Categories
पर्व – त्यौहार

सामाजिक एकता का पर्व दिवाली*

सामाजिक एकता का पर्व दिवाली* सुरेश हिन्दुस्थानी भारत के त्यौहारों की विशेषता यह है कि यह सामाजिक एकता के अनुपम आदर्श हैं। इसी भाव के साथ प्राचीन काल से यह पर्व हम सभी मनाते चले आ रहे हैं। वर्तमान में पर्वों का यह शाश्वत भाव आज भी प्रचलन मे है। दीपावली के त्यौहार पर भी […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

बलिदान दिवस पर विशेष…. — आदर्श नायिका हैं वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई

डॉ. वंदना सेन भारत में ऐसे कई महान व्यक्तित्व हुए हैं, जिनका जीवन हमको देश के लिए जीना सिखाता है। उनके हर कदम भारत के वीर भाव को ही प्रदर्शित करते थे। यहां यह बताना भी बहुत जरुरी है कि देश याने क्या? देश केवल भूमि नहीं, बल्कि वहां रहने वाली संतति ही है। इसलिए […]

Categories
हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

सनातन का पर्याय हैं स्वामी विवेकानंद

डॉ. वंदना सेन उठो जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत। स्वामी विवेकानंद जी जब ऐसा बआह्वान करते हैं तो स्वाभाविक रूप से यही व्यक्त करते हैं कि युवाओं के सामने सनातन को संवारने का एक स्पष्ट लक्ष्य होना चाहिए। यह वाक्य केवल शब्दों का समुच्चय नहीं, बल्कि सफल जीवन का एक पाथेय है। विवेकानंद […]

Categories
हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

शिक्षक का जीवन राष्ट्र के लिए अतुलनीय पाथेय

डॉ. वंदना सेन व्यक्ति जीवन भर शिक्षा ग्रहण करता है, तब भी शिक्षा का कोई न कोई अध्याय अधूरा ही रह जाता है। लेकिन भारत के राष्ट्र निर्माता कहे जाने वाले शिक्षक अपने शिष्य में अपनी छवि का दर्शन देखना चाहते हैं। शिक्षक वही है, जो अपने अनुसार देश का चरित्र निर्माण कर सके। अपने […]

Categories
हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

मुंशी प्रेमचंद जयंती 31 जुलाई पर विशेष आज भी प्रासंगिक है प्रेमचंद का साहित्य साहित्य जगत की प्रेरणा हैं प्रेमचंद

डॉ. वंदना सेन महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का साहित्य कालजयी है। उन्होंने देश और समाज के बारे में गंभीर चिंता करते हुए अपनी लेखनी चलाई है। समाज की जटिलताओं को कहानी और उपन्यासों के माध्यम से जिस प्रकार से प्रस्तुत किया है, उसके बारे में निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वे आज […]

Categories
हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

उत्कृष्ट जीवन की प्रेरणा हैं श्रीराम

डॉ. वंदना सेन प्रायः कहा जाता है कि जीवन हो तो भगवान श्रीराम जैसा। जीवन जीने की उच्चतम मर्यादा का पथ प्रदर्शक भगवान श्रीराम के जीवन पर दृष्टिपात करेंगे तो निश्चित ही हमें कई पाथेय दिखाई देंगे, लेकिन इन सबमें सामाजिक समरसता का आदर्श उदाहरण कहीं और दिखाई नहीं देता। अयोध्या के राजा श्रीराम ने […]

Categories
भाषा

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष : प्रथम गुरु की तरह ही है मातृभाषा

डॉ. वंदना सेन जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ है माँ से सीखी हुई भाषा। बालक यदि माता-पिता के अनुकरण से किसी भाषा को सीखता है तो वह भाषा ही उसकी […]

Categories
इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

राष्ट्रीय समाज के लिए प्रेरणा हैं बिरसा मुंडा

जयंती पर विशेष…. डॉ. वंदना सेन भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने वाले कई महानायकों का पूरा जीवन एक ऐसी प्रेरणा देता है, जो देश और समाज को राष्ट्रीयता का बोध कराता है। कहा जाता है कि जो अपने स्वत्व की चिंता न करते हुए समाज के हित के लिए कार्य करता है, वह नायक निश्चित […]

Categories
भाषा

भारत के स्वत्व की पहचान है हिन्दी

डॉ. वंदना सेन स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में भारत के स्वत्व को पुनर्स्थापित करने का जिस प्रकार से प्रयास किया जा रहा है, उसके कारण निश्चित ही आम जनमानस में यह धारणा बनी है कि भारत की विरासत गौरवमयी है। भारत में विश्व गुरू बनने की क्षमता आज भी विद्यमान है। लेकिन हमें यह भी […]

Categories
इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ज्ञान चक्षु खोलने में समर्थ है शिकागो व्याख्यान

डॉ. वंदना सेन वर्तमान में जिस प्रकार से देश प्रगति कर रहा है, उसी प्रकार से कुछ लोग भारतीयता से दूर भी होते जा रहे हैं। हालांकि इस निमित्त कई संस्थाएं भारतीय संस्कारों को जन जन में प्रवाहित करने के लिए प्रयास कर रही हैं। यही कार्य भारत के संत मनीषियों ने किया था, जिसके […]

Exit mobile version