हम तनिक कल्पना करें कि एक माता की गोद में उसका एक अबोध बच्चा है । मां ने अपने बच्चे को अपने अंक में आलिंगनबद्घ किया हुआ है। मां बहुत ही ममत्व से बच्चे के सिर को सहलाते हुए अपने आंचल से स्तनपान करा रही है। मां अभी दाहिने स्तन से स्तनपान करा रही […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
“जैसे कछुआ अपने अंगों को सब ओर से सिकोड़कर अपने खोल के अंदर खींच लेता है ,उसी प्रकार जब कोई पुरुष इंद्रियों के विषयों में से अपनी इंद्रियों को खींच लेता है, तब समझो कि उसकी प्रज्ञा बुद्धि स्थिर हुई । ” ( ५८ ) इस श्लोक में कछुए का दृष्टांत देकर संसार के […]
श्रीमदभगवत गीता के पहले अध्याय में कर्म योगी श्री कृष्ण जी महाराज ने निम्न प्रकार उपदेश दिया है ;- कुल के क्षय हो जाने पर उनके जो सनातन धर्म है, उनकी जो सनातन परंपराएं हैं ,सदियों के अनुभव के आधार पर कुल की जो मर्यादा बन चुकी हैं ,वे नष्ट हो जाती हैं ,जब […]
संगम स्नान और नाड़ी जागरण का रहस्य
एक असत्य को सुनते – सुनते परेशान हो चुके हैं कि प्रयागराज में तीन नदियों का संगम है , इसलिए उसको त्रिवेणी कहते हैं। क्या यह सत्य है ? – बिल्कुल नहीं। इस किंवदंती के अनुसार गंगा , जमुना और सरस्वती का संगम प्रयागराज में बताया जाता है । यद्यपि ऐतिहासिक प्रमाण कुछ इस प्रकार […]
परमार वंश के महाराज भर्तृहरि के छोटे भाई विक्रमादित्य थे। इन्हीं की 9 वीं पीढ़ी में राजा भोज परमार हुए दोनों के विषय में पूर्व में मेरे द्वारा लिखा जा चुका है । लेकिन परमार वंश के विषय में लिखने के पश्चात बहुत सारे विद्वान साथियों के टेलीफोन व संदेश आ रहे हैं कि परमारों […]
महान सामाजिक कार्यकर्त्ता व धार्मिक प्रवृत्ति के धनी श्रद्धेय पिता श्री महाशय राजेंद्र सिंह आर्य का स्वर्गारोहण दिनांक 13 सितंबर में १९९१ को हुआ तो हम उनके अस्थि विसर्जन करने के लिए अपने गांव महावड़ से पूरी एक बस लेकर के हरिद्वार गए थे । जिसमें हमारे सभी परिजन , मित्र -संबंधी, गांव की कुछ […]
सत्यार्थ प्रकाश में महर्षि दयानंद ने लिखा है कि पत्नी और पति वियुक्त न रहें । उन्होंने यह भी लिखा है कि पति पत्नी का एक दूसरे पर पूर्ण अधिकार होता है। इसी सिद्धांत का अनुगामी होकर मेरा जीवन में प्रयास रहता है कि मैं जब भी कहीं देशाटन पर ,देश यात्रा पर जाऊं तो […]
बिना भक्ति के हृदय मरूभूमि के समान है यदि मनुष्य आत्मोत्थान चाहता है , कैवल्यानंद अर्थात मोक्ष प्राप्ति के आनंद की इच्छा रखता है तो इसका एक ही साधन है – योग । योग के भी तीन अंतिम चार अंग प्रत्याहार , धारणा , ध्यान और समाधि अंतरंग योग के अंतर्गत आते हैं । प्राणायाम […]
सकाम कर्म करने वाला सदैव अपने लिए शुभ फल की इच्छा किया करता है ,और यह फल इच्छा पूर्ण होने पर वासना पैदा करता है। अर्थात बार-बार किसी कार्य को करने को वासना कहते हैं। वासना से फिर वही फल इच्छा उत्पन्न होती है ।यह चक्र बराबर इसी प्रकार से जन्म जन्मांतर से चला […]
मानव शरीर में कुल 8 चक्र होते हैं । जिनका प्राणायाम से भी बड़ा गहरा संबंध है । इस अध्याय में हम यही स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे कि प्राणायाम के करने से चक्रों को कैसे सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति प्राप्त होती है ?अथर्ववेद का यह मंत्र है :-अष्टाचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या, तस्यां हिरण्यमय: कोश […]