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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महाविद्वान मंडन मिश्र की विदुषी धर्मपत्नी भारती

भारत की ऐसी अनेकों नारियां हुई हैं जिन्होंने ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में अपने वे वैदुष्य का परचम लहराया है । इन्हीं में से एक महान विदुषी भारती थीं । जो कि उस काल के परम विद्वान मंडन मिश्र की पत्नी थीं ।आदि शंकराचार्य एक ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी थे जिन्होंने अपने समय में […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम- अध्याय , 48 : मायावी लंकेश मर गया

रामचंद्र जी ने आज युद्ध का मोर्चा स्वयं संभाला हुआ था। वह नहीं चाहते थे कि आज भी लक्ष्मण इधर-उधर से आकर युद्ध में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करते हुए रावण वध के लिए अपने आप को झोंक दे। वे छोटे भाई को एक शक्ति के रूप में बचा कर रखना चाहते थे। उन्हें […]

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आज का चिंतन विशेष संपादकीय

‘हिरण्यगर्भ:’ और महा विस्फोट का सिद्धांत

ईश्वर के विषय में यह माना जाता है कि वह सृष्टि के अणु-अणु में विद्यमान है और घट-घट वासी है। उसकी दृष्टि से कोई बच नहीं सकता। अत: वह मनुष्य के प्रत्येक विचार का और प्रत्येक कार्य का स्वयं साक्षी है। जिससे उसकी न्यायव्यवस्था से कोई बच नहीं पाएगा। घट-घट वासी होने से ईश्वर हमारे […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम अध्याय – 47 : लंकेश हुआ भयभीत

रामचंद्र जी आज युद्ध का अंत कर देना चाहते थे । यही कारण था कि वह आज लंका के राजा रावण पर भीषण प्रहार कर रहे थे। आज उन्हें अपना परम शत्रु रावण ही दिखाई दे रहा था, जिसके कारण उस समय भयंकर विनाश हो चुका था। जितने भर भी लोग उस युद्ध में मारे […]

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इतिहास के पन्नों से

संपूर्ण भूमंडल के नायक थे श्री कृष्ण

यूनान देश के यवन लोगों का हिरैक्लीज’ नाम का एक देवता रहा है। जिसकी वह लंबे समय से पूजा करते रहे हैं । कौन था यह हिरैक्लीज ? यदि इस पर विचार किया जाए तो पता चलता है कि इस नाम का देवता विश्व के सबसे अधिक बलशाली व ज्ञान सम्पन्न श्रीकृष्ण जी ही थे। […]

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संपादकीय

कैसे कहूं इन हाथों में, देश सुरक्षित हो जाएगा ?

मेरे एक मित्र कह रहे थे कि राजनीतिज्ञ वही होता है जो बड़ी भारी भीड़ को अपने पीछे खींचकर दूर जंगल में ले जाए और फिर वहां एक ऊंचे पेड़ पर चढ़कर चारों ओर देखकर अपने साथ आई भीड़ को अचानक यह निर्देश दे कि हम गलत दिशा में चले आए, चलो उल्टे चलते हैं। […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय – 45 , राम रावण युद्ध

जब रामचंद्र जी के साथ सभी दिव्य शक्तियों के सहयोग और संयोग की बात की जाती है तो उसका अभिप्राय यह समझना चाहिए कि न्याय, धर्म और सत्य जिसके साथ होता है, उसके साथ परमपिता परमेश्वर की शक्ति आशीर्वाद के रूप में सदा साथ बनी रहती है। प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा सात्विक भाव के रूप […]

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इतिहास के पन्नों से

*अफगानिस्तान का हिंदू वेदिक अतीत – अध्याय-20* *सिंहावलोकन*

*आप तनिक कल्पना करें। एक नदी है। उस नदी के एक छोर पर एक विशाल टीला स्थित है। नदी बरसात की ऋतु में बार-बार उस टीले को काटने व मिटाने का प्रयास करती है। उसे एक चुनौती देती है और उसकी थोड़ी बहुत मिट्टी हर बार वर्षा ऋतु में अपने साथ बहाकर ले जाती है […]

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विशेष संपादकीय

मेरे मानस के राम ,अध्याय – 44 : रावण का युद्ध के लिए प्रस्थान

(सुपार्श्व मंत्री ने रावण से कहा कि तुम्हें इस समय सीता जी को मारने की निम्नस्तरीय सोच का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए, अपितु अपने परमशत्रु राम के विनाश की योजना पर काम करना चाहिए। इसके लिए आपको एक वीर योद्धा का परिचय देते हुए युद्ध के मैदान में जाकर राम से युद्ध करना अपेक्षित है। […]

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पुस्तक समीक्षा

डॉ राकेश कुमार आर्य के साहित्य का संक्षिप्त परिचय

26 – भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास , भाग – 4 ‘शिवा बैरागी का प्रताप बना मुगलों का संताप’ इससे ग्रंथ माला के चौथे खंड में विद्वान लेखक ने राजा चंपत राय , रानी सारंधा , अमर सिंह राठौड़, राजा हरदौल सिंह, राणा भीम सिंह, अमर सिंह राठौड़ का शव और बल्लू […]

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