Categories
संपादकीय

‘मल्लपुरम’ के बाद अब ‘मलेरकोटला’ : कहीं नए ‘जूनागढ़’ और ‘हैदराबाद’ का निर्माण तो नहीं ?

  1905 में जब सांप्रदायिक आधार पर अंग्रेजों ने बंगाल प्रांत का विभाजन किया तो ‘बंग भंग’ के नाम से विख्यात हुई उस घटना के बारे में आज कांग्रेस चाहे अपने इतिहास में कुछ भी लिखे, परंतु सच यह है कि उस समय उसकी स्थिति कुछ भी नहीं थी। उसकी कोई आवाज नहीं थी और […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

जिसने सारी कामनाओं को जीत लिया, एक काम ना तो उसकी भी शेष है…

  भारत प्राचीन काल से ही एकेश्वरवाद को मानने वाला देश रहा है। इसके ऋषियों का चिंतन बड़ा उत्कृष्ट रहा है। वैदिक चिंतन से ओतप्रोत हमारे ऋषियों ने एक ईश्वर में आस्था और विश्वास रखते हुए अपने अनेकों ग्रंथों की रचना की। उन्हीं में से हमारे उपनिषद भी सम्मिलित हैं । भारत की इस एकेश्वरवाद […]

Categories
इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

मजहब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना, अध्याय – 9 ( 5 )

  चतुर्थ क्रूश युद्ध (1202-1204) अभी तक पोप की शक्ति में पर्याप्त वृद्धि हो चुकी थी । जिस प्रकार मुसलमानों के यहाँ खलीफा मजहब का मुखिया होता था, उसी प्रकार ईसाइयों के यहाँ पर पोप की स्थिति थी । मजहब के तथाकथित ठेकेदारों ने लोगों के भीतर मजहबी उन्माद पैदा करके अपनी सत्ता को मजबूत […]

Categories
आतंकवाद संपादकीय

हिंदू अस्तित्व को लेकर सरकारों का आपराधिक मौन और हिंदुओं की जातियों की जूतियों में दाल बांटने की मानसिकता

  हिंदू की यह विशेषता है कि यह उन बातों को शीघ्रता से ग्रहण कर लेता है जो देश,काल व परिस्थिति के अनुसार बहुत अनिवार्य हो गई होती हैं। जैसे जनसंख्या विस्फोट के बारे में जब सरकार और मीडिया की ओर से यह प्रचार प्रसार किया गया कि यदि हम बढ़ती जनसंख्या को रोक नहीं […]

Categories
संपादकीय

बंगाल में ‘हिंदू अस्तित्व’ के लिए मंडराता संकट और राष्ट्रवादी शक्तियां

आज भारत में भी हिंदुओं के लिए अपने अस्तित्व को बचाए रखना एक बड़ी समस्या बन चुकी है। भारत वर्ष के भीतर जहां – जहां मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं, वहाँ वहाँ हिंदू अपने अस्तित्व को बचाने के लिए मुगलिया काल से भी अधिक दयनीय स्थिति में जी रहा है। जिस पर इस समय एक गंभीर […]

Categories
इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

मजहब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना, अध्याय – 9 ( 4 ) तृतीय क्रूस युद्ध

  तृतीय क्रूश युद्ध (1188-1192) लूटपाट, डकैती और बलात्कार जब शासन के प्रमुख उद्देश्यों में सम्मिलित हो जाते हैं तो सर्वत्र अराजकता फैल जाती है। अराजकता का प्रतिशोध भी अराजकता से ही दिया जाता है। जिससे सर्वत्र महाविनाश होने लगता है। जब संसार में मजहबी शासकों के विजय अभियानों की आँधी उठी तो इन आंधियों […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

जब धन सिंह कोतवाल का पूरा गांव ही कर दिया गया था तबाह

  बुलंदशहर में क्रांतिकारियों का नेतृत्व करने वाले नेता वलीदाद खान ने वहां के स्वतंत्र शासक के रूप में अपना कार्यभार संभाल लिया । इसी प्रकार मेरठ में क्रांतिकारियों ने राव कदमसिंह को अपना नेता अर्थात राजा घोषित कर दिया। जिससे जनपद बुलंदशहर और मेरठ दोनों में क्रांतिकारियों को अपने सर्वमान्य नेता मिल गए। दोनों […]

Categories
इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति का प्रमुख नारा था – मारो फिरंगियों को

1857 की क्रांति हमारे आक्रोश और विदेशी सत्ता के प्रति पनप रहे विद्रोह के भाव का प्रतीक थी। जिसमें दलन, दमन और अत्याचार के विरुद्ध खुली बगावत के स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे थे । चारों ओर लोग ‘मारो फिरंगियों को’ का नारा देकर देश को अंग्रेजों से मुक्त कर देना चाहते थे। अब वह […]

Categories
इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारत की पहली आजाद हिंद फौज के निर्माता थे धन सिंह कोतवाल और राव कदम सिंह गुर्जर

    राव कदमसिंह गुर्जर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के क्रांतिकारी आंदोलन के एक देदीप्यमान नक्षत्र हैं। जिन्होंने समय आने पर ‘राष्ट्र प्रथम’ के उद्घोष को स्वीकार करते हुए अपना सर्वस्व माँ भारती की गोद में समर्पित कर दिया था । राम कदम सिंह 18 57 की क्रांति से पूर्व इसके पूर्व के क्षेत्र के क्रांतिकारियों […]

Categories
आतंकवाद इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

मजहब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना – अध्याय 9 ( 3 )

  द्वितीय क्रूश युद्ध (1147-1149) जब सन् 1144 में मोसल के तुर्क शासक इमादुद्दीन ज़ंगी ने एदेसा को ईसाई शासक से छीन लिया तो पोप से सहायता की प्रार्थना की गई और उसके आदेश से प्रसिद्ध संन्यासी संत बर्नार्ड ने धर्मयुद्ध का प्रचार किया। किसी संत का इस प्रकार युद्ध का प्रचार करना फिर मानवता […]

Exit mobile version