कार्यशील वर्ग ने अकर्मण्य वर्ग का और साहसी वर्ग ने कायर वर्ग का सदैव शोषण किया है । मनुष्य को आज एक दूसरे का दु:ख दर्द समझने की फुर्सत नहीं है । ना ही यह सोचने का वक्त है कि वह आधुनिकता की इस दौड़ में कहां जा रहा है ? मनुष्य ने दुनिया को […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
आगे आगे देखिए होता है क्या ?
जमाना नहीं मानव की सोच बदली है। सफलता और उन्नति के इस समय में जहां हमने बहुत कुछ पाया है वहीं वह कुछ खोया भी है ।हमने विकास के शिखरों को तो छू लिया लेकिन पतन के गर्त में भी गिरे हैं ।अपने पतन की पराकाष्ठा की ओर अभी हमने ध्यान नहीं दिया तो फिर […]
उपनिषद भारतीय सांस्कृतिक वांग्मय की अमूल्य धरोहर हैं। इनकी मैक्समूलर, फ्रॉयड जैसे कितने ही विदेशी विद्वानों ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। वास्तव में मानवीय व्यवहार और उसकी उन्नति में उपनिषदों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । उपनिषदों का प्रतिपाद्य विषय है कि जो कुछ ब्रहमांड में है वही पिंड में है। पिंड का […]
जीवन का एक रूप है – श्वास। यदि मनुष्य श्वास रहित हो जाए तो मृत हो जाता है । श्वासों का खेल जब तक चल रहा है तब तक हम सब गतिमान हैं। श्वासों का खेल खत्म हो गया तो जीवन मेला खत्म हो गया ,लेकिन मनुष्य इनका कोई मूल्य न समझकर इन सांसों को […]
देवता और दैत्य का अंतर
वेद का संदेश है कि मनुष्य जितेंद्रीय बने अर्थात अपनी इंद्रियों पर विजय पाये। लेकिन इंद्रियों को जीतने की बात करने से पहले इंद्रियों के बारे में जान लेना भी अच्छा होगा। प्राय: सभी जानते हैं कि इंद्रियां 10 प्रकार की हैं ; – पांच ज्ञानेंद्रियां पांच कर्मेंद्रियां। दसों इंद्रियों के विषय में पूर्व के […]
कैसे हो ज्ञानी की पहचान ?
सर्व भूते हिते रता, की भावना जिस व्यक्ति के भीतर मिलती है समझिए कि वह वास्तविक ज्ञानी है । जो तन से निस्वार्थ भाव से जनहितार्थ कार्य करता है , वही ज्ञानी है। माया के मर्म को समझने वाला ही ज्ञानी है। जो पुत्र की शादी करके पुत्र के लिए छल कपट से कार, कोठी […]
मानव का खानपान बदल गया। रहन-सहन बदल गया। चाल चलन बदल गया। मानव की मान्यताएं बदल गईं ,और बदल गया मानव का स्वभाव । जैसे-जैसे मानव मूल्यों में अवमूल्यन हुआ ,मानव पतनोन्मुख होता चला गया ।मानव नामक प्राणी के अजीब गरीब चेहरे मिलते हैं । मानव के पतन का सिलसिला अभी भी और चलना चाहिए […]
सुख-दुख के लक्षण और पुनर्जन्म
यम क्या है ? यम वायु को कहते हैं। जब यह आत्मा इस सर्वांग शरीर को त्याग कर अंतरिक्ष में जाता है तो यह अपने सूक्ष्म शरीर द्वारा उसी यम नाम की वायु में रमण करता है , तब उस वायु को हम यम कहा करते हैं। वायु को यम क्यों कहते हैं? क्योंकि परमात्मा […]
जनपद गौतम बुद्ध नगर का इतिहास बहुत ही महत्वपूर्ण है । यहां की मातृ तहसील दादरी इस जिले का प्रमुख कस्बा है । जिसे सन 1739 और 1761 में मोहम्मद शाह अब्दाली और नादिरशाह के आक्रमण के पश्चात तत्कालीन मुगल बादशाह मोहम्मद शाह रंगीला द्वारा अपने शासन की सुरक्षा के लिए स्थापित कराया गया था […]
परमात्मा और जीव का संबंध
आत्मा परमात्मा का बालक है।जैसे एक मनुष्य का बालक अपने माता – पिता की आज्ञा के अनुसार कार्य करने पर उन्नत होता है ,उसी प्रकार आत्मा प्रभु की आज्ञा में चलकर ही उच्च बनता है। प्रभु की कौन सी आज्ञा है ? प्रभु ने ज्ञान दिया जो अपनी बालक आत्मा को दिया। उसी ज्ञान को […]