डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत के लोगों को गर्व होना चाहिए, क्योंकि यहां की सरकारें तख्ता-पलट से नहीं, चुनावों से उलटती और पलटती रहती हैं। इसीलिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाता है। यह बात अलग है कि चुनाव उम्मीदवारों के गुण-दोष पर नहीं होते बल्कि उनकी जात, मजहब और भाषा के आधार पर होते […]
लेखक: डॉ वेदप्रताप 'वैदिक'
डॉ. वेदप्रताप वैदिक रूस ने यूक्रेन की सीमा पर लगभग एक लाख फौजियों को अड़ा रखा है। यूक्रेन के दोनबास क्षेत्र पर पहले से रूस-समर्थक बागियों का कब्जा है। यूक्रेन पर लंबे समय तक रूस का राज रहा है। वह अभी लगभग दो-दशक पहले तक रूस का ही एक प्रांत भर था। इस समय यूक्रेन […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक उ.प्र. के चुनाव में इस समय दो ही पार्टियों का बोलबाला है। भाजपा और सपा ! बसपा और कांग्रेस भी मैदान में हैं लेकिन दोनों हाशिए पर हैं। भाजपा और सपा ने अपने उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की है, उनमें इन उम्मीदवारों की खूबियां नहीं, जातियां गिनाई गई हैं। उत्तर […]
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* सर्वोच्च न्यायालय ने उन प्रदेश-सरकारों को कड़ी झाड़ लगाई है, जिन्होंने कोरोना महामारी के शिकार लोगों के परिवारों को अभी तक मुआवजा नहीं दिया है। सर्वोच्च न्यायालय का आदेश था कि प्रत्येक मृतक के परिवार को 50 हजार रु. का मुआवजा दिया जाए। सभी राज्यों ने कार्रवाई शुरु कर दी लेकिन उसमें […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक यदि सुभाष बाबू 1945 की हवाई दुर्घटना में बच जाते और आजादी के बाद भारत आ जाते तो नेहरु का प्रधानमंत्री बने रहना काफी मुश्किल में पड़ जाता। लेकिन नेहरु का बड़प्पन देखिए कि अब से 65 साल पहले वे सुभाष बाबू की बेटी अनिता शेंकल को लगातार 6000 रु. प्रतिवर्ष भिजवाते […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक यह संतोष का विषय हो सकता है कि आजकल दुनिया के दर्जनों विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाने लगी है लेकिन कुछ अपवादों को छोड़कर विदेशी लोगों को उनकी सरकारों द्वारा हिंदी इसलिए पढ़ाई जाती है कि उन्हें या तो भारत के साथ कूटनीति या जासूसी के काम में लगाना होता है। विश्व […]
भारत की हजारों संस्थाओं को मिलनेवाले विदेशी पैसे पर कड़ी निगरानी अब शुरु हो गई है। विदेशों की मोटी मदद के दम पर चलनेवाली संस्थाओं की संख्या भारत में 22,762 है। ये संस्थाएं समाज-सेवा का दावा करती हैं। विदेशी पैसे से चलनेवाली इन संस्थाओं में कई शिक्षा-संस्थाओं, अस्पतालों, अनाथालयों, विधवा आश्रमों आदि के अलावा ऐसे […]
डॉ. वेद प्रताप वैदिक ‘भारत-रत्न’ सम्मान को देश का सबसे ऊंचा सम्मान कहा जाता है, लेकिन इस बार जिन तीन लोगों को यह सम्मान दिया गया है, उन्हें देकर ऐसा लगता है कि मोदी सरकार अपना अपमान करवा रही है। कई अखबारों और टीवी चैनलों ने इन सम्मानों के पीछे कई दुराशय खोज निकाले हैं। […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक आधार-कार्ड को मतदाता पहचान-कार्ड से जोड़ने के विधेयक को लोकसभा ने पारित कर दिया है। वह राज्यसभा में भी पारित हो जाएगा लेकिन विपक्ष ने इस नई प्रक्रिया पर बहुत-सी आपत्तियां की हैं। उनकी यह आपत्ति तो सही है कि बिना पूरी बहस किए हुए ही यह विधेयक कानून बन रहा है […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक अब से लगभग 60 साल पहले जब मैं प्रसिद्ध फ्रांसीसी विचारक पियरे जोजफ प्रोधों को पढ़ रहा था तो उनके एक वाक्य ने मुझे चौंका दिया था। वह वाक्य था- ‘सारी संपत्ति चोरी का माल होती है।’ दूसरे शब्दों में सभी धनवान चोर-डकैत हैं। यह कैसे हो सकता है, ऐसा मैं सोचता […]