथ में आने के उपरांत भी निकल गयी थी। अपने पिता की भांति […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-54

लाभकारी हो हवन हर जीवधारी के लिए अग्नि प्रज्ज्वलन के मंत्रों में ‘ओ३म् भू: भुव: स्व:।’ प्रथम बार में बोला जाता है। इसका अभिप्राय है कि जिस अग्नि को हवन कुण्ड के मूल में प्रदीप्त किया जा रहा है उसके भी मूल में प्राणों को उत्पन्न करने की शक्ति विद्यमान है। इसी में भुव: अर्थात […]

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