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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

मोदी सरकार के तीन वर्ष

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बने तीन वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। उनके लिए यह एकसुखद तथ्य है कि वह आज भी अपनी लोकप्रियता को वैसी ही बनाये हुए हैं जैसी सत्ता संभालते समय 2014 में थी। यह उनकी उपलब्धि भी कही जाएगी। दूसरे उनके लिए यह एक और प्रसन्नतादायक तथ्य है कि […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

अलविदा-तीन तलाक

अलविदा-तीन तलाक हम एकऐतिहासिक और मौन क्रांति के साक्षी बन रहे हैं। भारत में मुस्लिम समाज में व्याप्त एकअभिशाप को हम मिटता देख रहे हैं। देश के भीतर जिस प्रकार इस अभिशाप को मिटाने के लिए मुस्लिम महिलाएं सामने आयीं और उनके इस सार्थक प्रयास को बहुत से मुस्लिम विद्वानों ने भी अपना समर्थन यह […]

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मुद्दा विशेष संपादकीय संपादकीय

आवश्यकता जलस्रोतों के बचाव की

देश व प्रदेश में जलस्तर गिरता जा रहा है, जो कि एक चिंता का विषय है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने प्रदेश में जलस्रोत के नीचे खिसकने पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि खेत तालाब योजना के अंतर्गत 3338 तालाब खोदे जाएंगे। श्री शाही एक सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं। वह […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

आवश्यकता है रामायण रेलमार्ग और उच्च राजपथ की

रामचंद्रजी महाराज भारत की संस्कृति के मर्यादा पुरूषोत्तम हैं, उनके बिना भारत की संस्कृति का जीवंत उदाहरण देना हमें कठिन हो जाएगा। भारत की मर्यादित संस्कृति की रक्षा कोई ऋषि, संत या महात्मा करे यह तो संभव है, पर इस कार्य को कोई राजवंशी राजपुरूष मर्यादित रहकर करे-यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण बात है। […]

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मुद्दा राजनीति विधि-कानून विशेष संपादकीय संपादकीय

भूमि अधिग्रहण और किसानों की समस्याएं

कुछ समय पूर्व भूमि अधिग्रहण पर संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि किसी भी प्रकार की कृषि योग्य भूमि चाहे वह सिंचित हो या असिंचित के अधिग्रहण पर सरकार पूरी तरह रोक लगाये। संसदीय समिति का मानना है कि जब अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, कनाडा जैसे विकसित राष्ट्रों में सरकारें निजी क्षेत्र के लिए जमीन […]

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मुद्दा विशेष संपादकीय संपादकीय

पाकिस्तान : अन्त होने ही वाला है

हम क्या हैं? इसे हमें संसार नहीं बताएगा, अपितु हमें ही स्थापित करना पड़ेगा कि-‘हम ये हैं।’ जब तक कोई देश अपनी विदेश नीति को इस आधार पर निर्मित नहीं करता है- तब तक वह  एक याची के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मंचों और संस्था-संस्थानों पर खड़ा दिखायी देता है। पर जैसे ही वह देश वेद […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

देशद्रोही कौन?

भारत में सर्वधर्म समभाव की बातें करते हुए हिंदू मुस्लिम ईसाई के भाई भाई होने की बात कही जाती है। इससे पूर्व भारत का आर्यत्व-हिंदुत्व इस पृथ्वी को एक राष्ट्र तथा इसके निवासियों को भूमिपुत्र कहकर भाई भाई मानता रहा है। हिंदुत्व ने संसार में मानवतावाद फैलाया और इसी को भारतीय धर्म के रूप में […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान और हिन्दू राष्ट्र

हिन्दुत्व के विषय में उच्चतम न्यायालय ने ‘शास्त्री यज्ञपुरूष दास और अन्य विरूद्घ मूलदास भूरदास वैश्य और अन्य (1966 एससीआर 242)’ में कहा है-”जब हम हिंदू धर्म के विषय में सोचते हैं तो हमें हिंदू धर्म को परिभाषित करने में कठिनाई अनुभव होती है। विश्व के अन्य मजहबों के विपरीत हिंदू धर्म किसी एक दूत […]

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विशेष संपादकीय

कश्मीर के लिए राजनाथ की नहीं पटेल की आवश्यकता

कश्मीर को लेकर आज के गृहमंत्री राजनाथसिंह पूर्णत: असफल सिद्घ हो चुके हैं। उनकी कश्मीर नीति उनकी एक कमजोर गृहमंत्री की छवि बना चुकी है। जब वह कहते हैं कि कश्मीर समस्या को वह सुलझा लेंगे तो लोगों को उनकी बात पर विश्वास नहीं होता। किसी भी राजनीतिज्ञ के लिए वह सबसे अधिक खतरनाक बात […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

नकारात्मक व ओच्छी मानसिकता की पत्रकारिता

खोजी पत्रकारिता और लोकतंत्र का चोली दामन का साथ है। पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्योंकि लोकतंत्र विचारों को निर्बाध रूप से बहने देकर उनसे नवीन आविष्कारों को जन्म देकर लोगों के वैचारिक और बौद्घिक स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक शासन प्रणाली का नाम है। नवीन आविष्कारों से […]

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