देश के क्रांतिकारी आंदोलन की रीढ़ बनकर रहे भाई परमानंद जी आज भी प्रत्येक देशभक्त के लिए बहुत ही आदर और सम्मान के पात्र हैं। 4 नवंबर 1876 को जन्मे भाई परमानंद जी भारतीय इतिहास की एक अनमोल निधि हैं। उनके भीतर देशभक्ति,राष्ट्र प्रेम, संस्कृति प्रेम और धर्म के प्रति निष्ठा कूट-कूट कर भरी थी। […]
लेखक: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
-दयानन्द कादियान हरियाणा प्रदेश को अस्तित्व में आये 52 साल हो रहे हैं। बहुत से लोग अपने अपने नेता के नाम के आगे हरियाणा केसरी, हरियाणा का जन्मदाता तथा हरियाणा का निर्माता आदि विशेषणों का प्रयोग करते हैं। कुछेक बुजुर्गों को छोड़कर आज की युवा पीढ़ी के लोग कम ही जानते हैं कि वेदों की […]
आज हम अपने महान इतिहास नायक सरदार वल्लभभाई पटेल जी की 149वीं जयंती मना रहे हैं। कृतज्ञ राष्ट्र उनके प्रति नतमस्तक है। अपने जीवन काल में उन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए जिस प्रकार महान कार्य किये उनके समक्ष उनका समकालीन कोई भी नेता कहीं दूर-दूर तक भी टिकता हुआ दिखाई नहीं देता। […]
लेखक-पंडित धर्मदेव विद्यामार्तण्ड [Monotheism अंग्रेजी के इस शब्द से बहुत लोग एक असमंजस की स्थिति में हैं। इसका अर्थ है एकेश्वरवाद अर्थात ईश्वर एक है। पश्चिमी विचारकों ने वेदों को लेकर एक भ्रान्ति है कि वेदों में ईश्वर अनेक है अर्थात वेद बहुदेवतावाद का समर्थन करते है। उनकी दूसरी मान्यता यह है कि सेमेटिक मत […]
भगवान श्री राम के बारे में यह बात कुछ असहज सी लगती है कि उन्हें भी कभी अंतर्द्वंद्व हुआ होगा । क्योंकि जनमानस में उनको लेकर एक ऐसी छवि स्थापित है , जिसमें वे प्रत्येक प्रकार के द्वंद्वभाव से ऊपर उठे हुए दिखाई देते हैं। इसके उपरान्त भी डॉ विनय कुमार सिंगला ‘ निश्छल’ जी […]
शिवाजी के पश्चात उनके पुत्र संभाजी महाराज ने उनके उत्तराधिकारी के रूप में गद्दी संभाली। इतिहासकारों का मानना है कि संभाजी महाराज यद्यपि अपने पिता शिवाजी महाराज की भांति तो संघर्षशील और साहसी नहीं थे, परंतु फिर भी उन्होंने इतिहास में अपना विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान बनाया। उन्होंने भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने […]
स्वाधीन भारत के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। उन्होंने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया था। गांधी जी के आवाहन पर वह अपने विधि व्यवसाय को छोड़कर स्वाधीनता आंदोलन में सम्मिलित हुए थे। यद्यपि वह गांधी जी की कांग्रेस में अपने […]
जब हम मध्यकाल में मुस्लिम आक्रमणकारियों के आक्रमणों के बारे में पढ़ते हैं तो अक्सर यह प्रश्न हमारे अंतर्मन में उठता है कि विदेशी आक्रमणकारियों के आक्रमण के समय देश के राजनीतिक केंद्रों के रूप में मान्यता प्राप्त रहे किलों की अपेक्षा धार्मिक आस्था के केंद्र हमारे मंदिर ही क्यों लूटे गए? यदि इस प्रश्न […]
हमारे देश की राजनीति जिस प्रकार परस्पर राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बीच उलझी हुई दिखाई देती है, उसके चलते अनेक बार ऐसा आभास होता है कि जैसे देश को राजनीति के द्वारा शासित न करके सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा शासित किया जा रहा है। जब देश के लोगों ने अपने जनमत से देश को एक साफ […]
रामायण कालीन ऋषि शरभंग भारत में रामायण काल में एक महान तपस्वी ऋषि थे जिनका नाम शरभंग था। शरभंग उस समय तपोबल में बहुत अधिक ऊंचाई को प्राप्त कर चुके थे। वे संपूर्ण भारतवर्ष में वैदिक संस्कृति के प्रचार-प्रसार के कार्य में लगे हुए थे। यद्यपि राक्षस प्रवृत्ति के लोग उनके इस प्रकार के परोपकारी […]