जिस प्रकार भौतिकवाद सभ्यता का उद्गम स्रोत होता है उसी प्रकार अध्यात्मवाद संस्कृति का उदगम स्रोत होता है। जिस समाज अथवा राष्ट्र में नैतिकता अथवा उच्च संस्कारों का अभाव होता है और अनैतिकता एवम तुच्छ संस्कारों का बोल बाला होता है, वहां संस्कृति नही होती वहां या तो पाशविकता होती है अथवा फिर जंगली राज्य। […]
लेखक: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
महामति चाणक्य ने कहा है कि दुष्ट लोग मन की दुष्टता को छुपाए रखते हैं और केवल जीभ से अच्छी बातें करते हैं। मन से परपीड़न आदि के उपाय सोचते हैं और वाणी से परोपकार, देश-सेवा, साधुता आदि का बखान करते हैं। भारत के पड़ोस में एक ऐसा ही व्यक्ति परवेज मुशर्रफ के नाम से […]
स्वामी संकल्पानंद जी महाराज ने मानव जीवन के लक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए बड़ा सुंदर कहा है-श्रण्वन्तु विश्वे अमृतस्य पुत्रा: (ऋग्वेद 10-13-1) मानव जीवन अतीव, पवित्र एवं श्रेष्ठ है। मनुष्य कर्मयोगी है, इस कारण मानव जीवन पाकर मनुष्य ऋषि, पितर और देवपद भी पा सकता है और राक्षस पद भी। बस, यह बात कर्मयोगी के […]
राजस्थान के सवाई माधोपुर में होली के पर्व पर एक ही परिवार के पांच सदस्यों ने जहरीला मादक पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। इस परिवार का मानना था कि शिव जी इस मादक पदार्थ से प्रसन्न होकर हमारे घर आएंगे और हमारी जान बचा लेंगे। लेकिन शिव तो नही आए, हां यमदूत अवश्य आ गये […]
वर्तमान सृष्टि संवत 1, 96, 08, 53, 113 का अंतिम पर्व होली देशवासियों के लिए मंगलमय हो। होली का ये पावन पर्व प्राचीन काल में नवान्नेष्टि पर्व के नाम से मनाया जाता था। नवान्नेष्टि की संधि विच्छेद करने से नव+अन्न+इष्टि ये तीन शब्द हमें प्राप्त होते हैं। इनका अभिप्राय है कि यह पर्व नये अन्न […]
आज का बिहार नीतीश का बिहार है। यह सच है कि नीतीश के शासन काल में बिहार ने बहुत कुछ पाया है। लालू-राबड़ी के राज में बिहार ने जिस प्रकार अपने वैभव को गंवाया उसे नीतिश ने पुन: लौटाया है। इस बात को आम बिहारी ही नही पूरे देशवासियों के साथ नीतीश कुमार के विरोधी […]
18 मार्च, अर्थात ‘उगता भारत’ परिवार की पूज्यनीया माताश्री श्रीमती सत्यवती आर्या जी की पुण्यतिथि, अर्थात बीते हुए कल की बातों को कुरेदने का दिन, अर्थात मां के साथ बीते हुए पलों को याद करने का दिन है। जब 18 मार्च 2006 को माताश्री गयीं थीं तो वह दिन जीवन भर के लिए गमगीन यादों […]
वेदोअखिलोधर्ममूलम् (मनु. 2.6) अर्थात धर्म का आधार वेद है। यह मनुमहाराज ने कहा है। आगे मनु ने धर्म के लक्षण बताते हुए कहा- वेद:स्मृति सदाचार: स्वस्य च प्रियमात्मन:। एतच्चतुर्विधं प्राहु: साक्षात धर्मस्य लक्षणम्।। (मनु 2.12)अर्थात वेद, स्मृति, सदाचार और अपनी आत्मा के ज्ञान के अनुकूल आचरण ये चार धर्म के लक्षण हैं। तात्पर्य हुआ कि […]
उपनिषदों का मानना है कि जो पिण्ड में है वही विशाल रूप में ब्रह्मांड में है, और जो ब्रह्मांड में है वही सूक्ष्म रूप में पिण्ड में है। पिण्ड में आत्मा है तो ब्रह्मांड में परमात्मा है। हमारे ऋषि मुनियों ने जो ब्रह्मांड में देखा उसे पिण्ड में खोजा। उन्होंने प्राचीन काल में गंगा, यमुना […]
प्रात:काल में कानों में भजन की ये पंक्तियां सुनायी दीं। बड़ा अच्छा लगा। कितनी सरल सी बात है कि ऐ मानव तू अपने मन पर अधिकार कर ले, मन का स्वयं चेला मत बन, अपितु उसे अपना चेला बना ले। बस, हो गया तेरा भजन। भजन की इन पंक्तियां को सुनने से लगता है कि […]