मनुष्य का जीवन कुछ इस प्रकार का है कि इसमें जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत किसी ना किसी का सहारा लेना आवश्यक हो जाता है। जन्म लेते ही प्राकृतिक रूप से हमारी माँ हमारे लिए सहारा बन जाती है। हमारे जन्म के कुछ समय पश्चात ही माता के साथ – साथ इसी कार्य को पिता […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है
मुसलमानों में भी जाति प्रथा है । यद्यपि हमारे भीतर कुछ ऐसा भाव बैठाया गया है जैसे जाति प्रथा केवल हिन्दू समाज में है और इस जाति प्रथा को भी ब्राह्मणों ने अपने आपको श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए बनाया है। मुसलमानों की जाति – प्रथा पर भी बाबासाहेब के वैसे ही स्पष्ट विचार थे […]
आजकल ‘सोशल मीडिया’ पर ऐसी पोस्ट अक्सर आपको पढ़ने को मिल जाएंगी जिनको देखकर लगता है जैसे डॉ अम्बेडकर जी मुस्लिम धर्म की मान्यताओं से बहुत अधिक सहमत थे और मुस्लिम व दलित समाज के लोग ही वास्तविक भारतीय हैं , शेष सभी लोग विदेशी हैं। ऐसी पोस्ट डालने वाले माँ भारती से द्वेष रखते […]
वेदों का राष्ट्रवाद बहुत निराला है । राष्ट्र , राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता की इतनी उत्कृष्ट व्यवस्था हमारे वेदों में प्रस्तुत की गई है कि उसका विश्व में कहीं कोई सानी नहीं है । वेदों की यह व्यवस्था है कि व्यक्ति निजी स्वार्थ से पहले समूह के स्वार्थ पर ध्यान दे और समूह के स्वार्थों से […]
व्यक्ति निर्माण से लेकर समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण तक में शिक्षक अथवा गुरु का विशेष योगदान प्राचीन काल से रहा है। आज भी जब बड़ी विषम परिस्थितियों से देश गुजर रहा है तब गुरु का समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य बहुत ही विचारणीय हो जाता है । आज की शिक्षा नीति लॉर्ड मैकाले […]
आजकल कुछ ऐसे लोगों की ओर से ‘जय भीम और जय मीम’ का नारा देश की फिजाओं में अक्सर गूंजता रहता है जो इस देश के सामाजिक समीकरणों को गड़बड़ाने की नीतियों में कहीं न कहीं संलिप्त रहते हैं । जो लोग इस नारे को लगा रहे हैं और इस नारे के माध्यम से देश […]
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर एक कट्टर राष्ट्रवादी व्यक्तित्व का नाम है । जिन्होंने नेहरू और गांधी की दोगली नीतियों का विरोध करते हुए और लगभग उन्हें नकारते हुए कई अवसरों पर अपने स्पष्ट राष्ट्रवादी विचार रखे । वे चाहते थे कि भारतवर्ष का विभाजन यदि मजहब के नाम पर हो ही रहा है तो भविष्य की […]
भारत में गुरु शिष्य परम्परा प्राचीन काल से है । हमारे प्राचीन वैदिक साहित्य में गुरुओं का भी गुरु परमपिता परमेश्वर को कहा गया है । वेद ने हमें यह शिक्षा दी है कि गुरुओं का भी गुरु परमपिता परमेश्वर है , क्योंकि ईश्वर ने सृष्टि के प्रारंभ में ही यह ज्ञान जिन ऋषियों को […]
अधिकारों से पहले कर्तव्य , अध्याय — 7 <img class="i-amphtml-intrinsic-sizer" style="font-family: Roboto, 'Helvetica Neue', sans-serif; max-width: 100%; display: block !important;" role="presentation" src="data:;base64,” alt=”” aria-hidden=”true” /> भारत में ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र इन चार वर्णों की व्यवस्था की गई है । चारों ही वर्ण अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण हैं । प्राचीन काल […]
चीन के विषय में हम पहले से ही यह मानते आ रहे हैं कि इस देश की कथनी करनी में बहुत भारी अंतर है । चीन एक ऐसा देश है जो सोया हुआ दानव है । मानवता नाम की कोई चीज इसकी राजनीति में नहीं मिलती । इसलिए यह किस स्थिति में कहां तक […]