जिस कार्य को करने में जो व्यक्ति कुशल हो , उसको वही कार्य सौपें जाने चाहिए। जैसे मनु महाराज ने कर्म के आधार पर ही चार वर्ण बनाए थे। जिनको आज जातिगत बना दिया गया है , जो मनु महाराज की सोच के विपरीत हैं । आप भी अपने घर में आज भी किसी उपयुक्त […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
संसार की उलझन से कैसे पार हो
नींद में सपना देखा तो अच्छा लगा। नींद टूटने पर दुख हुआ । क्योंकि जागने पर जो देखा वह स्वप्न से अलग था। नाशवान प्रकृति के नाशवान दृश्यों में मन रम गया । तो मृगतृष्णा का शिकार हो गया। दूर-दूर तक भागने लगा । हताश निराश होकर अंत में मौत की गोद में समा गया। […]
हर मनुष्य को अपने जीवन में प्रसन्न रहना चाहिए क्योंकि प्रसन्नता सभी गुणों की जननी है। लेकिन अभिमान से दूर रहना चाहिए , क्योंकि अभिमान नरक का मूल है। मनुष्य को ‘बड़ा’ बनने के लिए अपनी गलती को स्वीकार करने में लज्जा का अनुभव नहीं करना चाहिए , बल्कि लज्जा का अनुभव उन कार्यों में […]
जागो जल्दी यह सपने की माया
भारत के विषय में कैप्टेन सिडेनहम का कहना है-”हिन्दू सामान्यत: विनम्र, आज्ञापालक, गम्भीर, अनाक्रामक, अत्यधिक स्नेही एवं स्वामिभक्त किसी की बात को शीघ्रता से समझने में दक्ष, बुद्घिमान, क्रियाशील, सामान्यत: ईमानदार, दानशील, परोपकारी संतान की तरह प्रेम करने वाले विश्वासपात्र एवं नियम पालन करने वाले होते हैं। जितने भी राष्ट्रों से मैं परिचित हूं, सच्चाई […]
श्रीकृष्णजी कहते हैं कि अर्जुन ! जब देहधारी आत्मा सतोगुण की प्रधानता के काल में देह का त्याग करे तब वह उत्तम ज्ञानियों के निर्मल लोकों को प्राप्त होता है, अर्थात ऐसी स्थिति में आत्मा की सदगति हो जाती है। इसका अभिप्राय है कि किसी के लिए मरणोपरांत हमारा यह कहना कि उसकी आत्मा को […]
गीता के 11 अध्याय में अध्याय में श्रीकृष्णजी ने अर्जुन को स्पष्ट किया कि ये जो हमारे चर्मचक्षु हैं ना-ये हमें इस भौतिक संसार को ही दिखाते हैं और हम ये मान बैठते हैं कि वह दिव्य शक्ति परमात्मा कोई और है, और यह संसार कुछ और है। जबकि इस संसार के रूप में ही […]
समय रहते सर्वजीवनाधार को खोज लो
एक मनुष्य को नैतिकता और गुण नहीं छोड़ना चाहिए , क्योंकि नैतिकता तथा गुण हीरे तथा रत्नों से भी अधिक मूल्यवान होते हैं । यह मनुष्य को प्रभु प्रिय और लोकप्रिय बनाते हैं और उसके मन को संतुष्टि प्रदान करते हैं। नैतिकता और गुणों के कारण ही एक मनुष्य के अंदर ही प्रभु का अस्तित्व […]
डूब जाओ आनंद के गहरे सागर में
आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान और भजनोपदेशक रहे नत्था सिंह जी ने बहुत सुंदर भजन बनाया है , जिसे वे अक्सर गाया करते थे । उसे मैं यहां पर यथावत प्रस्तुत कर रहा हूं :- गर जन्म लिया है तो तुझे मरना ही पड़ेगा। वह काम किया है तो यह करना ही पड़ेगा। इच्छाओं […]
संसार में जो आया है उसे जाना अवश्य है इसलिए मनुष्य को अपना अंतिम काल अवश्य याद रखना चाहिए । यह ध्यान रखना चाहिए कि समय बहुत तेजी से बीत रहा है , इसलिए समय का मूल्य समझो और कल के ऊपर कोई कार्य न छोड़ना चाहिए। समय रहते समय का मूल्य समझना चाहिए । […]
इस सराय में मुसाफिर थे सभी – – –
जो व्यक्ति परमात्मा की भक्ति में लीन हो जाता है , केवल उसी से प्रेम करता है , ऐसी अनन्य भक्ति भावना से उसके अंदर की प्रज्ञा चक्षु खुल जाती है। तब वह प्रत्येक के अंदर एक ही दिव्य ज्योति के दर्शन करता है ।वह अंदर से तृप्त हो जाता है। उसकी कोई इच्छा […]