अमरसिंह राठौर अप्रतिम बलिदान इसी प्रकार शाहजहाँ के दरबार में सलावत खां को दिनदहाड़े मारने वाले अमरसिंह राठौर की वीरता और बलिदानी भावना को भी कोई छद्मवेशी ही भूल सकता है। जिसने अपने सम्मान के लिए अपने प्राण गंवा दिये थे। इसके बाद सरदार बल्लू और उसके घोड़े चम्पावत के बलिदान को भी कोई देशभक्त […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है
उदार शासक नहीं था शाहजहाँ मुगल बादशाह शाहजहाँ को मुगल काल का सबसे महान और उदार बादशाह सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है । जिसके विषय में यह धारणा फैलाई गई है कि शाहजहां स्थापत्य कला का बहुत बड़ा प्रेमी था और उसने आगरा का ताजमहल व दिल्ली का लाल किला जैसी कई ऐतिहासिक […]
सर्वत्र क्रान्ति की ही गूँज थी 1605 ईस्वी में अकबर का देहान्त हुआ तो उसके पुत्र सलीम ने जहाँगीर के नाम से राजसत्ता प्राप्त की। जहाँगीर का शासनकाल 1627 ईस्वी तक रहा। लगभग 22 वर्ष शासन करने वाले इस मुगल बादशाह को भी हिन्दुओं ने चैन से शासन नहीं करने दिया । क्योंकि वह भी […]
मधुमक्खी के डंक का भी है बहुत महत्व
जितना कीमती गुणकारी मधुमक्खी से प्राप्त शहद है उससे भी ज्यादा ही गुणकारी , कीमती मधुमक्खी का डंक उससे निकलने वाला विशेष सफेद गाढ़ा चिपचिपा पदार्थ जो एक नेचुरल वेनम है मधुमक्खी को शहद मॉम के लिए ही नहीं उसके डंक विष के लिए भी पाला जा रहा | कोई भी मधुमक्खी जब काटती है […]
कांग्रेस में ‘परिवार’ के पास कुर्सी से चिपके रहने के अलावा कोई अन्य चारा नहीं और कांग्रेस के पास परिवार से अलग कोई चारा नहीं , इसी द्वंद में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी इस समय फंसी हुई दिखाई देती है । इस सब के उपरांत भी अपनी कार्यशैली और कार्य नीति के लिए […]
हिन्दू सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य, महाराणा प्रताप और झालाराव मन्नासिंह की वीरता 21 जनवरी 1556 ई0 को बाबर के बेटे हुमायूँ का देहान्त हो गया तो उसके पश्चात 14 फरवरी 1556 को अकबर का राज्यारोहण हुआ । उस समय हमारे एक महान शासक हेमचन्द्र विक्रमादित्य ने सत्ता पर अपना अधिकार कर लिया था। जिस समय हुमायूँ […]
जिनका महा ऋणी है यह देश 1530 ई0 में बाबर की मृत्यु हो गई तो उसके पश्चात उसका बेटा हुमायूँ गद्दी पर बैठा । हुमायूँ के साथ भी हिन्दुओं का परम्परागत दूरी बनाए रखने का संकल्प यथावत बना रहा । हुमायूँ अपने शासनकाल में कभी स्थिर रहकर शासन नहीं कर पाया । उसे शेरशाह सूरी […]
एक ही परिवार की परिक्रमा लगाए जाने के आरोपों से लगता है अब कांग्रेसियों का मन भर चुका है । वैसे भी कांग्रेस में परिवार के पास अब कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो पार्टी को ‘अच्छे दिन’ लौटा सके । वास्तव में यदि कांग्रेस की वर्तमान दुर्दशा पर विचार करें तो इसकी दुर्दशा का […]
राजा मेहताब सिंह के नेतृत्व में जिस सेना ने राम मन्दिर की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था उसके बारे में इतिहासकार कनिंघम ने कहा है कि :-” जन्मभूमि का मन्दिर गिराए जाने के समय हिन्दुओं ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी और 173000 हिन्दुओं के शव गिरने के पश्चात ही मीर […]
डॉ राकेश कुमार आर्य लोकतंत्र मतभिन्नता की अनुमति इसलिए देता है कि अंत में सब पक्षों में मतैक्यता हो जाये। किसी भी विषय में गुणावगुण पर सब पक्ष खुलकर बहस करें और फिर किसी एक सर्वमान्य निष्कर्ष पर पहुंच कर एक मत हो जाएं। भारतवर्ष के संविधान ने लोगों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता […]