महात्मा ज्योतिबा फुले भारतीय इतिहास के एक ऐसे महान नक्षत्र हैं , जिनकी ज्योति से संपूर्ण भारतीय समाज प्रकाशमान हो रहा है । इनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था। महात्मा ज्योतिबा फुले जी की माता का नाम चिमणाबाई तथा पिता का नाम गोविन्दराव था। वह माली परिवार से थे और क्योंकि […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
धर्म ग्रंथों पर धारणा की चोट
शिकागो विश्वविद्यालय की प्रोफेसर वेंडी डोनीजर की लिखी पुस्तक ‘द हिंदूज: ऐन अल्टरनेटिव हिस्ट्री’ आजकल चर्चा में है। पुस्तक के चर्चा में आने की वजह कोई स्तरीय या शोधपरक लेखन नहीं, बल्कि हिंदू धर्मग्रंथों और आख्यानों के चुने हुए प्रसंगों की व्याख्या काम भाव की दृष्टि से किया जाना है। उदाहरण के लिए, इस पुस्तक […]
ओ३म् -आर्यसमाज लक्ष्मणचैक-देहरादून का वार्षिकोत्सव- ========= आर्यसमाज लक्ष्मणचैक देहरादून के शनिवार दिनांक 23-11-2019 को वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन अपरान्ह 3.00 बजे से यज्ञ आरम्भ हुआ। यज्ञ तीन वृहद यज्ञकुण्डों में किया गया। यज्ञ के ब्रह्मा के आसन पर आगरा के वैदिक विद्वान श्री उमेशचन्द्र कुलश्रेष्ठ विद्यमान थे। उनका साथ श्री सत्यपाल सरल एवं आर्यसमाज के […]
——————————————– अध्याय –14 पराजय और अपराजय की आंख मिचौनी बहादुरशाह इस बात को लेकर बहुत दुखी था कि बंदा वीर बैरागी का सामना करने के लिए सारी मुगल शक्ति दुर्बल पड़ती जा रही थी। वह नहीं चाहता था कि बंदा बैरागी के नेतृत्व में हिंदू शक्ति भारतवर्ष में फिर से खड़ी हो और यहां से […]
सरकारी स्तर पर भारत में ‘ संविधान दिवस ‘ मनाने की परंपरा मोदी सरकार के सत्ता संभालने के पश्चात 2015 से प्रारंभ की गई । इससे पूर्व संविधान दिवस के रूप में 26 नवंबर को कुछ अंबेडकरवादी और बहुत मनाते आ रहे थे । इस बार के संविधान दिवस पर संविधान की अस्मिता और संविधान […]
हमारे वेदों के अनुसार सृष्टि के आदि व्यवस्थापक महर्षि मनु के संविधान अर्थात मनुस्मृति के अनुसार संपूर्ण संसार कभी व्यवस्थित , अनुशासित और मर्यादित रहा है । यह अलग बात है कि अपने इस महामानव के साथ हम आज भी अन्याय कर रहे हैं , और मनुवादी मनुवादी व्यवस्था कहकर व्यवस्था को कोसने का काम […]
——————————————– अध्याय —- 13 मुगल हो गए थे वह भयभीत संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जिसने विश्व को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान किया । इसने आत्मा के विषय में भी यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि यह सदा बनी रहती है। इसका कभी अंत नहीं हो सकता । शरीर ही मरता है, आत्मा नहीं […]
——————————————– अध्याय —- 13 मुगल हो गए थे वह भयभीत संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जिसने विश्व को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान किया । इसने आत्मा के विषय में भी यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि यह सदा बनी रहती है। इसका कभी अंत नहीं हो सकता । शरीर ही मरता है, आत्मा नहीं […]
——————————————– अध्याय —- 13 मुगल हो गए थे वह भयभीत संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जिसने विश्व को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान किया । इसने आत्मा के विषय में भी यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि यह सदा बनी रहती है। इसका कभी अंत नहीं हो सकता । शरीर ही मरता है, आत्मा नहीं […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हम संसार में अपनी अपनी माता के गर्भ से उत्पन्न हुए हैं वा हमने अपनी माता से जन्म लिया है। यदि माता न हो तो हम अपने जन्म की कल्पना भी नहीं कर सकते। परमात्मा ने इस सृष्टि को बनाया है और उसी ने इस माता-पुत्र से पवित्र सम्बन्ध को भी […]