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भाषा

‘हिंदी दिवस’ के अवसर पर संस्कृत के बारे में विचारणीय कुछ आवश्यक बातें

संस्कृत के विषय में ये सर्वमान्य और सर्वग्राह्य तथ्य है कि संस्कृत विश्व की सर्वाधिक प्राचीन भाषा है। इसीलिए हमारे भारतीय मत के अनुसार संस्कृत मनुष्य की ईश्वर प्रदत्त भाषा है। यही कारण है कि संस्कृत को देव भाषा भी कहा जाता है। पश्चिमी जगत के कई विद्वान भी भारत की इस देवभाषा के विषय […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा (है बलिदान इतिहास हमारा) अध्याय – 19 (ग) अंग्रेजों ने भारत क्रांति -भय से छोड़ा था , गांधी के कारण नहीं

अंग्रेज चाहते थे देश को कई टुकड़ों में बांटना भारत के इतिहास का यह एक विडम्बना पूर्ण तथ्य है कि जिस स्वतन्त्रता की लड़ाई को यह देश 1235 वर्ष तक ‘वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति’ – के आधार पर लड़ता रहा , उसी स्वतन्त्रता के मिलने का जब समय आया तो स्वतन्त्रता के आन्दोलन पर […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा ( है बलिदान इतिहास हमारा ) अध्याय — 19 ( ख ) श्रद्धानंद , वीर सावरकर और महात्मा गांधी

श्रद्धानन्द जी की हत्या और गांधीजी 23 दिसम्बर 1926 को स्वामी श्रद्धानन्द जी महाराज को एक धर्मांध मुसलमान ने गोली मार दी थी । तब गांधी जी ने स्वामी श्रद्धानंद जी के हत्यारे के प्रति भी भाई जैसे सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग किया था। गांधीजी ने अपनी मुस्लिम तुष्टीकरण की मानसिकता का परिचय देते हुए […]

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मुद्दा

पड़ गया राम के घर में भी डाका : क्लोन किया चेक देकर राम मंदिर ट्रस्ट से लाखों रुपए उड़ाने का मामला आया सामने

जब सारा देश राम मंदिर निर्माण की बाट जोह रहा है और करोड़ों श्रद्धालु इस बात की प्रतीक्षा में हैं कि कब राम जी का मंदिर बनकर पूरा हो और उन्हें कभी यहां पूजा करने का सौभाग्य प्राप्त हो , तब कुछ ऐसे गिरे हुए लोग भी हैं जो इस पवित्र स्थल पर हो रहे […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा (है बलिदानी इतिहास हमारा )अध्याय – 19 (क) अंत में हमारा बलिदानी इतिहास ही जीता

अन्त में हमारा बलिदानी इतिहास ही जीता गांधी जी और उनकी कांग्रेस जहाँ ब्रिटिश राजभक्ति के लिए जानी जाती है वहीं मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए भी जानी जाती है। गांधीजी की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति की आलोचना करते हुए स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने 1937 में 30 दिसम्बर को अहमदाबाद में अखिल भारत हिन्दू महासभा के […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा (है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय – 18( ग) महात्मा गांधी के खिलाफत आंदोलन का सच

गांधीजी और खिलाफत गांधीजीने ‘खिलाफत आन्दोलन’ का समर्थन कर अपनी मुस्लिम भक्ति को भी प्रकट किया था । जबकि यह सच है कि ‘खिलाफत आन्दोलन’ का भारत की स्वाधीनता से कोई लेना-देना नहीं था , परन्तु गांधी जी ने इन सब बातों को एक ओर रखकर ‘खिलाफत आन्दोलन’ में रुचि दिखाई । कुछ लोगों ने […]

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उगता भारत न्यूज़ भारतीय संस्कृति

डब्ल्यूएचओ प्रमुख की चेतावनी और भारत की यज्ञ प्रणाली

कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया की व्यवस्था को हिला कर रख दिया है । इसी के चलते दुनिया इस समय तीसरे विश्वयुद्ध की शंका आशंकाओं के गहरे बादलों से भी घिर चुकी है । इसी दौरान डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने भी नई चेतावनी जारी की है । उन्होंने कहा है कि दुनिया के लिए नई महामारी और […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय — 18 (ख) जब 32 वर्ष पहले देश हो जाता आजाद

इन क्रान्तिकारियों में चापेकर बन्धु , खुदीराम बोस , रासबिहारी बोस , महर्षि अरविन्द , मदनलाल धींगरा, चन्द्रशेखर आजाद , सुभाष चन्द्र बोस, लाला हरदयाल, वीर सावरकर, राम प्रसाद बिस्मिल, देवता स्वरूप भाई परमानन्द जी, श्यामजी कृष्ण वर्मा , महादेव गोविन्द रानाडे , विजय सिंह पथिक , देशबन्धु चितरंजन दास आदि हजारों नहीं लाखों क्रान्तिकारी […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

जोरों से चल रहा है हिंदुस्तान को इस्लामी देश बनाने का कुचक्र : लव जिहाद है खास हथियार

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार केरल से शुरू होने वाले लव जिहाद के विरुद्ध जब हिन्दू स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा होने वाले समाचार-पत्र एवं साप्ताहिकों में समाचारों के प्रकाशन किये जाने को समस्त छद्दम सेक्युलरिस्ट फिरकापरस्ती का नाम देकर नज़रअंदाज़ करने का काम करते थे, उस समय कोई अन्य पत्र या पत्रिका इन समाचारों को महत्व नहीं देता […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा (है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय – 18(क) गांधी जी की अहिंसा बनाम स्वामी श्रद्धानंद जी की क्रांति

इन्द्र विद्यावाचस्पति लिखते हैं :–” जब लम्बी दासता से बंजर हुई भारत की भूमि को सशस्त्र क्रान्ति के विशाल हल ने खोदकर तैयार कर दिया और जब सुधारकों के दल ने उसमें मानसिक स्वाधीनता के बीज बो दिए , तब यह सम्भव हो गया कि उसमें से राजनीतिक स्वाधीनता के बिना सामाजिक स्वाधीनता और सामाजिक […]

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