गाय की रीढ़ की हड्डी में सूर्यकेतु नाड़ी होती है। यह नाड़ी गाय के रक्त में स्वर्णक्षार बनाती है। यही स्वर्णक्षार पीले पीले सुनहरे रंग में हमें गाय के दूध घी आदि में स्पष्ट दीखता है। यही कारण है कि गौदुग्ध का सेवन करने वाले व्यक्ति के रंग से स्वर्णिम आभा झलकने लगती है। भारत […]
लेखक: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
गतांक से आगे….चसोने के लिए तो घास और लकड़ी के बने हुए सादे झोंपड़े ही उत्तम हैं। ये झोंपड़े खुली वायु में जहां सघन वृक्षावलि और काफी रोशनी मिलती हो बनाने चाहिए। जमीन पर मुलायम घास बिछाकर अथवा रेतीली मिट्टी बालू बिछाकर सोना उत्तम है। मिट्टी के स्नान से दाह और अन्य पुराने रोग भी […]
गतांक से आगे….उनकी भौतिक प्रवृत्ति से यही प्रतीत होता है कि न उनका कोई पशु है न पक्षी। जो है वह मारकर खाने के ही लिये हैं। इसी तरह न उनका कोई इष्टमित्र है न नौकर चाकर। जो है वह अपना स्वार्थ साधन करने के लिए अथवा अपना काम कराने के लिए। इसी तरह न […]
अंग्रेजी के जैंटलमैन को हिंदी के ‘भद्रपुरूष’ (भले आदमी) का समानार्थक मानने की भूल उसी प्रकार की जाती है जिस प्रकार रिलीजन को धर्म का पर्यायवाची मानकर की जाती है। ‘भले आदमी’ को किसी के विषय में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है जैसे वह दिमागी रूप से कमजोर हो या किसी प्रकार से भी […]
वैदिक संपत्तिउपक्रम : संसार के सभी मनुष्य सुख शांति चाहते हैं और उसको प्राप्त करने के लिए अपनी परिस्थिति के अनुसार कभी भौतिक और कभी आध्यात्मिक साधनों के द्वारा प्रयत्न भी करते हैं। परंतु उनकी सुख शांति का आदर्श वही होता है, जिससे कि वे प्रभावित होते हैं, और उसी प्रकार के ही प्रयत्नों का […]
1912 ई. में भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली लायी गयी। अंग्रेजों ने अभी तक ‘ब्रिटिश भारत’ पर कोलिकाता (कलकत्ता) से ही शासन किया था। पर वह देश के एक कोने में स्थित था, इसलिए अंग्रेजों को प्रशासनिक असुविधा तो थी ही साथ ही पूरे भारत को लूटने का काम भी दिल्ली से ही सरल […]
आर्यसभ्यता का उज्जवल स्वरूपआर्यसभ्यता का उज्ज्वल स्वरूप तो आश्रमों में ही दिखलाई पड़ता है, जहां कि आर्यों का तीन चतुर्थांश भाग सादे और तपस्वी जीवन के साथ विचरता है और एकचतुर्थांश भाग उसी तीन चतुर्थांश भाग की सेवा में लगा रहता है। इसी तरह आर्य सभ्यता का आपत्कालिक रूप वर्णों में दिखलाई पड़ता है जो […]
कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह इस समय ‘अपेक्षाकृत शांत’ दीख रहे हैं। पूरा देश पांच राज्यों के चुनावों को जब 2014 के लोकसभा चुनावों का पूर्वाभ्यास मान रहा है और इन चुनावों में अपेक्षा से अधिक रूचि दिखा रहा है तब दिग्विजय सिंह का शांत रहना कई प्रश्न खड़े करता है।दिग्विजय सिंह कांग्रेस के बड़बोले […]
भारत में इस समय एक अनुमान के अनुसार 14735 कानून ऐसे हैं जो ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने भारतीयों पर शासन करने के लिए बनाये थे। 1857 की क्रांति असफल होते ही अंग्रेजों ने भारत में अपना दमनचक्र और भी क्रूरता से चलाना आरंभ कर दिया था। तब सन 1858 में महारानी विक्टोरिया ने ‘ईस्ट […]
भारत में पत्रकारिता का इतिहास बड़ा ही गौरवपूर्ण रहा है। स्वतंत्रता संग्राम को पत्रकारिता ने नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया था। हमारे बहुत से बड़े नेता उस समय या तो अपना समाचार पत्र निकालते थे या समाचार पत्रों के लिए नियमित लिखते थे। उस लिखने का जनता पर बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ता था। हमारे नेताओं की […]