किसी देश की दूसरे देश के साथ कैसी नीति होगी ? किस प्रकार वे एक दूसरे के साथ सामंजस्य या वैर – विरोध बनाकर रह सकेंगे , इन सब बातों को जो चीजें प्रभावित करती हैं – उन्हें आधुनिक राजनीति शास्त्रियों की भाषा में ‘विदेश नीति के निर्धारक तत्व’ के रूप में परिभाषित व […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है
”अपनी नीति तो अपनाओ, लेकिन शत्रु की युद्ध नीति को समझना भी उतना ही आवश्यक है। युद्ध में अपने शत्रु की भान्ति सोचना भी आवश्यक है। जो भी नीति हो, उसे गुप्त रखो। उसे केवल अपने कुछ विश्वासपात्र सहयोगियों को बताओ। अच्छे के लिए सोचो, पर बुरे से बुरे के लिए भी उद्यत रहो।” […]
राजनीति में प्रत्येक व्यक्ति की यह आवश्यकता होती है कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी को परास्त करने के लिए ऐसी तिकड़में चले जिससे वह व्यक्ति प्रतियोगिता में आगे न निकल सके , परंतु किसी ‘महात्मा’ के यहाँ ऐसी किसी तिकड़म को या षड़यंत्र को स्थान नहीं दिया जाता। वह तो बड़े सहज भाव से अपने […]
गाजियाबाद । मुसलमानों के जज्बातों से खेलना ओवैसी की पुरानी आदत है। वह ऐसा कोई भी मौका चूकना नहीं चाहते जिससे उनकी सियासत मजबूत होती हो और वास्तव में मुसलमानों के जज्बात ही उनकी सियासत का वह मजबूत पायदान है जिस पर खड़े होकर वह हर वह असंवैधानिक और गैरकानूनी कार्य करने का […]
इतिहास और विदेश नीति का चोली – दामन का साथ है । किसी भी देश के पड़ोसी देशों से उसका पुराना सम्बन्ध होना स्वभाविक है। जहाँ तक भारत की विदेश नीति और इतिहास की बात है तो भारत के लगभग सभी पड़ोसी देश कभी न कभी भारत के ही अंग रहे हैं । इस दृष्टिकोण […]
सरकार ने दी थी गांधी जी को घूस गाँधी जी यह प्रतिपादित करते हैं कि जब-जब हिंसा का प्रयोग हुआ है तब-तब सैनिक खर्च बढ़ा है। यदि उनका मन्तव्य क्रान्तिकारियों की पिछली 25 वर्षों की गतिविधियों से है तो हम उनके वक्तव्यों को चुनौती देते हैं कि वे अपने इस कथन को तथ्य और आँकड़ों […]
इतिहास का भ्रम वास्तव में यह बहुत ही दुखद तथ्य है कि कांग्रेस के लोग हमारे क्रान्तिकारियों को अपने भाषणों में गाली-गलौज तक किया करते थे । इसके उपरान्त भी वर्तमान प्रचलित इतिहास में कुछ इस प्रकार का भ्रम पैदा करने का प्रयास किया गया है कि जैसे कांग्रेस के लोग क्रान्तिकारियों के प्रति वैमनस्य […]
देश को आजादी केवल क्रान्ति से मिलेगी पत्र में आगे लिखा था :– ” क्रान्तिकारियो का विश्वास है कि देश को क्रान्ति से ही स्वतन्त्रता मिलेगी। वे जिस क्रान्ति के लिए प्रयत्नशील हैं और जिस क्रान्ति का रूप उनके सामने स्पष्ट है, उसका अर्थ केवल यह नहीं है कि विदेशी शासकों तथा उनके पिट्ठुओं से […]
23 दिसम्बर 1929 को वायसराय की स्पेशल ट्रेन उड़ाने का जो प्रयास हमारे क्रान्तिकारियों के द्वारा किया गया था , उसकी कांग्रेस द्वारा निन्दा की गई थी और कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पास कर उसे वायसराय की सहानुभूति बटोरने के लिए उसके पास भी भेजा था । इस पत्र का शुभारम्भ कांग्रेस के इस निन्दनीय […]
इतिहास पर गांधीवाद की छाया , -अध्याय – 8 ‘बम का दर्शन’ और हमारा इतिहास 26 जनवरी 1930 ई0 का दिन कांग्रेस के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में अंकित है । क्योंकि इसी दिन पंजाब में रावी नदी के किनारे कांग्रेस के अध्यक्ष पंडित नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने झण्डा फहराकर […]