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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय 32 , अंगद की वीरता

बाली पुत्र अंगद बहुत ही वीर थे । रामायण में उनकी वीरता को कवि ने बड़े ही प्रशंसनीय शब्दों में प्रस्तुत किया है। उनकी वीरता का लोहा स्वयं रावण ने की माना था। रावण ने उन्हें धर्म के पक्ष से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पक्ष से हटाकर अधर्म के साथ अर्थात अपने साथ जोड़ने […]

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इतिहास के पन्नों से

अफगानिस्तान का हिंदू वैदिक अतीत : अध्याय-18, *कुछ क्रूर आक्रांता और अफगानिस्तान*

*अफगानिस्तान को कई क्रूर विदेशी आक्रांताओं के आक्रमणों का भी सामना करना पड़ा। भारत का पश्चिमी सीमांत प्रांत होने के कारण और भारत के इस उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र से ही विदेशी आक्रमणकारियों के आक्रमण का प्रवेश द्वार होने के कारण भी अफगानिस्तान को विदेशी आक्रमणकारियों के आक्रमणों का शिकार होना पड़ा। मंगोलियाई शासक और आक्रमणकारी चंगेज […]

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विशेष संपादकीय

मेरे मानस के राम : अध्याय 31, सुवेल पर्वत पर श्रीराम

राम ने सुवेल पर्वत पर चढ़कर लंका का निरीक्षण करने का निर्णय लिया। यहां से उन्हें लंका की सुंदरता बड़ी मनोहारी लग रही है। उनके मन में कई प्रकार के विचार आ रहे थे। वह सोच रहे थे कि रावण की मूर्खता के कारण इतनी सुंदर रमणीक नगरी और साथ-साथ यह देश आने वाले भयंकर […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय 30, माल्यवान का रावण को उपदेश

माल्यवान रावण का नाना था। वह बहुत बुद्धिमान था । माल्यवान जानते थे कि रावण ने जो कुछ भी किया है ,रामचंद्र जी उसका दंड उसे अवश्य देंगे। वह यह भी जानते थे कि यदि उस दंड को अकेला रावण भोग ले तो कोई बात नहीं। पर इस समय रावण के साथ-साथ उसके राज्य की […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय 29, रावण के मायावी खेल

रावण अधर्म की और अनीति की ओर निरंतर बढ़ता जा रहा था। वह कभी गुप्तचर भेजता तो कभी धर्म और अनीति का कोई दूसरा काम करता । इस बार उसने रामचंद्र जी का एक नकली शीश काटकर सीता जी के पास भेज दिया। लंकेश अधर्मी कर रहा , बड़े-बड़े अपराध। शीश नकली राम का, भेजा […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय 28, रावण के गुप्तचर और श्रीराम

इसी समय शुक और सारण नाम के दो गुप्तचर फिर रामचंद्र जी की गुप्त सूचनाओं लेने के लिए आ गए। रामचंद्र जी ने इस बार फिर अपनी उदारता का परिचय दिया और उनसे बड़े प्यार से कह दिया कि यदि आप सफल मनोरथ हो गए हो तो ससम्मान अपने देश लौट जाओ। वास्तव में रामचंद्र […]

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संपादकीय

राहुल गांधी की अड़ियल राजनीति और देश का भविष्य

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका का निर्वाह करते राहुल गांधी लगता है अब पप्पू नहीं रहे हैं, बल्कि वह इससे आगे बढ़कर एक नए स्वरूप में दिखाई दे रहे हैं। वह जिस रूप में दिखाई दे रहे हैं, उसमें उनका नौसिखियापन कहीं नहीं झलकता। यद्यपि कई लोग उनके बोलने को अभी भी उनका नौसिखियापन […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम, अध्याय 27 , राम द्वारा विभीषण का स्वागत

विभीषण जी के आगमन पर हनुमान जी ने उनके उदार चरित्र और धर्म प्रेमी व्यक्तित्व के विषय में रामचंद्र जी को पहले ही सब कुछ बता दिया था। न्याय, नीति और धर्म में निपुण विभीषण जी का उनके व्यक्तित्व के अनुरूप सम्मान करने के लिए रामचंद्र जी ने भी मन बना लिया । रामचंद्र जी […]

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इतिहास के पन्नों से

अफगानिस्तान का हिंदू वैदिक अतीत : अध्याय 17 *मुगलकाल में अफगानिस्तान की स्थिति*

  *मुग़ल साम्राज्य की स्थापना करने वाला बाबर था। इस वंश ने भारत में 1526 ई. से लेकर 1857 ई. तक राज्य किया। 1857 ई. में इस वंश का अंतिम शासक बहादुरशाह जफर था। यद्यपि औरंगजेब की मृत्यु होने के पश्चात् 1707 ई. में ही यह साम्राज्य लड़‌खड़ा गया था। उसके सही 30 वर्ष पश्चात् […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम अध्याय 26 : विभीषण का निष्कासन

जब रावण के सभी दरबारी चाटुकारिता करते हुए उसकी हां में हां मिलाने का कार्य कर रहे थे, तब विभीषण जी ने खड़े होकर न्याय, नीति और धर्म की बात करना उचित समझा। उन्होंने अपने भाई रावण को समझाते हुए कहा :- विभीषण ने  तब  रख दिए,  हृदय  के  उद्गार। राम को कोई जीत ले,  […]

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