हमारा यह लेख अब से 7 वर्ष पूर्व उगता भारत में प्रकाशित हुआ था जो आज भी उतना ही समसामयिक है। इसलिए आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है:- बात 10 मई 1957 की है। सारा देश 1857 की क्रांति की शताब्दी मना रहा था। दिल्ली में रामलीला मैदान में तब एक भव्य कार्यक्रम हुआ था। हिंदू […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है
भारत में साम्प्रदायिकता ,अंग्रेज और कॉंग्रेस भारत में प्राचीन काल में शासन की नीति का आधार पंथनिरपेक्ष विचारधारा होती थी । जिसमें शासन का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को स्वतन्त्रता की स्वतन्त्र अनुभूति कराना होता था। किसी पर भी किसी प्रकार का बन्धन न हो, प्रतिबन्ध न हो और अपने जीवन को सब सुरक्षित […]
क्रंदन दूर होगा एक दिन …..
क्रंदन दूर होगा एक दिन …… निशा निराशा की आये उत्साह बनाए रखना तुम। लोग नकारा कहें भले उत्कर्ष पे नजरें रखना तुम।। भवसिंधु से तरने हेतु निज पूर्वजों से अनुभव लो। उल्टे प्रकृति के चलो नहीं मन में ये ही नियम धरो।। कुछ भी दुष्कर है नहीं […]
यदि इतिहास के संदर्भ से देखा जाए तो हिंदू अपने अस्तित्व के लिए आज से नहीं अपितु सदियों से संघर्ष कर रहा है। यद्यपि आज का धर्मनिरपेक्ष हिंदू अपने अस्तित्व के प्रति पूर्णतया असावधान है। जब इस्लाम ने भारत में प्रवेश किया तो वह हिंदू विनाश के लिए ही भारत आया था । यह […]
जयद्रथ वध के संबंध में हमारे समाज में कई प्रकार की भ्रांतियां बनी हुई हैं। इस संबंध में अज्ञानतावश लोगों का मानना है कि श्री कृष्ण ने दिन में ही अपनी माया से सूर्य को अस्त कर दिया था। जब अर्जुन जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा पूर्ण नहीं कर सका तब अर्जुन के आत्मदाह […]
इजरायल के पीएम के साथ विपक्ष के नेता नेफ्टली बेनेट, इजराइल में विपक्षी गुट के नेता हैं और संभावित प्रधानमंत्रियों की सूची में से एक। ये खुद बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार में […]
बालकों का धर्मयुद्ध जब से विश्व इतिहास में मजहब का हस्तक्षेप बढ़ा तबसे एक नई प्रवृत्ति देखने को मिली। जिसके अन्तर्गत क्रूर शासकों ने बच्चों और महिलाओं के साथ भी अमानवीय अत्याचार किए। उससे पूर्व के मानव इतिहास में ऐसी घटनाएं नहीं हुईं। विशेष रुप से भारत के आर्यावर्तकालीन इतिहास पर यदि दृष्टिपात किया […]
अपने ज्येष्ठ पिताश्री धर्मराज युधिष्ठिर और अन्य पांडवों के आग्रह और आदेश को स्वीकार कर अभिमन्यु ने भयंकर युद्ध करना आरंभ किया। वह जिधर भी निकलता उधर ही कौरव दल में हड़कंप मच जाता। उसका साहस और उसकी वीरता आज देखने लायक थी। आज दैवीय शक्तियां भी अभिमन्यु की वीरता और युद्ध कौशल को […]
महाभारत के संबंध में ऐसी अनेकों भ्रांतियां हैं जो मूल महाभारत में किसी और प्रकार से वर्णित की गई हैं और समाज में किसी और प्रकार से उनके बारे में भ्रांतियां पैदा कर ली गई हैं। अभिमन्यु के बारे में भी कई प्रकार की भ्रांतियां हैं :- जैसे चक्रव्यूह तोड़ने के लिए उसने स्वयं […]
दुर्योधन क्यों हारा ?
दुर्योधन क्यों हारा? ‘दुर्योधन’ और ‘युधिष्ठिर’ दोनों ही नामों में ‘युद्ध’ शब्द आता है। ‘दुर्योधन’ वह है जो बुरी तरह से युद्ध करता है अर्थात जीवन के समर क्षेत्र में युद्ध जीतने के लिए नैतिक – अनैतिक किसी भी प्रकार के आचरण को करने के लिए सदैव तत्पर रहता है। जबकि ‘युधिष्ठिर वह है जो […]