आपके व आपके परिवार के प्रति अति शुभ कामनाओं के साथ सुप्रभातम। ईश्वर न्याय कारी है क्योंकि ईश्वर न्याय करता है । वह हमारे प्रत्येक किए गए कर्म का फल कर्म के अनुसार देता है । इसलिए हम पूरे जीवन कर्म फल से बंधे हैं प्रत्येक चीज जो हम अपने जीवन में प्राप्त करते हैं […]
लेखक: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
रहीम दास का कितना सुंदर दोहा है। सब आए इस एक में डाल पात फल फूल। रहिमन पीछे क्या रहा गहि पकड़ी जब मूल।। यदि कोई व्यक्ति किसी वृक्ष के शाखा,डाल , पात, फल और फूल को अलग-अलग पानी देता हो तो उसका ऐसा प्रयास निरर्थक और निष प्रयोज्य है। क्योंकि उसको पेड़ की जड़ […]
शुभकामनाएं एवं सुप्रभातम। परमपिता परमात्मा प्राण को देने वाला है। प्राण आत्मा का सहायक है। प्राण इस शून्य प्रकृति को चलाने वाला है। इंद्र हमारे जीवन का संचालक है, जो अपने जीवन को ऊंचा करना चाहते हैं जो अपने जीवन का कल्याण करना चाहते हैं, वह इंद्र की उपासना करें। अंबर में चंद्र मंडल, सूर्य […]
प्रयागराज। द्वारकाशारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अपनी स्पष्टवादीतार और कड़ी टिप्पणियों के लिए प्रसिद्ध है । फिर चाहे आगे कोई भी क्यों न खड़ा हो। अब उन्होंने सरकार की इस बात को लेकर खिंचाई की है कि अयोध्या में राम मंदिर नहीं बल्कि विश्व हिंदू परिषद का कार्यालय बन रहा है। अयोध्या में […]
#संस्कृत – *संस्कृत में 1700 धातुएं, 70 प्रत्यय और 80 उपसर्ग हैं, इनके योग से जो शब्द बनते हैं, उनकी संख्या 27 लाख 20 हजार होती है। यदि दो शब्दों से बने सामासिक शब्दों को जोड़ते हैं तो उनकी संख्या लगभग 769 करोड़ हो जाती है।* संस्कृत इंडो-यूरोपियन लैंग्वेज की सबसे प्राचीन भाषा है और […]
*अगर स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे अब्दुल राशिद को ~महात्मा~ गांधी अपना भाई कहते हैं, तो स्वामी श्रद्धानंद के समर्थक भी क्यों न गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे को अपना भाई कहने लग जाएं?_* स्वामी श्रद्धानंद जी , लाला लाजपत राय जी और महात्मा हंसराज इन तीनो आर्य नेताओं ने धर्म परिवर्तन करने वाले हिन्दुओं को […]
महर्षि दयानंद के विषय में समाज सुधारकों/चिंतकों के विचार ___________________________________________ १- “स्वराज्य और स्वदेशी का सर्वप्रथम मन्त्र प्रदान करने वाले जाज्वल्यमान नक्षत्र थे दयानंद |” – लोक मान्य तिलक २- आधुनिक भारत के आद्द्निर्मता तो दयानंद ही थे | महर्षि दयानन्द सरस्वती उन महापुरूषो मे से थे जिन्होनेँ स्वराज्य की प्रथम घोषणा करते हुए, आधुनिक […]
प्रिय आत्मन ! प्रातः कालीन पावन बेला में समुचित सादर अभिवादन एवं शुभ आशीर्वाद। ईश्वर सर्वव्यापक है जब हम यह जानते हैं कि वह सर्वत्र व्याप्त है और केवल आत्मा साक्षी है। इसलिए कोई जगह , कोई कोना , कोई कण, कोई वस्तु ऐसी नहीं जिसमें ईश्वर न हो। तथा आत्मा साक्षी ना हो। इसका […]
प्रिय आत्मन । प्रातः कालीन सादर समुचित अभिवादन एवं शुभाशीष। ईश्वर अजन्मा है । ईश्वर का आदि अंत नहीं है। ईश्वर अंतर्यामी है । ईश्वर सभी काल में विद्यमान रहता है । इसलिए कहा जाता है कि हे ईश्वर तू ही तू है । तू ही माता है । तू ही पिता है। तू ही […]
गतांक से आगे… विदेशियों के तृतीय दल का आगमन कहलाडे कौन हैं ? दक्षिण में चितपावन जाति से संबंध रखने वाली एक तीसरी जाती और है ,जिसका नाम ‘कहलाडे ब्राह्मण ‘ है ।यह भी बाहर वाले हैं ।विद्वानों का अनुमान है कि यह चीन देश के रहने वाले हैं ।आगे के वर्णन से स्पष्ट […]