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भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 413

हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से .. महान पेशवा बालाजी विश्वनाथ – अध्याय11 मराठा शासनकाल में प्रधानमंत्री को ही पेशवा कहा जाता था। राजा की अष्टप्रधान परामर्शदात्री परिषद में इसका स्थान सबसे प्रमुख होता था। इसलिए बराबर वालों में प्रथम या प्रधान होने के कारण यह पद प्रधानमंत्री का पद बन […]

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राजनीति संपादकीय समाज

संभल विवाद की वास्तविकता

1947 में जब देश आजाद हुआ तो एक मिथक कांग्रेस की ओर से गढ़ा गया कि देश को आजाद कराने में हिंदू – मुस्लिम दोनों समुदायों का बराबर का योगदान है । यद्यपि मुस्लिम अपने लिए अलग देश लेने में सफल हो गए थे, परन्तु जो मुसलमान उस समय देश में रह गए थे, उनका […]

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कविता

कर तू, संधि कर

वेद धर्म के गीत सुनाकर, सबको राह दिखाता चल। जहां-जहां अंधकार मिले, पुरुषार्थ से उसे हटाता चल।। वेद ज्ञान का अमृत पीकर, हो जा, मन से मतवाला। खो जा शिव की मस्ती में, हृदय बना भक्ति वाला।। पारसमणि वेद को लेकर, मन के लोहे पर फेरा कर। आभास किया कर परिवर्तन का, वृत्तियों को तू […]

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कविता

वही देश के रक्षक बनते

राष्ट्र की धड़कन बन जा प्यारे, जीवन सफल बनाना है। गीत देश के गाता चल तू, भारत भव्य बनाना है।। शब्दों के वाक जाल में फंसकर, जिनकी कविता फूटा करती। कभी नहीं लेखनी उनकी, नेतृत्व राष्ट्र का कर सकती।। जिनके भावों में निर्भयता, और ठेठ निडरता वास करे। वही देश के रक्षक बनते, गुणगान सदा […]

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इतिहास के पन्नों से

डॉ. अंबेडकर का संस्कृत प्रेम

इतिहास की पड़ताल पुस्तक से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के एक ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और योग्यता के बल पर अपना विशेष सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त किया। वह भारतीय संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे और प्रारूप समिति के अध्यक्ष के नाते उन्होंने संविधान में वही लिखा जो उनसे संविधान […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 412[ हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक शिवाजी और उसके उत्ताधिकारी पुस्तक से ..] *शिवाजी द्वितीय और महारानी ताराबाई –

इससे पहले कि हम इस अध्याय के बारे में कुछ लिखें मैथिली शरण गुप्त की इन पंक्तियों रसास्वादन लेना उचित होगा- ‘हाँ! वृद्ध भारतवर्ष ही संसार का सिरमौर है। ऐसा पुरातन देश कोई विश्व में क्या और है? भगवान की भवभूतियों का यह प्रथम भंडार है। विधि ने किया नर सृष्टि का पहले यहीं विस्तार […]

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कविता

बहता चल तू बहता चल,

गाता चल तू गाता चल, गीत ओज के गाता चल। राष्ट्र का यौवन मचल उठे, वही गीत निराला गाता चल।। चार दिनों की चांदनी होती, फिर रात अंधेरी आएगी। चांदनी रहते पौरुष दिखला, तभी कथा तेरी मचलाएगी।। कोठी – बंगले, हाथी- घोड़े, किसके साथ गए पगले । संसार की चिकनी फिसलन पर , बड़े – […]

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कविता

यह चार अवस्था मानव की…

हंस भाव में जीता है जो, नर देह वही कहलाता है। ब्रह्मचर्य की यह अवस्था, जीवन सफल बन जाता है।। वसु – भाव में जीने वाला, वर देह का बनता अधिकारी। गृहस्थ आश्रम में रह मानव, तैयार करे जीवन क्यारी।। वानप्रस्थ का जीवन जिसका, उसने परहित में श्रृंगार किया। ‘ होता’ की कर प्राप्त अवस्था, […]

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संपादकीय

महाराष्ट्र ने दिया है हिंदू राष्ट्रवाद का संदेश

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणामों ने केन्द्र की मोदी सरकार को नई ऊर्जा प्रदान की है। हरियाणा के बाद निरंतर दूसरे बड़े और एक महत्वपूर्ण राज्य में जिस प्रकार भाजपा नीत गठबंधन महायुति की सत्ता में फिर से वापसी हुई है , वह न केवल शानदार है बल्कि भाजपा के लिए जानदार भी है। लोकसभा चुनाव […]

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कविता

वह कवि-कभी नहीं हो सकता

वह कवि-कभी नहीं हो सकता, जो नव पीढ़ी को भ्रष्ट करे। जो अधेड़ उम्र में जाकर भी, श्रृंगार – भोग में मस्त रहे।। हिंदी का होकर हिंदी से, जिसका मन करता द्रोह सदा। उर्दू की गजलें करता हो, वह कवि-कभी नहीं हो सकता।। उसको मैं कैसे कहूं कवि, जो अंग्रेजी पर मरता हो। परदेसी भाषा […]

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