ईद के अवसर पर दी जाने वाली बलि के संदर्भ में विशेष आज मेरा हृदय बहुत ही व्यथित है, क्योंकि आज बहुत सारे निरीह, निरपराध,मूक प्राणियों यथा ऊंट, बकरा, मेंढें, गाय आदि का वध ‘अल्लाह’ के नाम पर किया जाएगा। सचमुच कैसी विडंबना है अल्लाह के नाम पर मूक प्राणियों का वध ? जो […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
बख्तियार खिलज़ी तू ज्ञान के मंदिर नालंदा को जलाकर कामरूप (असम) की धरती पर आया है…अगर तू और तेरा एक भी सिपाही ब्रह्मपुत्र को पार कर सका तो मां चंडी (कामातेश्वरी) की सौगंध मैं जीते-जी अग्नि समाधि ले लूंगा…* *राजा_पृथु” 27 मार्च 1206 को असम की धरती पर एक ऐसी लड़ाई लड़ी गई जो मानव […]
भारत एक आध्यात्मिक देश है। यहां अनेकों ऋषियों ने अनेकों वैज्ञानिक आविष्कार करके पुरा काल से ही संसार को चमत्कृत करने का सराहनीय कार्य किया है। जिस पर प्रत्येक भारतवासी को गर्व और गौरव की अनुभूति होनी चाहिए । दुर्भाग्यवश हमारे ऋषियों के उन महान आविष्कारों और बौद्धिक संपदा से संपन्न ग्रंथों या उनकी […]
“संसार में बुराई का बोलबाला अधिक है, इसलिए लोग, बुरे लोगों की नकल अधिक करते हैं। अच्छाई को प्रोत्साहन कम मिलता है, इसलिए लोग अच्छा बनने में संकोच करते हैं।” इस संसार में अच्छाई भी चलती है, बुराई भी चलती है। दोनों अनादि काल से चल रही हैं, और आगे भी अनंत काल तक चलती […]
बहराइच में तुर्की हमलावर गाजी सालार मसूद की दरगाह पर चादर चढ़ाने के बाद एक बार फिर महाराज सुहेलदेव का नाम सुर्खियों में आ गया है। वो इसलिए क्योंकि महाराजा सुहेदलेव ही थे जिन्होंने 17 बार सोमनाथ मंदिर का विध्वंस करने वाले महमूद गजनवी और उसके भांजे गाजी सालार मसूद से ऐतिहासिक बदला लिया था। […]
“अपने बच्चों को आत्मनिर्भर तथा पुरुषार्थी बनाएं। पराधीन और आलसी नहीं।” हो सकता है, आप धनवान व्यक्ति हों। आपके घर में बहुत संपत्ति हो। कुछ नौकर चाकर भी हों। और वे आपका सब काम कर सकते हों, करते भी होंगे। “परंतु जैसे आप पुरुषार्थी हैं, अपना बहुत सा कार्य स्वयं करते हैं। अपने काम की […]
गीता और उपनिषदों में मिश्रण
गतांक से आगे… मुण्डक उपनिषद् का तृतीय मुण्डक पूर्व वैदिक है। इसमें नवम खण्ड का एक श्लोक ऋचा के नाम से लिखा गया है।सभी जानते हैं कि वेद मंत्र ही ऋचा कहलाते हैं । पर जो इस श्लोक ऋचा के नाम से लिखा गया है,उसका चारों वेदों में कहीं पता नहीं है।इससे स्पष्ट ज्ञात होता […]
वर्षा ऋतुचर्या
वर्षा ऋतुचर्या वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है। वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से अजीर्ण, बुखार, वायुदोष का प्रकोप, सर्दी, खाँसी, पेट के रोग, कब्जियत, अतिसार, प्रवाहिका, आमवात, संधिवात आदि रोग होने की […]
हमने बचपन में अकबर-बीरबल की कई कहानियाँ सूनी-पढी हैं, इन कहानियों में बताया जाता था कि किस प्रकार बीरबल नामक चतुर मंत्री अपने बादशाह अकबर को अपनी चतुराई और बातों से खुश कर देता था. परन्तु यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि वास्तव में बीरबल जैसा कोई चतुर पात्र इतिहास में था […]
“गुणवान लोग अपने गुणों की रक्षा करने में पुरुषार्थ करते हैं। मूर्ख एवं दुष्ट लोग आलसी प्रमादी बनकर, स्वयं में विद्यमान गुणों को भी धीरे-धीरे खो देते हैं।” गुण और दोष सभी मनुष्यों में होते हैं, किसी में कम, तथा किसी में अधिक। “जिस मनुष्य में गुण अधिक होते हैं, उसे हीरा रत्न भूषण पद्मविभूषण […]