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भारतीय संस्कृति

श्रेय , प्रेय , धर्म और संस्कृति

भावों के पंच गुण सर्वमान्य हैं ।पहला सरलता ,दूसरा समरसता, तीसरा मधुरता, चौथा कोमलता, पांचवां विशुद्धता। जो साधक होते हैं वह बिना ध्वनि के संगीत सुनना पसंद करते हैं ।जिसका तात्पर्य होता है कि वे ऐसा संगीत सुनना पसंद करते हैं जिसमें कोई स्वर न हो अर्थात वे अनहद का संगीत सुनते हैं। ऐसे भक्तों […]

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भारतीय संस्कृति

अभ्यास और वैराग्य से होती मन की जीत

विरक्ति एवम् त्याग -क्या है ? विरक्ति एवं त्याग दोनों का संबंध मनुष्य से होता है , लेकिन इनमें भी त्याग का संबंध स्थूल जगत और स्थूल शरीर से होता है । जबकि विरक्ति का अर्थ काम, क्रोध ,लोभ, मोह ,राग, द्वेष आदि से दूर हो जाना है। व्यक्ति में मन , वचन और कर्म […]

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भारतीय संस्कृति

वेद, उपनिषद और गीता

भारतीय संस्कृति का ही नहीं बल्कि विश्व संस्कृति के मूल स्रोत भी वेद है । वेदों के दिए संस्कारों और उन्हीं की व्यवस्था के आधार पर सारे संसार की व्यवस्था चलती रही है । आज भी वैदिक ज्ञान ही संपूर्ण मानवता का मार्गदर्शन कर रहा है और यदि संसार में कहीं मानवता जीवित है तो […]

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भारतीय संस्कृति

सह अस्तित्व , सफलता और मानव समाज

“मैं हूं” – ऐसा भाव ही मेरा अस्तित्व है । मेरी निजता पर किसी प्रकार का आक्रमण न हो , मेरी निजता हर स्थिति में सुरक्षित रहे , सम्मानित रहे , यही मेरे अस्तित्व की रक्षा है । मैं जिस उद्देश्य को लेकर इस संसार में आया हूं मैं उस उद्देश्य को प्राप्त करने में […]

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भारतीय संस्कृति

प्रणाम अथवा अभिवादन का सही स्वरूप व अर्थ

यद्यपि अभिवादन शब्द का व्याख्यान पूर्ण में किया जा चुका है ,परंतु फिर भी प्रणाम का क्या अर्थ है और प्रणाम का क्या प्रभाव है। इस पर भी विचार करना अलग से आवश्यक है। मनुष्य अपने बड़ों के पास आने पर या बड़ों के पास से दूसरी जगह प्रस्थान करने से पूर्व उन्हें प्रणाम करता […]

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भारतीय संस्कृति

हमारी ऊर्जा शक्ति और गुरु की महिमा

आइए , पहले भजन की यह दो पंक्तियां गुनगुनाते हैं :– आनंद स्रोत बह रहा पर तू उदास है । अचरज है जल में रहके भी मछली को प्यास है।। जल में रहकर भी मछली तभी प्यासी रहती है जब उसे जल का बोध ना हो । कहने का अभिप्राय है कि असीम ऊर्जावान , […]

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भारतीय संस्कृति

मनुष्य है वही कि जो मनुष्य के लिए मरे

ज्ञान का प्रकाश ईश्वर ने मनुष्य को बुद्धि दी है । जिसमें ज्ञान दिया है । जिसमें उचित और अनुचित , भले और बुरे , मान व अपमान , सुख – दुख आदि का ज्ञान हमको होता है। बौद्धिक स्तर जब उच्चतम शिखर की ओर अग्रसर होता है तो ऐसा व्यक्ति ज्ञान का पुंज बनता […]

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भारतीय संस्कृति

दुख में कराहो नहीं और सुख में सराहो नहीं

पूजा का महत्व जब किसी में श्रद्धा होती है तो उसको दिल से पूजने का मन करता है क्योंकि पूजा हमारी श्रद्धा का प्रतिबिम्ब है। कुछ लोग रोज पूजा करते हैं कुछ लोग सप्ताह में महीने में या पर्व के अनुसार पूजा करते हैं। आम आदमी से लेकर विशेष आदमी तक सभी पूजा करते हैं […]

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धर्म-अध्यात्म समाज

महर्षि मनु की सामाजिक व्यवस्था और कर्माशय

मनुस्मृति में उल्लेख मिलता है कि गुरुजन वृद्धजन, माता-पिता और सज्जन के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति की आयु ,विद्या ,यश और बल में वृद्धि होती है ।अद्भुत लाभों का वैज्ञानिक आधार व्यक्ति के द्वारा अभिवादन की विधि में सुरक्षित है। प्रत्येक मानव देह धारी के शरीर में विभिन्न प्रकार की शक्तियों […]

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भारतीय संस्कृति

जीवन में कैसे हो अभ्युदय की प्राप्ति

पंचशील मेरा अपना नियम है कि मैं अपना रुमाल हमेशा सीधे हाथ की तरफ की पॉकेट में रखता हूँ। मोबाइल पैंट की बांयी पॉकेट में रखता हूं। इससे मुझे सोचने की आवश्यकता नहीं होती कि मेरा रुमाल या मेरा मोबाइल किधर कौन से वाली पॉकेट में रखा है ? जब मुझे अपनी जिस चीज की […]

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