डॉ. वेदप्रताप वैदिक सर्वोच्च न्यायालय ने इधर जातीय भेदभाव के आधार पर होनेवाली हिंसा के बारे में कुछ बुनियादें बातें कह डाली हैं। जजों ने 1991 में तीन लोगों के हत्यारों की सजा पर मोहर लगाते हुए पूछा है कि इतने कानूनों के बावजूद देश में से जातीय घृणा का उन्मूलन क्यों नहीं हो रहा […]
लेखक: डॉ वेदप्रताप 'वैदिक'
डॉ. वेदप्रताप वैदिक संसद की संयुक्त संसदीय समिति ने ‘व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षा विधेयक’ पर अपनी रपट पेश कर दी है। संसद के अगले सत्र में कुछ दिन बाद ही यह विधेयक कानून का रुप ले सकता है। इस समिति के 30 सदस्यों में से छह ने इस विधेयक से अपनी असहमति जताई है। इस विधेयक […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक लेकिन इस बार कई ऐसे लोगों को यह सम्मान मिला है, जो न तो अपनी सिफारिश खुद कर सकते हैं और न ही किसी से करवा सकते हैं। उन्हें तो अपने काम से काम होता है। इनमें से कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें न तो पढ़ना आता है और न ही […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक कांग्रेस से ही अन्य दलों ने भी सीखा है कि कोई भी सांसद संसद में अपनी स्वतंत्र राय प्रकट नहीं करता। उससे कोई पूछे कि तुम किसके प्रतिनिधि हो? अपने मतदाताओं के या अपनी पार्टी के ? तुम्हें संसद में चुनकर किसने भेजा है? जनता ने या तुम्हारी पार्टी ने? भारतीय लोकतंत्र […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर पर एक पुस्तक का विमोचन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत और रक्षा मंत्री राजनाथसिंह ने सावरकर पर किए जानेवाले आक्षेपों का कड़ा प्रतिवाद किया है। उन्होंने सावरकर को बेजोड़ राष्ट्रभक्त और विलक्षण स्वातंत्र्य-सेनानी बताया है लेकिन कई वामपंथी और कांग्रेसी मानते हैं कि सावरकर […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक किसी भी महापुरुष का अपमान नहीं किया जाना चाहिए और यदि उनके विरुद्ध कोई अश्लील टिप्पणी करे और जिससे दंगे भी भड़क सकते हों तो उस पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन यह बात सिर्फ राम और कृष्ण के बारे में ही लागू क्यों हो? इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश शेखर […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक दुकानदार हाथ मल रहे हैं कि उनके फल अब बहुत कम बिकते हैं और पड़े-पड़े सड़ जाते हैं। लोगों ने सब्जियाँ और फल खाना कम कर दिया लेकिन दालों के भाव भी दमघोटू हो गए हैं। आम आदमी की जिंदगी पहले ही दूभर थी लेकिन कोरोना ने उसे और दर्दनाक बना दिया […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक संयुक्त राष्ट्र का पूरा ढांचा जब तक नहीं बदलेगा, तब तक सुरक्षा परिषद में सुधार की आशा करना हवा में लट्ठ चलाना है। ‘चौगुटे’ (क्वाड) की बैठक में नई बात क्या हुई ? चारों नेताओं ने पुराने बयानों को फिर से दोहरा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका-यात्रा भारतीय मीडिया में पिछले […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक आज देखा जाये तो विभिन्न प्रदेशों के उच्च न्यायालयों में 1098 जज होने चाहिए लेकिन 465 पद खाली पड़े हैं। इन पदों पर महिलाओं को प्राथमिकता क्यों नहीं दी जाती ? प्राथमिकता देने का यह अर्थ कतई नहीं है कि अयोग्य को भी योग्य मान लिया जाए। भारत के मुख्य न्यायाधीश न.व. […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक हर जाति के लोग अपने आप को पिछड़ा बताने के लिए तैयार हो जाते हैं, क्योंकि नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलेगा। उसका नतीजा यह होना है कि किसी प्रदेश के एक जिले में जो जाति सवर्ण है, वही दूसरे प्रदेश के अन्य जिले में पिछड़ी है। सर्वोच्च न्यायालय के एक प्रश्न […]