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व्यक्तित्व

वीर सावरकर द्वारा सत्यार्थ प्रकाश पर प्रतिबंध लगाने का किया गया था तीखा विरोध

करांची में हुए मुस्लिम लीग के अधिवेशन में ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चौदहवें समुल्लास को इस्लाम के विरुद्ध बताते हुए जब्त करने का प्रस्ताव पास किया गया |सिंध के मंत्रिमंडल ने जब ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चौदहवें समुल्लास को हटा देने की घोषणा की , तो देश भर में ऋषि दयानंद के शिष्यों के बीच क्षोभ की […]

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व्यक्तित्व

गौतम बुद्ध खुद को ब्राह्मण मानते थे

– कार्तिक अय्यरजो लोग बुद्ध जी के नाम पर ब्राह्मणों को कोसते हैं,वे यह भी देख लें कि बुद्ध स्वयं को ही ब्राह्मण मानते थे! इसके बाद भला वे अंबेडररवादी किस बात का विरोध करेंगे? हम भिक्षु धर्मरक्षित के सुत्तनिपात हिंदी अनुवाद का उद्धरण दे रहे हैं। पाठकगण,अवलोकन करें-१- ऋषिसत्तम ब्राह्मणवंगीश ने कहा-एस सुत्वा पसीदामि, […]

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भारतीय संस्कृति

यह था आर्यावर्त का वास्तविक विस्तार और उसकी सीमाएं

आर्यावर्त शब्द हमारे भारत के प्राचीन गौरव को दर्शाने वाला बहुत ही पवित्र शब्द है । आर्यावर्त का शाब्दिक अर्थ है- ‘आर्यो आवर्तन्तेऽत्र’ अर्थात् ‘आर्य जहाँ सम्यक प्रकार से बसते हैं।’ आर्यावर्त का दूसरा अर्थ है- ‘पुण्यभूमि’। मनुस्मृति 2.22 में आर्यावर्त की परिभाषा इस प्रकार दी हुई है- आसमुद्रात्तु वै पूर्वादासमुद्रात्तु पश्चिमात्। तयोरेवान्तरं गिर्योरार्यावर्त विदुर्बुधा: […]

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महत्वपूर्ण लेख

मनुष्य का कर्तव्य धर्म पालन सहित सरकार के अच्छे कार्यों का समर्थन है

ओ३म् =========== परमात्मा ने हमारे पूर्वजन्म के कर्मों के आधार पर हमें इस जन्म में मनुष्य बनाया है। हम सब अपनी अपनी आयु के कुछ सोपान पार चुके है। जीवन का जो समय बीत गया वह वापिस नहीं आ सकता परन्तु जो वर्तमान व भविष्य का समय है उस पर विचार व चिन्तन कर हम […]

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धर्म-अध्यात्म

संसार का स्वामी एक ही ईश्वर है वह सभी पाप करने वालों को पूर्ण निष्पक्षता के साथ कठोर दंड देता है

ओ३म् ============ हमारा यह ब्रह्माण्ड स्वयं नहीं बना। संसार की कोई भी उपयोगी वस्तु स्वतः नहीं बनती अपितु इन्हें कुछ ज्ञान-विज्ञान से पूर्ण मनुष्यों द्वारा उत्पन्न किया जाता है। किसी भी वस्तु की रचना के तीन प्रमुख कारण होते हैं। प्रथम कारण चेतन निमित्त कर्ता हुआ करता है। दूसरा प्रमुख कारण उपादान कारण होता है […]

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महत्वपूर्ण लेख

निशाने पर समस्त भारतीय धर्म ग्रंथ

निशाने पर समस्त भारतीय धर्मग्रंथ मनोज ज्वाला पश्चिम के मजहबी झण्डाबरदारों ने प्राचीन भारतीय शास्त्रों-ग्रन्थों के विकृतिकरण का अभियान-सा चला रखा है। इसके लिए भारतीय वाङ्ग्मय में घुसने का सुराख तमिल साहित्य में सेंध मारकर बनाया गया है। जबकि वेदों का उल्टा-पुल्टा अनुवाद करने वाले षड्यंत्रकारी मैक्समूलर के ‘द्रविड़वाद’ को सेंधमारी के लिए औजार के […]

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कविता

मधुबन कभी न मरता है

मधुवन कभी न मरता हैपतझड़ लाख करे कोशिश परमधुवन कभी न मरता है ।अपनों से आहत हर प्राणीसपनों में भी डरता है ।।मौन हो गयीं सब शाखाएंपत्तों के गिर जाने पर ।लेकिन उत्सव खूब मनायानई कोपलें आने पर ।।टहनी से पत्तों का गिरनातरु को बहुत अखरता है । पतझड़ लाख———-गहरे सागर की लहरें भीतट का […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक संपत्ति : भारतीय सांस्कृतिक धरोहर

वैदिक संपत्ति गतांक से आगे… द्वितीय खंड में हम लिख आए हैं कि आर्यों की उत्पत्ति हिमालय के ‘ मानस ‘ स्थान पर हुई।बहुत दिन तक आर्य लोग हिमालय पर ही रहे। संततिविस्तार के कारण उन्होंने हिमालय से नीचे उतर कर भूमि तलाश की। जिस रास्ते से वे आये उस रास्ते का नाम उन्होंने हरद्वार […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती भाग 314

गतांक से आगे… 3- गरुड़ प्रवृत्ति:- गरुड़ प्रवृत्ति को गिद्ध प्रवृत्ति भी कहते हैं। गरुण ऐसा पक्षी है,जो बड़ी ऊंची और लंबी उड़ान भरता है। इसलिए उसे अपने पंखों पर बड़ा घमंड होता है। इस घमंड के कारण वह अन्य पक्षियों को हेय और अपने आप को श्रेष्ठ समझता है। उसका यह अहंकार जब टूटता […]

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धर्म-अध्यात्म

सत्यार्थ प्रकाश : एक अनुपम ग्रंथ

भाग 73 दसवाँ समुल्लास राकेश आर्य बागपत अथ दशमसमुल्लासारम्भः अथाऽऽचाराऽनाचारभक्ष्याऽभक्ष्यविषयान् व्याख्यास्यामः इस समुल्लास में महऋषि दयानन्द सरस्वती धर्मयुक्त कामों का आचरण, सुशीलता, सत्पुरुषों का संग, सद्विद्या के ग्रहण में रुचि आदि आचार और इन से विपरीत अनाचार कहाता है; तथा मनुष्य को क्या खाना चाहिये और क्या नही खाना चाहिए उस को लिखते हैं- विद्वद्भिः […]

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