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आओ कुछ जाने इतिहास के पन्नों से

आइए ! जानते हैं भारत क्यों बना था भारत – विश्वगुरु

  भारतीय धर्म संस्कृति और इतिहास की पवित्रता में विश्वास रखने वाले हम सब भारतवासियों के लिए यह बहुत गर्व और गौरव का विषय है कि भारत ने विश्वगुरु के रूप में एक समय सारे विश्व को मर्यादा व्यवस्था और शांति का पाठ पढ़ाया था। भारत के विश्व गुरु रहते हुए संपूर्ण संसार व्यवस्थित रहा। […]

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इतिहास के पन्नों से

इतिहास में ऐसे कई अवसर आए हैं जब हिंदू मिटने वाला था और….

इतिहास में तीन बार हिन्दुओ का अस्तित्व समाप्त होने ही वाला था। वो समस्याएं आज के परिदृश्य से ज्यादा भयानक थी क्योकि उस समय हिन्दुओ को जोड़ने के लिये कोई सोशल मीडिया नही था। पहली चुनौती थी बौद्ध धम्म की, बौद्ध धम्म भले ही कोई अलग धर्म नही था मगर उसने भारतवासियो में अहिंसा का […]

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आओ कुछ जाने इतिहास के पन्नों से

अधिकांश राजपूत मुगलों से हारते ही क्यों थे ? जानिए इसका रहस्य

अधिकांशतः राजपूत मुगलों से हारते ही क्यों थे?? भले ही राजपूत महान योधा और तलवार बाज़ी करते थे| असल बात ये है कि हमें वही इतिहास पढ़ाया जाता है, जिनमें हम हारे हैं मेवाड़ के राणा सांगा ने 100 से अधिक युद्ध लड़े, जिनमें मात्र एक युद्ध में पराजित हुए और आज उसी एक युद्ध […]

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स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

धन सिंह कोतवाल गुर्जर के नेतृत्व में जब 10 मई 1857 को क्रांति भूमि मेरठ से धधक उठी थीं क्रांति की ज्वालाएं

10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । जिस वीर नायक ने इस पूरे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी भूमिका निभाई थी वह अमर शहीद धन सिंह कोतवाल चपराना निवासी ग्राम पाचली मेरठ थे। क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा था – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

1857 की क्रांति के महानायक धन सिंह कोतवाल और उनके क्रांतिकारी साथी

10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । जिस वीर नायक ने इस पूरे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी भूमिका निभाई थी वह अमर शहीद धन सिंह कोतवाल चपराना निवासी ग्राम पाचली मेरठ थे। क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी की […]

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आज का चिंतन

चेतना और परम चेतना के रहस्य को समझकर हम पा सकते हैं कोरोना पर विजय

  कुछ विद्वान साथी ऐसा भी सुझाव दे रहे हैं कि कोरोना की वर्तमान वैश्विक महामारी (जो हमारे देश भारतवर्ष में भी फैली हुई है ) की भयावहता की जानकारी सोशल मीडिया पर अधिक न दी जाए, जिससे कि भय का वातावरण कम से कम निर्मित हो पाए और समाज में सकारात्मकता का वातावरण उत्पन्न […]

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आओ कुछ जाने आतंकवाद

आखिर पश्चिम बंगाल में इतना महा भयंकर उत्पात क्यों मचा है?

  असम में घुसपैठ के खिलाफ चले आंदोलन के कारण 1981 के बाद घुसपैठिये असम की बजाय प.बंगाल और उत्तर प्रदेश में जाकर बसने लगे। 1981 से 1991 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम जनसंख्या वृद्धिदर 32.90 प्रतिशत थी पर प. बंगाल के जलपाईगुड़ी जिला में यह 45.12 प्रतिशत, दार्जिलिंग जिला में 58.55 प्रतिशत, कोलकाता […]

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आज का चिंतन

आलोचना समीक्षा और निंदा के शाब्दिक अर्थ

  आलोचना ,समीक्षा और निंदा यह तीनों शब्द समानार्थक से प्रतीत होते हैं यद्यपि तीनों शब्दों में मौलिक अंतर है। तीनों शब्दों का एक विस्तृत आयाम है। एक शब्द होता है लोचन, उसी से जब ‘आ’ प्रत्यय हुआ तो वह आलोचन हो गया। लोचन का अर्थ है देखना। इसी से आलोचना शब्द की उत्पत्ति होती […]

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इतिहास के पन्नों से

अपने जीवन के अंतिम दिनों में बाबू जगजीवन राम एक बार फिर लौटना चाहते थे कांग्रेस में

  चंद्रशेखर, पूर्व प्रधानमंत्री 1980 में लोकसभा का चुनाव हुआ। बाबू जगजीवन राम पार्टी के नेता थे। जनता पार्टी के टूटने से लोगों का उससे मोहभंग हुआ और इंदिरा गांधी की वापसी निश्चित थी। बाबू जगजीवन राम को नेता बनाने के मोरारजी भाई खिलाफ थे। मैं भी उनके नाम से सहमत नहीं था। चुनाव के […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक संपत्ति : गतांक से आगे

गतांक से आगे… कृष्ण यजुर्वेद के तैत्तिरीय ब्राह्यण में लिखा है कि ‘वाचे पुरुषमालभते’ इस पर सायणाचार्य भाष्य करते हुए लिखते हैं कि, ‘वाग्देवतायै पुरुषं पूरकं स्थूलशरीरमित्यर्थ: अर्थात् वाणी के देवता के लिए पुरुष का वध करें। उसी में फिर लिखा है कि ‘ ब्राह्मणे ब्राह्मणमालभते’ इस पर सायणाचार्य कहते हैं कि ‘ब्राह्मणजात्याभिमानी देवसत्यस्मै कञ्चित् […]

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