गतांक से आगे…..नदियों के नामजिन शब्दों से यहां लोक की नदियां पुकारी जाती हैं, वेदों में उन्हीं शब्दों के कई अर्थ होते हैं। उन शब्दों का जो धात्वर्थ है, वह चलने वाला-बहने वाला-वेगवाला आदि होता है। नदियां भी इसी प्रकार का गुण रखती हैं। वे भी चलने वाली, बहने वाली और वेगवाली होती हैं, इसीलिए […]
लेखक: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
देश के लिए केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने जो भूगर्भीय जल के विषय में रिपोर्ट दी है, वह काफी खतरनाक है। जिसके अनुसार देश के 802 ब्लॉकों में भूजल के अति दोहन से जल संकट गहरा रहा है और यदि यही स्थिति रही तो अगले 15 वर्ष में देश की आधी आबादी जलसंकट से जूझ रही […]
देश को आजाद हुए 67 वर्ष हो गये, पर दुर्भाग्य है हमारा कि आज भी हमारे देश में लगाया पैंतीस हजार वही कानून लागू हैं, जो अंग्रेजों ने अपने शासनकाल के दौरान लागू किये गये थे। कानूनी प्रक्रिया भी वही है, जो अंग्रेजों ने यहां चलायी थी। अंग्रेजों की न्यायप्रणाली में दोष होना स्वाभाविक है […]
गतांक से आगे…..बस, आकाशस्थ ऋषियों का इतना ही वर्णन करना है। इसके आगे अब यह दिखलाना है कि शरीरस्थ इंद्रियों को भी ऋषि कहा गया है। यजुर्वेद में लिखा है कि-सप्तऋषय: प्रतिहिता: शरीरे सत्प रक्षन्ति सदमप्रमादम।सप्ताप: स्वपतो लोकमीयुस्तत्र जागृतो अस्वप्नजौ सत्रसदौ च देवौ।अर्थात शरीर में सात ऋषियों का वास है उनके सोने पर भी दो […]
देवेन्द्र सिंह आर्यप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालते ही संविधान की धारा 370 पर राष्ट्रीय बहस शुरू हो गयी है। इस धारा को राष्ट्रवादी दलों व लोगों ने शुरू से ही आपत्तिजनक माना है। इसके आपत्तिजनक मानने के कुछ ठोस कारण हैं, जैसे-– जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।-जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग […]
राजनीति को हमारे देश में प्राचीन काल में राष्ट्रनीति कहा और माना जाता था। राष्ट्र एक अमूर्त्त भावना का नाम है। मैं आपके प्रति सम्मान भाव रखता हूं, और आप मेरे प्रति रखते हैं-यह जो सम्मान भाव रखने की परंपरा है ना, यह दीखती नही है, पर वास्तव में ये ही वो चीज है जो […]
गतांक से आगे…..इसको स्वर्ग ऊपर भेजने वाले विश्वामित्र ही थे। इसलिए इस त्रिशंकु के नीचे ही, दक्षिण में विश्वामित्र नामी नक्षत्र होना चाहिए। क्योंकि उत्तर स्थित वशिष्ठ और दक्षिण स्थित विश्वामित्र के दिशाविरोध से ही वशिष्ठ और विश्वामित्र का विरोधालंकार प्रसिद्घ हुआ है। इन कौशिक अर्थात विश्वामित्र का वर्णन वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड सर्ग 80 में […]
26 मई को नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन गये हैं तो जरा याद करें 3 जून 1947 का वो मनहूस दिन जब कांग्रेस ने सत्ता प्राप्ति की चाह में जल्दबाजी दिखाते हुए साम्प्रदायिक आधार पर देश का बंटवारा मान लिया था, और बंटवारे को लेकर की गयी उस बैठक से स्वातंत्रय वीर सावरकर जैसे […]
गतांक से आगे….. राजा अम्बरीष हम ऊपर लिख आए हैं कि अम्बरीष का वर्णन सहदेव के साथ आया है और वहां इसका अर्थ आमड़ा वृक्ष ही होता है। दूसरी जगह अमरकोष में अम्बरीष भड़भूंजे के भाड़ को भी कहते हैं। इससे अम्बरीष राजा सिद्घ नही होता। राजा त्रिशंकु यह राजा भी सूर्यवंश का है। इसके […]
भारत के लोकतंत्र को बिकाऊ घोड़ों की मण्डी बनाने वालों और यहां आम चुनावों में मिलने वाले जनादेश की मनमानी व्याख्या करके सिरों की गिनती के आधार पर लोकतंत्र के साथ ‘क्रूर उपहास’ करने वाले लोगों के लिए वास्तव में ही सोचने का समय है। 16वीं लोकसभा में देश के मतदाताओं ने जिस परिपक्वता के […]