प्रयागराज। द्वारकाशारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अपनी स्पष्टवादीतार और कड़ी टिप्पणियों के लिए प्रसिद्ध है । फिर चाहे आगे कोई भी क्यों न खड़ा हो। अब उन्होंने सरकार की इस बात को लेकर खिंचाई की है कि अयोध्या में राम मंदिर नहीं बल्कि विश्व हिंदू परिषद का कार्यालय बन रहा है। अयोध्या में […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
#संस्कृत – *संस्कृत में 1700 धातुएं, 70 प्रत्यय और 80 उपसर्ग हैं, इनके योग से जो शब्द बनते हैं, उनकी संख्या 27 लाख 20 हजार होती है। यदि दो शब्दों से बने सामासिक शब्दों को जोड़ते हैं तो उनकी संख्या लगभग 769 करोड़ हो जाती है।* संस्कृत इंडो-यूरोपियन लैंग्वेज की सबसे प्राचीन भाषा है और […]
*अगर स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे अब्दुल राशिद को ~महात्मा~ गांधी अपना भाई कहते हैं, तो स्वामी श्रद्धानंद के समर्थक भी क्यों न गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे को अपना भाई कहने लग जाएं?_* स्वामी श्रद्धानंद जी , लाला लाजपत राय जी और महात्मा हंसराज इन तीनो आर्य नेताओं ने धर्म परिवर्तन करने वाले हिन्दुओं को […]
महर्षि दयानंद के विषय में समाज सुधारकों/चिंतकों के विचार ___________________________________________ १- “स्वराज्य और स्वदेशी का सर्वप्रथम मन्त्र प्रदान करने वाले जाज्वल्यमान नक्षत्र थे दयानंद |” – लोक मान्य तिलक २- आधुनिक भारत के आद्द्निर्मता तो दयानंद ही थे | महर्षि दयानन्द सरस्वती उन महापुरूषो मे से थे जिन्होनेँ स्वराज्य की प्रथम घोषणा करते हुए, आधुनिक […]
प्रिय आत्मन ! प्रातः कालीन पावन बेला में समुचित सादर अभिवादन एवं शुभ आशीर्वाद। ईश्वर सर्वव्यापक है जब हम यह जानते हैं कि वह सर्वत्र व्याप्त है और केवल आत्मा साक्षी है। इसलिए कोई जगह , कोई कोना , कोई कण, कोई वस्तु ऐसी नहीं जिसमें ईश्वर न हो। तथा आत्मा साक्षी ना हो। इसका […]
प्रिय आत्मन । प्रातः कालीन सादर समुचित अभिवादन एवं शुभाशीष। ईश्वर अजन्मा है । ईश्वर का आदि अंत नहीं है। ईश्वर अंतर्यामी है । ईश्वर सभी काल में विद्यमान रहता है । इसलिए कहा जाता है कि हे ईश्वर तू ही तू है । तू ही माता है । तू ही पिता है। तू ही […]
गतांक से आगे… विदेशियों के तृतीय दल का आगमन कहलाडे कौन हैं ? दक्षिण में चितपावन जाति से संबंध रखने वाली एक तीसरी जाती और है ,जिसका नाम ‘कहलाडे ब्राह्मण ‘ है ।यह भी बाहर वाले हैं ।विद्वानों का अनुमान है कि यह चीन देश के रहने वाले हैं ।आगे के वर्णन से स्पष्ट […]
प्रातः काल की बेला सत्संग की गंगा है
प्रिय अत्मन! प्रातः काल की पावन बेला में सुप्रभातम। श्रद्धेय पिताश्री जीवन में ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाया करते थे। प्रातः काल में ईश्वर की उपासना ,भक्ति और प्रार्थना में भजन गाया करते थे। श्रद्धेय पिताश्री बताया करते थे कि जैसे सतयुग, त्रेता ,द्वापर और कलयुग चार युग हैं इसी प्रकार से एक दिन को […]
कल्पना करें कि जब महात्मा गांधी की साजिश का शिकार होकर के 1939 में सुभाष चंद्र बोस को देश छोड़ने के लिए विवश कर दिया गया था। महात्मा गांधी ने तो यहां तक कह दिया था कि जब पट्टाभी सीतारामय्या कांग्रेस के अध्यक्ष पद हार गए ,यह सीतारामय्या की हार नहीं मेरी हार है। जबकि […]
प्रिय आत्मन। सादर समुचित अभिवादन। सन 1874 में महर्षि दयानंद काशी में पधारे थे। उस समय मुरादाबाद निवासी श्री राजा जयकृष्ण दास सी.एस.आई. वहां के डिप्टी कलेक्टर थे ।उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती से निवेदन किया कि आप के उपदेशों से जो लोग वंचित रह जाते हैं उन तक अपने विचार पहुंचाने के लिए आपको […]