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इतिहास के पन्नों से

कम्युनिज्म (साम्यवाद) का काला इतिहास

लेखक : डॉ. शंकर शरण रूस में 25 अक्तूबर (या 7 नवंबर) 1917 की घटना को पहले अक्तूबर या नवंबर क्रांति कहा जाता था, लेकिन 1991 में कम्युनिज्म के विघटन के बाद स्वयं रूसी उसे ‘कम्युनिस्ट पुत्स्च’ यानी “तख्तापलट” कहने लगे, जो वह वास्तव में था। उस दिन सेंट पीटर्सबर्ग में ब्लादिमीर लेनिन के पागलपन […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

_मौलाना आजाद किस बूते ‘राष्ट्रीय शिक्षा’ के प्रतीक हैं?_

शंकर शरण वर्ष २००८ में भारत में मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन 11 नवंबर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ घोषित किया था। यह भारत के शैक्षिक-सांस्कृतिक पतन का ठोस प्रमाण है, कि शिक्षा के ऐसे क्षुद्र राजनीतिकरण पर भी कोई आवाज नहीं उठी। उलटे अधिकांश बौद्धिक हर साल इस दिन को मौलाना आजाद का गुणगान […]

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इतिहास के पन्नों से

जब मुस्तफा कमाल ने इस्लामी खलीफत खत्म की!-2

यह खलीफत आंदोलन भारत में – और केवल भारत में – चार वर्षों से चल रहा था। इस बीच 24 नवंबर 1923 को दो प्रमुख भारतीय मुस्लिम – आगा खान और अमीर अली – ने भारतीय मुसलमानों की ओर से तुर्की प्रधानमंत्री इस्मत इनोनू को एक विरोध-पत्र लिखा। इस में खलीफा का सम्मान बहाल करने […]

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इतिहास के पन्नों से

*जब मुस्तफा कमाल ने खलीफत खत्म की! (भाग १)*

▪️ ‘खलीफा’ दुनिया के मुसलमानों के सर्वोच्च मजहबी-राजनीतिक प्रमुख होते थे। यह प्रोफेट मुहम्मद के देहांत बाद शुरू हुआ, जब उन के उत्तराधिकारी अबू बकर प्रथम खलीफा बने। वे 632 से 634 ई. तक खलीफा रहे। पर दो‌ ही दशक बाद से मुख्यतः ईराकी और तुर्की लोग खलीफा बनते रहे। 1517 ई. से लगातार तुर्की […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

भारत में वामपंथ और उसकी राजनीति

टुकड़े टुकड़े वामपंथ भारत में सनातन की चिंता करने वाले को आमतौर पर ‘दक्षिणपंथी’ कहा जाता है। लेकिन यहां की चिंताएं अमेरिका या अफ़्रीका के मूल निवासियों की चिंताओं से अलग नहीं हैं। पश्चिमी सांस्कृतिक, व्यापारिक, धार्मिक दबावों के खिलाफ़ सनतनियों का विरोध उसी तरह का है, जो अमेरिका में रेड-इंडियन या ऑस्ट्रेलिया में एबोरिजनल […]

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देश विदेश

इस्लामी देशों की दुर्दशा का दुष्चक्र, उन्नति, खुशहाली और सामाजिक शांति के लिए शरीयत के कायदे छोड़ना आवश्यक

आर्थिक बदहाली के शिकार पाकिस्तान की हालत पर तरस खाकर हाल में एक राष्ट्रवादी व्यक्ति ने उत्साहित होकर इस पड़ोसी देश को अनाज भेजने का सुझाव दिया। हालांकि, यह तार्किक नहीं। पाकिस्तान की समस्या उसके जन्म के कारण से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। दरअसल पाकिस्तान का निर्माण जिस इस्लामी अवधारणा के आधार पर […]

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आज का चिंतन

सभी धर्मों में एक ही बात नहीं…

(ले० डॉ० शंकर शरण ) एक प्रवासी हिन्दू भारतीय की बिटिया ने किसी मुस्लिम से विवाह का निश्चय किया तो वह बड़े दुःखी हुए। उन्होंने समझाने का प्रयास किया कि यह उस के लिए, परिवार के लिए और अपने समाज के लिए भी अच्छा न होगा। तब बिटिया ने कहा, ‘मगर पापा, आप ही ने […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

नेताजी सुभाषचंद्र बोस को ‘तोजो का कुत्ता’ बताते थे वामपंथी…*

* लगभग आरंभ से ही कम्युनिस्टों को अपनी वैज्ञानिक विचारधारा और प्रगतिशील दृष्टि का घोर अहंकार रहा है। लेकिन अनोखी बात यह है कि इतिहास व भविष्य ही नहीं, ठीक वर्तमान यानी आंखों के सामने की घटना-परिघटना पर भी उनके मूल्यांकन, टीका-टिप्पणी, नीति, प्रस्ताव आदि प्राय: मूढ़ता की पराकाष्ठा साबित होते रहे हैं। यह न […]

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मुद्दा

गंगा जमुनी तहजीब का सच

अभी तसलीमा नसरीन ने कहा कि “जब गैर-मुस्लिम अपने धर्म की आलोचना करते हैं तो उन्हें बुद्धिजीवी कहा जाता है। जब मुस्लिम अपने धर्म की आलोचना करते हैं तो उन्हें इस्लाम का दुश्मन, यहूदी, रॉ का एजेंट सहित जाने क्या-क्या कहा जाता है।” क्या इस पर मुसलमानों को सोचना नहीं चाहिए? बात तो सही है। […]

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महत्वपूर्ण लेख

हेट-स्पीच पहले परिभाषित तो करें!

(भारत में दशकों से आम दृश्य है कि विशेष समूहों, दलों की ओर से जाति, वर्ग, धर्म, आदि संबंधित कितने भी उत्तेजक भाषण क्यों न हों, उस पर तीनों शासन अंग चुप रहते हैं। जैसे, ब्राह्मणों के विरुद्ध अपशब्द कहना आज एक फैशन है जिस में हमारे सभी राजनीतिक दल शामिल हैं। हमारे देवी-देवताओं को […]

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