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धर्म-अध्यात्म विशेष संपादकीय

क्या है योग और चित्त की वृत्तियों का निरोध

(एक दिन प्रात:काल में मुझसे श्रद्घेय ज्येष्ठ भ्राताश्री प्रो. विजेन्द्रसिंह आर्य-मुख्य संरक्षक ‘उगता भारत’-ने अपनी समीक्षक बुद्घि से सहज रूप में पूछ लिया कि-‘देव! महर्षि पतंजलि के ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:’ पर तुम्हारे क्या विचार हैं? तब मैंने श्रद्घेय भ्राताश्री को अपनी ओर से जो प्रस्तुति दी, उसी से यह आलेख तैयार हो गया। हमारी उक्त चर्चा चलभाष […]

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विशेष संपादकीय

इतिहास का पुनर्लेखन और योगी सरकार

भारत के ऐतिहासिक स्थल आगरा के ताजहमल के निर्माण को लेकर एक बार फिर विवाद उठा है। भाजपा के फायर ब्रांड विधायक संगीत सोम का कहना है कि ताजमहल हमारी गुलामी का प्रतीक है तो असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि यदि ताजमहल गुलामी का प्रतीक है तो यह लालकिला भी गुलामी का प्रतीक है, […]

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विशेष संपादकीय

पीएम मोदी अरूण जेटली को सिखायें ‘राजधर्म’

भारत का लोकतन्त्र एक दीवार है-उन लोगों के लिए जो प्रतिभावान और ईमानदार देशभक्त तो हैं, पर उनके पास लोकतन्त्र को नचाने के लिए अपने साधनों की कमी है। वे धनाढ्य नहीं हैं और ना ही उनके पास पार्टी तन्त्र है। लोकतन्त्र को पार्टीतन्त्र खा रहा है और पार्टी तन्त्र द्वारा निगले जा रहे लोकतन्त्र […]

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विशेष संपादकीय

मैं आया हूं उन राजद्रोही चरणों पर फूल चढ़ाने

मैं आया हूं उन राजद्रोही चरणों पर फूल चढ़ाने आज भारतवर्ष अपना 71वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस पावन अवसर पर अपने नाम-अनाम स्वतंत्रता सेनानियों को पूरा देश नमन कर रहा है। ‘उगता भारत’ अपने इन नाम-अनाम स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए उनके विषय में कवियों की कविताओं के माध्यम से अपने श्रद्घासुमन […]

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विशेष संपादकीय

ना ‘जयचंद’ बचे और ना ‘गौरी’

बात 10 मई 1907 की है। देश उस दिन अपने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम अर्थात 1857 की क्रांति की 50वीं वर्षगांठ मना रहा था। सारा देश उस दिन ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले रहा था। दिल्ली भी उस संकल्प से अछूती रहने वाली नहीं थी। उस समय दिल्ली देश की राजधानी नहीं थी, […]

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विशेष संपादकीय

निजी सुरक्षा के नाम पर अर्थशक्ति का अपव्यय

भारत के आधुनिक राजनेता जो किसी नरेश से कम नहीं हैं, जब राजमहलों से बाहर निकलते हैं तो उनके मिजाज, नाज और साज सब अलग प्रकार के होते हैं। गाडिय़ों का लंबा चौड़ा काफिला, पुलिस की व्यवस्था, सरकारी मशीनरी का भारी दुरूपयोग, निजी सुरक्षा कर्मी, कुछ गाडिय़ों में भरा हुआ मंत्रिमंडल (नित्य साथ रहने वाले […]

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विशेष संपादकीय

हम उस देश के वासी हैं

भारत के गौरव पर प्रकाश डालते हुए मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया व्हाट कैन इज टीच अस’ में लिखा है-”यदि मैं विश्वभर में से उस देश को ढूंढने के लिए चारों दिशाओं में आंखें उठाकर देखूं जिस पर प्रकृति देवी ने अपना संपूर्ण वैभव, पराक्रम तथा सौंदर्य खुले हाथों लुटाकर उसे पृथ्वी का स्वर्ग बना […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

राष्ट्रपति चुनाव : कुछ तथ्य और सत्य

भारत के चौदहवें राष्ट्रपति का चुनाव निकट आता जा रहा है, हम सभी का ध्यान इस समय यह देखने में लगा हुआ है कि ‘रायसीना हिल्स’ पर इस बार पहुंचने की किसकी बारी है? यद्यपि भाजपा के प्रत्याशी श्री रामनाथ कोविंद का ‘रायसीना हिल्स’ पहुंचना लगभग निश्चित है, परंतु इसके उपरांत भी विपक्ष की प्रत्याशी […]

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विशेष संपादकीय

प्रकृति और प्रकत्र्ता दोनों से मिलाता है योग

शब्द प्रकृति दो शब्दों से बनता है-प्र+कृति। ‘प्र’ का अर्थ है-उत्तमता से, पूर्ण विवेक से और ‘कृति’ का अर्थ है-रचना। इस प्रकार प्रकृति का अर्थ है एक ऐसी रचना जिसे उत्तमता से, नियमों के अंतर्गत रहते हुए और विवेकपूर्वक बनाया गया है, रचा गया है। प्रकृति अपने नियमों से बंधी है, और वह उनके बाहर […]

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महत्वपूर्ण लेख राजनीति विशेष संपादकीय

भज ‘कोविन्दम्’ हरे-हरे

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राजग ने अपना राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस निर्णय ने हर बार की भांति इस बार भी सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। जिन दर्जनों लोगों के नाम राजग की ओर से राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में उछाले जा […]

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