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भारतीय संस्कृति

सकारात्मक सोच और पूजा का रहस्य

सोच सकारात्मक कीजिए करे सदा कल्याण। भवसागर से यह तारती और करती है परित्राण ।। सकारात्मक सोच सार्थक जीवन जीने की सबसे उत्तम कला है । सकारात्मक सोच का व्यक्ति सदैव भीतर से प्रसन्न चित्त रहता है । उसके मन का मोर कभी थकता नहीं , प्रत्येक परिस्थिति में नाचता रहता है । जो लोग […]

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भारतीय संस्कृति

कल्पना शक्ति एवं कर्म शक्ति का समन्वय

कल्पना शक्ति जब मनुष्य की विचार शक्ति प्रबल हो जाती है और किसी भी समस्या के समाधान पर वह गहनता से मंथन करने में सक्षम हो जाती है तो चिन्तन की उस भूमि से कल्पना शक्ति का निर्माण होता है । यहाँ खड़ा होकर व्यक्ति न केवल समस्याओं के समाधान के विषय में सोचता है […]

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भारतीय संस्कृति

बुरा जो देखन मैं चला…..

जीवन प्रबंधन मनुष्य के जीवन के लिए प्रत्येक प्रकार का प्रबंधन, नियमों का अनुपालन करना बहुत आवश्यक होता है। प्रबंधन का तात्पर्य उचित प्रकार से जीवन को व्यवस्थित बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से करना होता है। मनुष्य को चाहिए कि वह सर्वप्रथम यह सुनिश्चित करे कि उसे अपनी आत्मा के लिए क्या करना है […]

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भारतीय संस्कृति

आंख मूंदकर चल पड़ो एक अनोखी राह

विनम्रता अपने से ज्ञान श्रेष्ठ , बल श्रेष्ठ और आयुश्रेष्ठ किसी भी व्यक्ति , माता – पिता , गुरु -आचार्य से यदि हमको कोई शिक्षा प्राप्त करनी है तो उसके लिए जिज्ञासा भाव के साथ – साथ हमारा विनम्र होना भी अनिवार्य है । क्योंकि विद्या जहां विनम्रता प्रदान करती हैं , वहीं बिना श्रद्धा […]

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भारतीय संस्कृति

बाहर के किवाड़ लगाकर भीतर के खोल दो

सुख ऊपर हमने स्पष्ट किया कि सुख और दुख दोनों इंद्रियों के विषय हैं। इंद्रियों को जो अच्छा लगे वह सुख है और जो बुरा लगे वह दुख है । इंद्रिया जिन विषयों में सुख खोजती हैं वह अंततः हमारे शरीर और आत्मा का पतन करते हैं । जिससे शरीर रुग्ण होकर मृत्यु को प्राप्त […]

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भारतीय संस्कृति

सांसारिक दुर्गुणों से मुक्ति ही मोक्ष का द्वार खोलती है

मदांधता काम , क्रोध , मद , लोभ ,मोह यह 5 अवगुण व्यक्ति के व्यक्तित्व के शत्रु हैं। यह 5 व्यक्ति के स्वाभाविक एवं प्राकृतिक गुण नहीं हैं। इनमें से मद को अहंकार भी ही कहते हैं और अहंकार हमारे पतन का कारण होता है। यह मनुष्य द्वारा स्व अर्जित मनोरोग है । यह मनुष्य […]

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इतिहास के पन्नों से

1857 की क्रांति , धन सिंह गुर्जर कोतवाल और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन

10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी की थर्ड केवल्री की 11 और 12 वी इन्फेंट्री पोस्टेड थी । 10 मई 1857 रविवार का दिन था। रविवार के दिन ईसाई अंग्रेज अधिकतर चर्च जाने की […]

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भारतीय संस्कृति

यज्ञ ही हमारे जीवन का आधार है

सादा जीवन उच्च विचार प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक जितने भी महापुरुष हुए हैं उन्होंने मनुष्य बनने के लिए मनुष्य को केवल एक ही नैतिक उपदेश दिया है कि मनुष्य को सादा जीवन और उच्च विचार के आदर्श को अपने जीवन में अंगीकृत करते हुए उत्थान के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए। जिसके लिए […]

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कर्मफल सिद्धांत और मनुष्य की महत्वाकांक्षा

अपने अहंकार में रावण और दुर्योधन ने पाप कर्म और अनैतिक कर्म किए , जिनका फल उन्हें शर्मनाक के रूप में भुगतना पड़ा । इसी प्रकार से जो भी मनुष्य पाप कर्म और अनैतिक कर्म करता है उसका प्रतिफल उसे जन्म जन्मांतर तक भोगना पड़ता है। अहंकार के कारण मनुष्य राक्षस हो जाता है और […]

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भारतीय संस्कृति

विद्या की महिमा को समझिए

हमारे वैदिक समाज में मर्यादाओं का बड़ा सम्मान किया जाता है । अभी तक हमने कुछ मर्यादाओं पर ही विचार किया जैसे अपने दान को गोपनीय रखना, घर में आये अतिथि को सम्मान देना , भलाई करके चुप रहना ,अपने प्रति दूसरे को द्वारा किए गए उपकार को सबको बताना, संपदा में अभिमान न करना […]

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