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विशेष संपादकीय

पी.एम. का ‘श्रमेव जयते’ उदघोष

विगत 16 अक्टूबर को राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम’ का शुभारंभ कर श्रम पर पूंजी के अनैतिक और अवैधानिक राज को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने श्रमिकों को ‘राष्ट्र योगी और राष्ट्र निर्माता’ जैसे विशेष अलंकरणों से संबोधित कर उनकी उपयोगिता, […]

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विशेष संपादकीय

‘वन्देमातरम्’ को राष्ट्रगान घोषित करो

वेदों में मातृभूमि-वंदना बड़ी प्राञ्जल भाषा में की गयी है। वास्तव में साहित्य वही होता है, जो पाठक के भीतर मचलन उत्पन्न करे। उसके भीतर अवैज्ञानिक, अतार्किक और बुद्घिहीनता की परिचायक धारणाओं, मान्यताओं और परंपराओं के लगे ढेर में आग लगा दे, उसकी होली जला दे। शिक्षा का उद्देश्य भी यही है, और गुरू (गु […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-34

गतांक से आगे…. इन्हीं दोनों को ऋग्वेद 10 /14/11 में यौ ते श्वानौ यम रक्षितारौ चतुरक्षौ पथिरक्षी कहा गया है। ये श्वान सदैव द्विवचन में कहे गये हैं, जिससे ज्ञात होता है कि वे दो हैं। पर तिलक महोदय श्वान के विषय के जो चार प्रमाण देते हैं, उनमें सर्वत्र एक ही वचनवाला श्वान कहा […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-33

गतांक से आगे….. ये मिनट बढक़र दो हजार वर्ष में एक मास के बराबर हो जाते हैं। परिणाम यह होता है कि हर दो हजार वर्ष में वसंत सम्पात नाक्षत्र वर्ष से एक महीना पीछे हो जाता है। इसी कारण से कृत्तिकाकाल मृगशीर्षकाल और पुनर्वसुकाल से संबंध रखने वाले तीनों पंचांगों का वर्णन किया गया […]

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विशेष संपादकीय

वैज्ञानिकों का हार्दिक अभिनंदन

एक ऐसी खुशी जो हमें कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कामरूप तक एक होने की गौरवपूर्ण अनुभूति कराने की क्षमता रखने में समर्थ हो तो उस खुशी में ही झलकता है हमारे भीतर का छिपा हुआ राष्ट्र्रवाद और छिपी हुई राष्ट्रीयता। मंगलयान की सफलता पर 24 सितंबर को जब देश के प्रधानमंत्री मोदी ने […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-32

गतांक से आगे….. ज्योतिष द्वारा स्थिर किया हुआ वेदों का समय अब तक दो आक्षेपों का उत्तर देते हुए दिखलाया गया है कि मिश्र की सभ्यता वेदों से पुरानी नही है और न वेदों में कोई ऐतिहासिक वर्णन ही है। उक्त दोनों आक्षेपों का जिनसे वेदों की आयु कायम की जाती है, संशोधन हो गया। […]

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विशेष संपादकीय

हमारे लिए पहचान का संकट

हम भारतीय यदि अपने आपसे पूछें कि हम कौन हैं? तो भारी वितण्डा खड़ा हो जाएगा। एक कहेगा कि हम हिंदू हैं, तो दूसरा कहेगा-नही, यह नही हो सकता, हम तो मुसलमान हैं, फिर तीसरा कुछ और बताएगा तो चौथा इन सबसे अलग होगा। जब इस पर विवाद होगा तो बिहारी, मराठी, गुजराती, राजस्थानी आदि […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-31

गतांक से आगे….. अति प्राचीन भाष्यकार भी वेदों में इतिहास मानते हैं। इस समय वेदों को छोडक़र शेष समस्त साहित्य में ब्राह्मण ग्रंथ और निरूक्त ही प्राचीन हंै। इन दोनों के देखने से विदित होता है कि अति प्राचीन काल में भी वेदों में इतिहास के मानने और न मानने वाले थे। गोपथ ब्राह्मण 2 […]

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विशेष संपादकीय

मोदी की जापान यात्रा के सुखद झोंके

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जापान यात्रा के कई निहित अर्थ हैं। इस यात्रा से जहां इन दोनों देशों के व्यापारिक और सामरिक संबंधों में निकटता आएगी वहीं अपने युगों पुराने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक संबंधों को समझने और उन्हें समीक्षित करने का अवसर भी इनको मिलेगा। आर्थिक क्षेत्र में भारत को जहां लाभ […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-30

गतांक से आगे…..सृष्टि के यही लाखों पदार्थ अपने अपने गुणों और क्रियाओं से अपनी संज्ञा अर्थात अपना नाम आप ही आप चुनकर पुकारने लगते हैं और आज हम इन्हीं सब पदार्थों के व्यवहारों से उत्पन्न हुए लाखों शब्द बोलते हैं।यह मनुष्य बड़ा गंभीर है। इस वाक्य में बड़ा और गंभीर ये दोनों शब्द कहां से […]

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