(श्रावण मास में हमें कैसी वेद कथाओं का आयोजन करना चाहिए ? इस विषय पर हमने पिछले दिनों अपनी ओर से कुछ प्रकाश डाला था। अब इसी विषय पर ‘उगता भारत’ समाचार पत्र के चेयरमैन श्री देवेंद्र सिंह आर्य जी का यह लेख ग्रंथियों और भ्रांतियों का समाधान करने में बहुत अधिक सक्षम है। […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
“यदि आप लोग स्वयं सुखी होना और अपने गृहस्थ जीवन को सफल बनाना चाहते हैं, तो इन कार्यों को करते हुए अपनी संतान को भी संस्कारी बनाएं।” “अच्छे काम करने से व्यक्ति सुखी होता है, और बुरे काम करने से वह दुखी होता है।” मोटे तौर पर इस बात को सभी लोग जानते हैं। फिर […]
नई दिल्ली, एएनआइ। (यद्यपि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष संसद की कार्यवाही को ठप्प करने पर अड़ा हुआ है। वह नहीं चाहता कि सरकार किसी भी प्रकार से देश को आगे लेकर चलने की अपनी नीतियों पर कुछ काम कर सके, परंतु इसके उपरांत भी सरकार कुछ रचनात्मक कार्य करने का प्रयास कर रही है। […]
“भूतकाल की दुखदायक घटनाओं को बार-बार याद न करें। दूसरों से आशाएं कम रखें। इससे आप सुखी रहेंगे।” कुछ काम सुख बढ़ाने वाले होते हैं, और कुछ काम दुख बढ़ाने वाले होते हैं। इसलिए हमें ऐसे काम करने होंगे, जिससे हमारा सुख बढ़े, और दुख कम हो। सुख दुख की घटनाएं सबके जीवन में होती […]
मनुष्य ब्रह्म और काया को देख अथवा समझ नहीं पाता । प्रश्न क्यों नहीं विमोचन या देख पाता? उत्तर क्योंकि शरीर में छिपा हुआ चेतन एवं विभू दिखाई नहीं देते। लेकिन चेतन चेतना करता रहता है अर्थात् चेतावनी देता रहता है ,परंतु विषय भोगों में फंसकर मनुष्य चेतावनी को अर्थात चेतन की चेतना को […]
गुरुओं का भी गुरु परमपिता परमेश्वर है
सृष्टि के प्रारंभ में ईश्वर ने ब्रह्मा (ईश्वर की सृष्टि संरचना के ज्ञान होने के कारण उसे ब्रह्मा कहते हैं)के माध्यम से अग्नि, वायु, आदित्य , अंगिरा नामक चारों ऋषियों को ज्ञान दिया ।वेदों में ज्ञान, कर्म और उपासना (त्रिविद्या) का विस्तृत विवरण उपलब्ध है। जो मनुष्य के संसार रूपी सागर को पार करने के […]
आज(23 जुलाई) लोकमान्य बालगंगाधर तिलक जी का जन्म दिन है. मुझे यह जानकार दुःख हुआ कि अम्बेडकरवादी लगातार अपने लेखों में तिलक जी के लिए अत्यन्त अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं कि माँ भारती के इस सपूत ने कितना बड़ा कार्य किया था. आज अपनी ओर […]
“जीव कर्म करने में स्वतंत्र है। लोग इस सिद्धांत का दुरुपयोग अधिक करते हैं, और इससे लाभ कम उठाते हैं।” वेदों के अनुसार यह सिद्धांत ठीक है कि “आत्मा कर्म करने में स्वतंत्र है।” स्वतंत्र का अर्थ होता है — “कानून या संविधान की सीमा में रहते हुए जितने काम करने की छूट दी गई […]
क्या जीव जग में कुछ भी लेकर नहीं आता ? तथा क्या जग से कुछ भी लेकर नहीं जाता ? क्या जीव बहुत कुछ साथ लाता है जग में , एवम बहुत कुछ ले जाता है जग से ? उक्त शंका, भ्रांति अथवा प्रश्नों को समझने के लिए सर्वप्रथम ईश्वर , जीव और प्रकृति को […]
ईद के अवसर पर दी जाने वाली बलि के संदर्भ में विशेष आज मेरा हृदय बहुत ही व्यथित है, क्योंकि आज बहुत सारे निरीह, निरपराध,मूक प्राणियों यथा ऊंट, बकरा, मेंढें, गाय आदि का वध ‘अल्लाह’ के नाम पर किया जाएगा। सचमुच कैसी विडंबना है अल्लाह के नाम पर मूक प्राणियों का वध ? जो […]