पिछले लगभग एक वर्ष से चल रहा तथाकथित किसान आंदोलन सभी राष्ट्रवादियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ था। इसका कारण केवल एक था कि इस आंदोलन के सूत्रधारों ने इसका चेहरा तो राकेश टिकैत को बना लिया परंतु इसकी योजना संभवत: टिकैत को भी मालूम नहीं होगी कि वास्तव में इस आंदोलन के […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है
नए वैश्विक धर्म का प्रयास और वैदिक धर्म
मानव समाज जब – जब आतंकवाद और आतंकवादियों के हमलों से आहत हुआ है तब – तब उसने इस प्रकार के हमलों से सदा – सदा के लिए मुक्ति पाने का कोई न कोई रास्ता खोजने का प्रयास किया है। संसार के जिस – जिस क्षेत्र में अज्ञान, अविद्या, पाखंड, छल, छद्म और अत्याचार चरम […]
भारत के क्रांतिकारी आंदोलन की एक जाज्ज्वलयमान नक्षत्र के रूप में रानी लक्ष्मीबाई का नाम हम सबके चित्त और स्मृति में अनायास ही उभर आता है। इसका कारण केवल एक है कि उन्होंने अपने छोटे से जीवन में मां भारती की सेवा के लिए अपना सर्वोत्कृष्ट बलिदान देकर इतिहास में न केवल अपना नाम सुरक्षित […]
रवि शंकर देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्ति मिलने के पहले से ही राष्ट्रभाषा का प्रश्न उभरने लगा था। वर्ष 1875 में ही महर्षि दयानंद सरस्वती ने स्वयं गैरहिंदीभाषी होते हुए भी उस काल में अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश हिंदी में लिखी। तत्कालीन लगभग सभी नेता, लेखक आदि हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा के […]
रामचंद्र जी को शत्रुओं का नाश करने वाला , प्रतापी , पराक्रमी अर्थात जिसका नाम सुनने से ही शत्रु के ह्रदय फट जाते हैं, ऐसा विशेष पराक्रमी, शत्रुओं का पराभव करने वाला, जिसका धनुष बहुत बड़ा है, जिसके पास उत्तम से उत्तम अस्त्र शस्त्र हैं , जिसके क्रुद्ध होने पर देव भी घबरा जाते हैं, […]
रामचंद्र जी के विषय में जानबूझकर यह भ्रांति फैलाने का प्रयास किया गया कि वह एक काल्पनिक ग्रन्थ के काल्पनिक पात्र हैं । ऐसी मान्यता रखने वाले लोगों का कहना है कि रामायण भी अपने आप में एक काल्पनिक महाकाव्य है। जिसे किसी उपन्यास से अधिक कुछ नहीं माना जा सकता। ऐसा भ्रान्तिपूर्ण प्रचार इसलिए […]
रावण फिर चला मारीच की ओर अपनी बहन शूर्पणखा के इन रोमांचकारी वचनों को सुनकर रावण ने अपने मंत्रियों के साथ विचार विनिमय किया और उनसे विदा लेकर वह फिर मारीच के आश्रम की ओर चला। रावण के वहां पहुंचने पर मारीच ने फिर उससे कुशल क्षेम पूछा और वार्ता आरंभ की। तब रावण […]
भारत का वास्तविक राष्ट्रपिता कौन ? श्रीराम या ……. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा श्रीराम, अध्याय – 9 क ससदुपदेश पर करो अमल खर और दूषण के अंत को दो राक्षसों का अंत तो कहा जा सकता है परंतु श्री राम की समस्याओं का अंत उनके अंत के साथ हो गया हो – यह नहीं कहा […]
राक्षस को जीने का अधिकार नहीं शत्रु जब अपनी दुष्टता की पराकाष्ठा पर हो तब उसके प्रति किसी भी प्रकार का दयाभाव प्रकट करना उचित नहीं होता। यदि उन परिस्थितियों में उस पर दयाभाव प्रकट करते हुए उसे छोड़ दिया गया तो वह चोटिल सांप की भांति आप पर फिर हमला करेगा और बहुत संभव […]
——————————————— राजनीति पूरी तरह खूनी हो चुकी है। इसके अनेकों उदाहरण हमें समाचार पत्रों में सुनने को मिलते रहते हैं। पश्चिम बंगाल से हाल ही में वहाँ के सबसे वरिष्ठ नेता सुब्रत मुखर्जी के विषय में भी जो शंका आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं इससे स्पष्ट होता है कि वह भी मरे नहीं […]