भ्रांति है कि विष्णु ने समुद्र का मंथन किया । देव और दैत्यों ने शेषनाग की नेति बनाई , एक महान गिरी की मछली बनाई और समुद्र का मंथन किया । जिसमें से 14 रत्न निकले। यदि इस विषय पर और चिंतन करें तो श्रृंग ऋषि महाराज की आत्मा ब्रह्म ऋषि कृष्ण दत्त ब्रह्मचारी के […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
कुछ भ्रांतियां और उनके निवारण
भ्रान्ति है कि महर्षि अगस्त्य ने तीन आचमनों में समुद्र का पान कर लिया था । ब्रहमचर्य की रक्षा करने वाले महर्षि अगस्त्य तीन आचमनों में समुद्र पार करने वाले बने। महर्षि सनत कुमार ने नारद मुनि को बताया कि ब्रहमचर्य वह होता है जो समुंद्र के समुंद्र को पान का लेता है। वह तीन […]
देह का अंत हो जाना ही देहांत है। और देह का अंत होना हम जानते हैं कि प्रकृति के जो तत्व थे , वह सब अपने – अपने मूल तत्वों में मिल जाते हैं। अविनाशी आत्मा शरीर से निकल जाती है। यजुर्वेद के 39 वें अध्याय में प्रथम मंत्र में अंत्येष्टि कर्म को नरमेध ,पुरुष […]
आज एक बहुत ही अद्वितीय, अकल्पनीय एवं अद्भुत जानकारी आपके साथ सांझा करना चाहता हूं। अभी मैं ‘यौगिक प्रवचन माला , भाग – 1’ पढ़ रहा था। जो ब्रह्मर्षि कृष्णदत्त ब्रह्मचारी के प्रवचन के आधार पर पुस्तक बनाई गई है। कृष्ण दत्त ब्रह्मचारी के विषय में तो आप सभी परिचित होंगे । जो खुर्रम पुर […]
परलोक में केवल धर्म ही साथ जाएगा
अब की संस्कृति का मूल सिद्धांत तो वेद वाणी है। जिसमें पुनर्जन्म की बात कही गई है। ऋषि श्रृंग का भी पुनर्जन्म होना वेद संगत है। महर्षि श्रृंग द्वारा सुनाये गए आध्यात्मिक विषय से वेद के पुनर्जन्म संबंधित सिद्धांत की पुष्टि होती है। अमर ग्रंथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चतुर्थ समुल्लास में धर्म महिमा का विवरण […]
मुनिवरो ! यह सत्य युग के काल का समय है।हमारे गुरु ब्रह्मा वेद के प्रकांड पंडित और विद्या के भंडार थे l मुनिवर देखो ! उनका महान से सिर मंडल भी था उनके एक पुत्र महा सृष्टु मुनि महाराज थे। मुनि वरो! एक समय महा सृष्टू मुनि महाराज अपनी तुंबा नाम की धर्मपत्नी के साथ […]
45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और […]
आत्मतत्व अचल और यह शरीर चल है
दुनिया की भागम भाग है, कोई गुरु के पास दौड़ रहा है ,कोई आश्रम जा रहा है, कोई तीर्थ जा रहा है ,कोई चार धामों की यात्रा के लिए भागम भाग कर रहा है, कोई 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा के लिए दौड़ रहा है, कोई बिस्तर पर अशांत है, कोई अधिक धन के होते हुए […]
ईश्वर के अनेकों नामों की व्याख्या
कितना विशुद्ध, कितना विशाल, कितना विस्तृत, कितना विरल ,कितना विराट ,कितना स्वाभाविक, कितना प्राकृतिक, कितना परिष्कृत, कितना परिमार्जित रूप है उसका जिस अदृश्य, अगोचर, अजर, अमर ,अभय, अगम, अनुपम ,अतुलनीय शक्ति अर्थात परमपिता परमेश्वर की बात हम कर रहे हैं । जिसका निज नाम है – ओ३म। कितना प्यारा नाम है – ओ३म। शेष सभी […]
क्या है मानव जीवन का उद्देश्य ?
जब-जब धर्म की हानि हुई है तब तक भारत भूमि पर कोई न कोई ऐसा महामानव अवतरित हुआ है जिसने पथभ्रष्ट और धर्मभ्रष्ट मानव समाज को सही रास्ता दिखाया है ।आज समाज में जो परिस्थितियां पुनः निर्मित हो रही हैं उनमें पुनः एक चुनौती की झंकार है, एक ललकार है ,एक पुकार है हमें विश्वास […]