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विशेष संपादकीय

ना ‘जयचंद’ बचे और ना ‘गौरी’

बात 10 मई 1907 की है। देश उस दिन अपने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम अर्थात 1857 की क्रांति की 50वीं वर्षगांठ मना रहा था। सारा देश उस दिन ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले रहा था। दिल्ली भी उस संकल्प से अछूती रहने वाली नहीं थी। उस समय दिल्ली देश की राजधानी नहीं थी, […]

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विशेष संपादकीय

निजी सुरक्षा के नाम पर अर्थशक्ति का अपव्यय

भारत के आधुनिक राजनेता जो किसी नरेश से कम नहीं हैं, जब राजमहलों से बाहर निकलते हैं तो उनके मिजाज, नाज और साज सब अलग प्रकार के होते हैं। गाडिय़ों का लंबा चौड़ा काफिला, पुलिस की व्यवस्था, सरकारी मशीनरी का भारी दुरूपयोग, निजी सुरक्षा कर्मी, कुछ गाडिय़ों में भरा हुआ मंत्रिमंडल (नित्य साथ रहने वाले […]

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विशेष संपादकीय

हम उस देश के वासी हैं

भारत के गौरव पर प्रकाश डालते हुए मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया व्हाट कैन इज टीच अस’ में लिखा है-”यदि मैं विश्वभर में से उस देश को ढूंढने के लिए चारों दिशाओं में आंखें उठाकर देखूं जिस पर प्रकृति देवी ने अपना संपूर्ण वैभव, पराक्रम तथा सौंदर्य खुले हाथों लुटाकर उसे पृथ्वी का स्वर्ग बना […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

राष्ट्रपति चुनाव : कुछ तथ्य और सत्य

भारत के चौदहवें राष्ट्रपति का चुनाव निकट आता जा रहा है, हम सभी का ध्यान इस समय यह देखने में लगा हुआ है कि ‘रायसीना हिल्स’ पर इस बार पहुंचने की किसकी बारी है? यद्यपि भाजपा के प्रत्याशी श्री रामनाथ कोविंद का ‘रायसीना हिल्स’ पहुंचना लगभग निश्चित है, परंतु इसके उपरांत भी विपक्ष की प्रत्याशी […]

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विशेष संपादकीय

प्रकृति और प्रकत्र्ता दोनों से मिलाता है योग

शब्द प्रकृति दो शब्दों से बनता है-प्र+कृति। ‘प्र’ का अर्थ है-उत्तमता से, पूर्ण विवेक से और ‘कृति’ का अर्थ है-रचना। इस प्रकार प्रकृति का अर्थ है एक ऐसी रचना जिसे उत्तमता से, नियमों के अंतर्गत रहते हुए और विवेकपूर्वक बनाया गया है, रचा गया है। प्रकृति अपने नियमों से बंधी है, और वह उनके बाहर […]

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महत्वपूर्ण लेख राजनीति विशेष संपादकीय

भज ‘कोविन्दम्’ हरे-हरे

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राजग ने अपना राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस निर्णय ने हर बार की भांति इस बार भी सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। जिन दर्जनों लोगों के नाम राजग की ओर से राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में उछाले जा […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

21 जून : भारत वंदन दिवस

21 जून भारतीयता के गुण गौरव के गुणगान का दिवस बन गया है। इस दिन सारा देश ही नहीं, अपितु सारा विश्व ही भारतीय संस्कृति की महानता और उसकी सर्वग्राहयता के समक्ष शीश झुकाता है। मां भारती की आरती में सारा संसार नतमस्तक हो जाता है और कह उठता है :- ”हे भारत की पवित्र […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

आग लगाने में ‘प्रवीण’ तोगडिय़ा

प्राचीन भारत के लगभग सभी राजशास्त्रियों ने राजा की सफलता के लिए षाड्गुण्य मत के साथ-साथ उपायों का भी वर्णन किया है। कामंदक का कथन है कि उपाय से मतवाले हाथियों के मस्तक पर भी चरण रख दिया जाता है। जल अग्नि को बुझाता है,  परंतु उपाय द्वारा इस अग्नि से ही वह जल सुखा […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

किसानों के मर्म को सहलाते प्रधानमंत्री

देश के किसानों की दशा इस समय सचमुच दयनीय है। सारी राजनीतिक पार्टियां इस पर राजनीति तो कर रही है पर किसानों की समस्याओं का समाधान क्या हो, और कैसे निकाला जाए इस पर कोई कार्य नहीं हो रहा है। समस्या को उलझाकर उसे और भी अधिक जटिल करने की कुचालें और षडय़ंत्र तो सबके […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

राष्ट्रपति पद के लिए एक नाम यह भी

भारत के नये राष्ट्रपति का चुनाव इन दिनों चर्चा में है। नये-नये नाम इस पद के लिए प्रत्याशी के लिए वैसे ही आ-जा रहे हैं, जैसे ऊपर से गिरते पानी में बुलबुले आते हैंं और समाप्त हो जाते हैं। बहुतों के मन में लड्डू फूट रहे हैं कि इस बार हो सकता है वही देश […]

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