शंकर शरण किसी पार्टी का वर्चस्व हो, भारत के विभिन्न हिस्सों में मिशनरी-तंत्र निःशब्द फैल रहा है। छल-प्रपंच के सिवा अपने स्कूल, कॉलेज, नर्सिंग ट्रेनिंग कॉलेज, आदि संस्थाओं में प्रवेश देने, या फीस माफ कर देने के एवज में भी धर्मांतरण कराया जाता है। चूँकि यहाँ अब लगभग सभी चर्च-मिशनरी भारतीय ही हैं, इसलिए वे […]
लेखक: डॉ शंकर शरण
बीते दिनों वसीम रिजवी ने सनातन धर्म ग्रहण कर लिया। इसके पहले इंडोनेशिया के संस्थापक और प्रथम राष्ट्रपति की पुत्री सुकमावती सुकर्णोपुत्री ने इस्लाम छोड़ विधिवत हिंदू धर्म स्वीकार किया था। मुस्लिम देशों में इस्लाम छोड़ने, उस पर विश्वास न रखने और इस्लामी मान्यताएं ठुकराने वाले मुसलमानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सुकर्णोपुत्री […]
शंकर शरण लगता है कि भारत के अनेक प्रभावी बुद्धिजीवी और पत्रकार, विदेशी लोग यहाँ की 80 प्रतिशत जनता के हिन्दू होने, उस की भावना, दुःख और उस पर होते भेद-भाव से निरे अनजान, बेपरवाह हैं। वे भूलकर भी नहीं बताते कि मुस्लिम देशों में रहने वाले हिन्दुओं के साथ क्या बर्ताव होता है। किस […]
भारतीय परंपरा में साधुओं के साथ-साथ शिक्षकों, विद्वानों को भी सहज सम्मान देने की प्रवृत्ति रही है, लेकिन जिस तरह रंगे कपड़े पहनकर नकली लोग भी कई बार “साधु” कहला लेते हैं, उसी तरह बड़े अकादमिक पद पर रहकर सामान्य लफ्फाज भी “विद्वान” कहलाते हैं। एक उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। गत 18 […]
आपने देखा होगा जैसे ही पाकिस्तान ने भारत से क्रिकेट मैच जीता उनके खिलाड़ियों ने पिच पर नमाज पढ़ी और बाद में पाकिस्तान के टीवी पैनलिस्ट और एक्सपर्टस ने इस नमाज मूवमेंट को ये कहकर ग्लोरिफाई किया कि हमने हिंदुओं यानी काफिरों के सामने नमाज पढ़ी… ये हरकत मुसलमानों ने कोई पहली बार नहीं की […]
“यह स्मरण रहे कि पंडित नेहरू कोई अपनी तरह के अकेले चरित्र नहीं थे; न ही नेहरूवाद कोई अपनी तरह की अकेली परिघटना है। जिन समाजों को पराजित होने का दुर्भाग्य सहना पड़ा और कुछ समय पराए शासन में रहना पड़ा, उन सभी समाजों में ऐसे कमजोर दिमाग लोग और दासवत चिंतन प्रक्रिया देखी गई […]
नाथूराम गोडसे के नाम और उनके एक काम के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधीजी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा दिए गए बयान को प्रकाशित करने […]
शंकर शरण। बांग्लादेश में दुर्गापूजा पंडालों का विध्वंस, मंदिरों पर हमले और हिंदुओं की हत्याओं पर दुनिया के अधिकांश लोग इसके बावजूद अनभिज्ञ हैं कि यह सब पहली बार नहीं हुआ। बांग्लादेश में हिंदू संहार गत कई दशकों से सतत जारी विश्व की सबसे बड़ी घटना है। इसे नरसंहार कहना अतिरंजना नहीं। संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, […]
रूस में 25 अक्तूबर (या 7 नवंबर) 1917 की घटना को पहले अक्तूबर या नवंबर क्रांति कहा जाता था, लेकिन 1991 में कम्युनिज्म के विघटन के बाद स्वयं रूसी उसे ‘कम्युनिस्ट पुत्स्च’ यानी “तख्तापलट” कहने लगे, जो वह वास्तव में था। उस दिन सेंट पीटर्सबर्ग में ब्लादिमीर लेनिन के पागलपन या दुस्साहस से मुट्ठी भर […]
( लेखक : डॉ शंकर शरण ) हमारे देश की पाठ्य-पुस्तकों में जवाहरलाल नेहरू का गुण-गान होते रहना कम्युनिस्ट देशों वाली परंपरा की नकल है। अन्य देशों में किसी की ऐसी पूजा नहीं होती जैसी यहाँ गाँधी-नेहरू की होती है। अतः जैसे रूसियों, चीनियों ने वह बंद किया, हमें भी कर लेना चाहिए। वस्तुतः खुद […]