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आओ कुछ जाने

क्या विभीषण ने अपने भाई के साथ गद्दारी की थी ?

कहते हैं, विभीषण अपने अग्रज रावण व देश के स्थान पर राम का साथ दिया | यदि इसमें धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय, सत्य-असत्य की दृष्टि मिला दिया जाये तभी विभीषण की दृष्टि व मानसिकता को समझा जा सकता है | क्या राम से मिलने से पूर्व विभीषण ने अग्रज भाई को समझाने का पुरजोर प्रयास नहीं किया […]

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इतिहास के पन्नों से

राष्ट्रीय अखंडता और महर्षि दयानंद

  लेखक- डॉ. भवानीलाल भारतीय भारतीय नवजागरण के अग्रदूत महर्षि दयानन्द द्वारा प्रतिपादित विचारों की भारत की राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने तथा देश की अखण्डता की रक्षा में क्या उपयोगिता है? यदि हम संसार के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ वेदों का अवलोकन करें, तो हमें विदित होता है कि वैदिक वाङ्‌मय में सर्वप्रथम राष्ट्र की […]

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इतिहास के पन्नों से देश विदेश

ऐसे हुआ था बलूचिस्तान का पाकिस्तान में जबरन विलय

  कुछ संधियों के तहत कुछ रियासतें ऐसी थी जिन पर ब्रिटिश सम्राज्य का सीधा शासन नहीं था। ऐसी रियासतें अपने आंतरिक फैसले लेने के लिए स्वतंत्र थी। इन रियासतों को ये अधिकार था कि वे भारत और पाकिस्तान दोनों में से किसी भी देश के साथ विलय कर सकती है या फिर स्वयं को […]

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महत्वपूर्ण लेख

गांधी जी का चरखा और गांधीवादियों का झूठ

  कांग्रेसी , कांग्रेस के समर्थक और गांधीवादी तो सब यह कहते हैं कि गांधी के चरखा चलाने से हमें आजादी प्राप्त हो गई थी। यदि इस बात पर विचार किया जाए तो संसार के ज्ञात इतिहास का यह सबसे बड़ा झूठ है। भारतवर्ष के संदर्भ में तो इस बात को पूरी तरह समझ लेना […]

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भारतीय संस्कृति

धर्मसंस्थापक योगेश्वर श्रीकृष्ण जी

धर्म संस्थापक योगेश्वर श्री कृष्ण सम्पूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने वाला कोई ना था। कंस, जरासन्ध, शिशुपाल, दुर्योधन आदि जैसे दुराचारी व विलासियों का वर्चस्व बढ़ रहा था। राज्य के दैवीय सिद्धान्त से भीष्म जैसे योद्धा तक बंधे हुए थे। ऐसी घोर अन्धकार युग में श्री कृष्ण का अविर्भाव हुआ। अपने अद्भुत चातुर्य […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक संपत्ति में द्रविड़ और आर्य के बारे में

वैदिक संपत्ति   गतांक से आगे… (1) इस तैत्तिरीय कृष्ण यजुर्वेद के विषय में नए और पुराने सभी विद्वानों ने कहा है कि यह मलिन बुद्धि से रचा गया है,इसलिए यह द्रविड़ो का ही रचा हुआ है।वेदभाष्यकार महीधर कहते हैं कि ‘तानि यजूषि बुद्धिमालिन्यात्कृष्णानि’ अर्थात बुद्धिमालिन्य से कृष्ण यजुर्वेद की उत्पत्ति हुई है।इसी तरह स्वामी […]

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इतिहास के पन्नों से देश विदेश

क्या इराक के 5 लाख यजीदी लोग प्राचीन भारत के यजुर्वेदी लोग हैं?

यह लोग स्वयं को न तो मुसलमान मानते हैं, न पारसी और न ईसाई। यह अपने को ‘यजीदी’ कहते हैं। इस समुदाय के उपासना-स्थल हिन्दू मंदिरों की तरह होते हैं, ये सूर्य की भी पूजा करते हैं और इनमें मोर की बहुत मान्यता है। उल्लेखनीय है कि मोर केवल दक्षिण एशिया में पाया जाता है। […]

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इतिहास के पन्नों से

1926 की अपनी टंकारा यात्रा और टंकारा शताब्दी समारोह विषयक महात्मा नारायण स्वामी जी के रोचक संस्मरण

छह मास के प्रचार अर्थ लंबे भ्रमण काल में कुछ घटनाएं उल्लेखनीय हैं। उनका यहां उल्लेख किया जाता है – टंकारा शताब्दी : मौरवी राज्य में टंकारा एक बड़ा कस्बा है। मौरवी तक रेल है। मौरवी से टंकारा का ट्रांबे [ट्रेम्बे] जाती है। टंकारा ऋषि दयानंद का जन्म स्थान होने से प्रसिद्ध है। काठियावाड़ी भाइयों […]

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भारतीय संस्कृति

मूर्ति पूजा वेद आदि धर्म शास्त्रों के सर्वथा विपरीत है, यह परंपरा अर्वाचीन है प्राचीन नहीं

मूर्तिपूजा अर्वाचीन है, वेदादि शास्त्रों के विरुद्ध और अवैदिक है | फिर हम अपने ईश्वर को कैसे प्राप्त करें? हमारी उपासना-विधि क्या हो ? उपासना का अर्थ है समीपस्थ होना अथवा आत्मा का परमात्मा से मेल होना। महर्षि पतञ्जलि द्वारा वर्णित अष्टाङ्गयोग के आठ अङ्ग निम्न हैं | — यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, […]

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आओ कुछ जाने

जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है

प्रायः यह कहा जाता है कि यदि हिंदुओं को तलवार या धन के कारण मुस्लिम या ईसाई बनया जाता तो आज एक भी हिन्दू नहीं बचता। हिंदुओं कि रक्षा के लिए धर्म सत्ता ( संत कबीर, रविदास, सुंदरदास, समर्थ गुरु रामदास और महर्षि दयानन्द आदि ) और राजसत्ता ( शिवाजी, राणा प्रताप और दुर्गादास आदि) […]

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