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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

हिंदू राष्ट्र स्वप्नदृष्टा: बंदा वीर बैरागी

मां भारती के पुजारी और सनातन के पुरोधा बन्दा बैरागी का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 को पुंछ की पहाड़ी रियासत के राजोर गांव में एक राजपूत परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम रामदेव था। उस समय दिल्ली का शासक मुगल बादशाह औरंगजेब था। जिसकी अत्याचारपूर्ण नीतियों से पूरा भारतवर्ष आतंकित था। इस निर्दयी […]

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महत्वपूर्ण लेख

“भारत का सैनिक समाज”

👉सैनिक कौन❓भारत के इसी समाज में पलकर 17- 20 साल की अल्हड़ उम्र में घर से निकला एक बच्चा, सख्त शारीरिक मानदंडों और अनुशासन के सांचे में ढलकर, भिन्न-भिन्न हथियारों का प्रशिक्षण पाकर, भारतीय सेना के लड़ाई के उचच् नियमो को पालन करने का जज़बा लेकर, जब देश की सीमाओं पर दुशमन से नज़र मिलाता […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

*अफगानिस्तान का हिंदू वैदिक अतीत – अध्याय-20* *सिंहावलोकन*

*आप तनिक कल्पना करें। एक नदी है। उस नदी के एक छोर पर एक विशाल टीला स्थित है। नदी बरसात की ऋतु में बार-बार उस टीले को काटने व मिटाने का प्रयास करती है। उसे एक चुनौती देती है और उसकी थोड़ी बहुत मिट्टी हर बार वर्षा ऋतु में अपने साथ बहाकर ले जाती है […]

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संपादकीय

जातिगत जनगणना की जंग में आरएसएस

यह बहुत ही विडंबनापूर्ण है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी अब जातिगत जनगणना की मांग कर डाली है। संघ के बारे में अभी तक मान्यता थी कि यह हिंदू समाज में समरसता उत्पन्न करने की दिशा में ठोस कार्य करेगा और जिस प्रकार वर्तमान परिस्थितियों में देश के हिंदू समाज को तोड़ने की कोशिशें […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महाविद्वान मंडन मिश्र की विदुषी धर्मपत्नी भारती

भारत की ऐसी अनेकों नारियां हुई हैं जिन्होंने ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में अपने वे वैदुष्य का परचम लहराया है । इन्हीं में से एक महान विदुषी भारती थीं । जो कि उस काल के परम विद्वान मंडन मिश्र की पत्नी थीं ।आदि शंकराचार्य एक ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी थे जिन्होंने अपने समय में […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम- अध्याय , 48 : मायावी लंकेश मर गया

रामचंद्र जी ने आज युद्ध का मोर्चा स्वयं संभाला हुआ था। वह नहीं चाहते थे कि आज भी लक्ष्मण इधर-उधर से आकर युद्ध में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करते हुए रावण वध के लिए अपने आप को झोंक दे। वे छोटे भाई को एक शक्ति के रूप में बचा कर रखना चाहते थे। उन्हें […]

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आज का चिंतन विशेष संपादकीय

‘हिरण्यगर्भ:’ और महा विस्फोट का सिद्धांत

ईश्वर के विषय में यह माना जाता है कि वह सृष्टि के अणु-अणु में विद्यमान है और घट-घट वासी है। उसकी दृष्टि से कोई बच नहीं सकता। अत: वह मनुष्य के प्रत्येक विचार का और प्रत्येक कार्य का स्वयं साक्षी है। जिससे उसकी न्यायव्यवस्था से कोई बच नहीं पाएगा। घट-घट वासी होने से ईश्वर हमारे […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम अध्याय – 47 : लंकेश हुआ भयभीत

रामचंद्र जी आज युद्ध का अंत कर देना चाहते थे । यही कारण था कि वह आज लंका के राजा रावण पर भीषण प्रहार कर रहे थे। आज उन्हें अपना परम शत्रु रावण ही दिखाई दे रहा था, जिसके कारण उस समय भयंकर विनाश हो चुका था। जितने भर भी लोग उस युद्ध में मारे […]

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इतिहास के पन्नों से

संपूर्ण भूमंडल के नायक थे श्री कृष्ण

यूनान देश के यवन लोगों का हिरैक्लीज’ नाम का एक देवता रहा है। जिसकी वह लंबे समय से पूजा करते रहे हैं । कौन था यह हिरैक्लीज ? यदि इस पर विचार किया जाए तो पता चलता है कि इस नाम का देवता विश्व के सबसे अधिक बलशाली व ज्ञान सम्पन्न श्रीकृष्ण जी ही थे। […]

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संपादकीय

कैसे कहूं इन हाथों में, देश सुरक्षित हो जाएगा ?

मेरे एक मित्र कह रहे थे कि राजनीतिज्ञ वही होता है जो बड़ी भारी भीड़ को अपने पीछे खींचकर दूर जंगल में ले जाए और फिर वहां एक ऊंचे पेड़ पर चढ़कर चारों ओर देखकर अपने साथ आई भीड़ को अचानक यह निर्देश दे कि हम गलत दिशा में चले आए, चलो उल्टे चलते हैं। […]

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