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स्वर्णिम इतिहास

जलियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों को नमन

आज सही 101 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं अमृतसर के जलियांवाला बाग के हत्याकाण्ड की घटना को । 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन ‘रौलट एक्ट’ के विरोध में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के निकट जलियांवाला बाग में हजारों लोग एकत्र हुए थे। जिससे नाराज होकर जनरल डायर ने अपने अंग्रेज सैनिकों को निहत्थे […]

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स्वर्णिम इतिहास

अमानवीय यातनाओं के बीच गुजरे थे रानी झांसी के बेटे के दिन

झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ ? वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने […]

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धर्म-अध्यात्म

कंकर कंकर में है शंकर

इस प्रकार जब हम यह कहते हैं कि ‘कंकर-कंकर में शंकर हैं’-तो उसका अभिप्राय यही है कि हर कंकर शंकर का निर्माण करने में सहायक है। इसे आप यूं भी कह सकते हैं कि जब हर ‘कंकर’ की एक दूसरे के साथ जुडऩे की भावना होती है तो वह एक विशाल चित्र का रूप बन […]

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समाज

मनुष्य का तर्क और विचार शक्ति

मनुष्य जो कुछ भी करता है सोच समझकर कर करता है, वह मंदिर जाता है, चोरी करता हो या किसी अनैतिक कार्य को करता हो वह सोच समझकर ही करता है। मंदिर जाने के पहले वह मंदिर आने का विचार करता है, तब मंदिर जाता है। अनैतिक कार्य करने के पहले भी वह विचार करता […]

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स्वर्णिम इतिहास

इंद्र की नगरी इंद्रप्रस्थ से 9वीं दिल्ली तक का सफर : सरकार देश की राजधानी का नाम करे इंद्रप्रस्थ

पहली दिल्ली : महाभारत से पूर्व ओर महाभारत के युद्ध के कुछ काल पश्चात तक दिल्ली को इंद्रप्रस्थ कहा जाता था। यह राजा इन्द्र की राजधानी थी। जिसे पुराणों में बार-बार दोहराया गया है। राजा इन्द्र का स्वर्ग यहीं पर विद्यमान था तो युधिष्ठर का ‘धर्मराज’ भी यहीं से चला था। बाद में उनकी पीढियों ने […]

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धर्म-अध्यात्म

आज क्या हो गई है देश की स्थिति

  देश से वेद-विद्या लुप्त की जा रही है, और देश का मूल संस्कार परमार्थ के स्थान पर स्वार्थ बनाया जा रहा है। देश की वर्तमान शिक्षा प्रणाली और बाजारीकरण पर केन्द्रित देश की अर्थव्यवस्था इस स्थिति के लिए उत्तरदायी हैं। सर्वत्र मारा-मारी और एक दूसरे के अधिकारों के हनन की भावना मनुष्य पर हावी […]

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गौ और गोवंश

गाय आदि पशुओं की हत्या का अभिशाप देश को भोगना पड़ता है

ओ३म् “गाय आदि पशुओं की हत्या का अभिशाप देश को भोगना पड़ता है” =========== संसार में मनुष्य मुख्यतः दो प्रकार के कर्म करता है। यह कर्म पाप व पुण्य कहलाते हैं। पुण्य कर्म सभी मनुष्यों के लिये करणीय होते हैं तथा पाप कर्म उपेक्षणीय व अकरणीय होते हैं। पाप कर्म करने से मनुष्य निन्दा का […]

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धर्म-अध्यात्म

क्या है भारत का अष्टांग योग?

युधिष्ठिर धर्म के अनुसार आचरण करने वाले होने के कारण ‘धर्मराज’ कहलाए । जिनके मन, वचन और कर्म में सदा सत्य समाहित होता था । इसी प्रकार से रघुकुल में अयोध्या के राजा हरिश्चंद्र ने धर्म की रक्षा के लिए वाराणसी अर्थात काशी में स्वयं अपने आप को और अपने पुत्र व पत्नी को भंगी […]

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स्वर्णिम इतिहास

इतिहास के झूठों का भंडाफोड़ अब होना ही चाहिए

भारत में छद्म धर्मनिरपेक्षियों का एकमात्र उद्देश्य इस देश में साम्राज्यवाद को बढ़ावा देना है। यह बढ़ावा देने की प्रवृत्ति उनके हिन्दू विरोध को देखने से स्पष्ट हो जाती है। इस हिन्दू विरोध की प्रवृत्ति के कारण इतिहास के कई झूठ ऐसे हैं जो इस देश में पहले तो विदेशियों के द्वारा गढ़े गये और […]

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धर्म-अध्यात्म

इदं न मम की भारतीय परंपरा

भारत में अत्यंत प्राचीन काल से ‘इदन्नमम्’ की सार्थक जीवन परंपरा रही है और हमारे पूर्वजों ने इसी सार्थक जीवन परंपरा के माध्यम से विश्व व्यवस्था का विकास किया है। इस परंपरा का प्रारंभ देखिये कहां से होता है? निश्चय ही उस पल से जब ईश्वर ने अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा नाम के ऋषियों […]

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