कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का स्थाई मित्र या शत्रु नही होता। इसका कारण यह है कि राजनीति कभी-कभी एक ऐसा ‘महाशत्रु’ खड़ा कर देती है जिसके सामने लोहा लेने वाला व्यक्ति अपने आपको बहुत ‘बौना’ समझने लगता है। तब वह अपना आकार बढ़ाने के लिए अपने अन्य ‘शत्रुओं’ से हाथ मिलाता है, […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
बाबा रामदेव का दोगलापन
देवेन्द्रसिंह आर्य बाबा रामदेव इस समय शांत हैं। लगता है उन्होंने जिस क्रांति की इच्छा की थी वह हो गयी है। वह अलग बात है कि देश का काला धन आज भी विदेशों में ही है, देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, भूख, अशिक्षा, बेरोजगारी आदि पूर्ववत मुंहबाए खड़ी हैं। इस पर बाबा की […]
ज्ञानप्राप्ति है हमारा पहला अधिकार
ईश्वर का सान्निध्य जब भी मिले तभी उससे संमार्गगामिनी बुद्घि प्रदान करने की प्रार्थना करनी चाहिए। संसार में रोटी, कपड़ा और मकान की आवश्यकता तो है किन्तु वास्तव में ये मूलभूत आवश्यकताओं का एक अंग मात्र ही हैं। इनसे भी पूर्व में मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है-ज्ञानप्राप्ति। ज्ञान होगा तो रोटी, कपड़ा और मकान की […]
कलाम की यादों को सलाम
केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार सरकार ने सरदार पटेल, लालबहादुर शास्त्री, पीवी नरसिंहाराव सरीखे कांग्रेसी नेताओं को कांग्रेस से छीनकर अपनी झोली में उन्हें सम्मानपूर्ण स्थान दिलाया है। अब इसी कड़ी में मोदी सरकार ने अच्छी पहल करते हुए विविध क्षेत्रों में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के शानदार योगदान एवं यादों को संस्थागत रूप […]
जितेन्द्रिय ब्राहणत्व का मार्ग
देवेन्द्र सिंह आर्य वेद का संदेश कि मनुष्य जितेन्द्रिय बने अर्थात अपनी इंद्रियों पर विजय पाए, लेकिन इंद्रियों को जीतने की बात करने से पहले इंद्रियों के बारे में जानलेना भी अच्छा होगा। प्राय: सभी जानते हैं कि इंद्रियां दस प्रकार की हैं-पांच ज्ञानेन्द्रियां एवं पांच कमेन्द्रियां। कमेन्द्रियों के भिन्न-भिन्न कार्य हैं। वाक अर्थात वचन […]
अब तो जागो….
देवेन्द्र सिंह आर्य मानव का खानपान बदल गया, रहन-सहन बदल गया, चाल-चलन बदल गया, मानव की मान्यताएं बदल गयीं और बदल गया मानव का स्वभाव। जैसे-जैसे मानव मूल्यों में हृास हुआ मानव पतनोन्मुख होता चला गया मानव नाम प्राणी के अजीब-अजीब चेहरे मिलते हैं। मानव के पतन का सिलसिला अभी और चलना चाहिए या इस […]
धरती को जीने लायक कैसे बनाएं
भारतीय संस्कृति के उद्भट्ट प्रस्तोता के रूप में ख्याति प्राप्त पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम के अंतिम शब्द थे-‘धरती को जीने लायक कैसे बनाएं?’ कलाम साहब के इस प्रश्न का उत्तर स्वयं उनका अपना जीवन है, मनुष्य स्वयं को उनके जैसा बना ले तो यह धरती जीने लायक अपने आप हो जाएगी। […]
मोदी-शरीफ मिलन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तान के उनके समकक्ष नवाज शरीफ के बीच बैठक संपन्न हुई है। इस बैठक में दोनों नेताओं ने आगे वार्ता करते रहने पर सहमति जताई है। वार्ता की प्रक्रिया और परिणामों पर यदि विचार किया जाए तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ वार्ता की प्रक्रिया को पुन: जारी करके […]
कांग्रेस मोदी का विकल्प पेश करे
कांग्रेस के पास एक ऐसे नेता हैं जो एक साथ दो परस्पर विरोधी गुणों से विभूषित हैं, अर्थात वे गुलाम भी हैं और आजाद भी हैं। जो व्यक्ति गुलाम है अर्थात दूसरे के शब्दों को बोलता है, जिसके पास अपना बोलने को कुछ नही है, वह आजाद कैसे हो सकता है? पर कांग्रेस के गुलाम […]
यशवंत सिन्हा की बेतुकी चिल्ल पौं
परिवर्तन प्रकृति का नियम है। यथास्थितिवाद किसी भी स्थिति-परिस्थिति में प्रकृति को स्वीकार्य नही है, फिर यह मानव समाज को ही स्वीकार्य क्यों होगा? बेटा पिता से अधिकार प्राप्त कर लेता है, और फिर एक दिन आता है कि जब पिता स्वयं पीछे हट जाता है और बेटे को आगे बढ़ा देता है। यह सहज […]