देवेंद्र सिंह आर्य( चेयरमैन ‘उगता भारत’) नवरात्रों का दुर्गापूजा आदि से कोई सम्बन्ध नहीं। आयुर्वेद के ऋषियों ने इन दिनों में नौ तरह की औषधियों के सेवन का वर्णन किया है जिससे हम दीर्घायु, ऊर्जावान व बलवान बन सकते हैं। ये दिव्यगुणयुक्त औषधियां रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी बहुत सहायक हैं। नौ तरह […]
लेखक: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य ‘जलमेव जीवनम्’ जल ही जीवन है। जल है तो कल है। प्रकृति प्रदत्त संसाधनों में जल का महत्व सर्वाधिक है। मानव शरीर की संरचना में प्रकृति के पांच तत्वों का समायोजन है। भूमि, जल, आकाश वायु और तेज (अग्नि)। प्रकृति के सभी तत्वों का सन्तुलन प्राणिमात्र की रक्षा के लिए […]
हरि सिंह नलवा…. जिनके डर से पठान आज भी स्त्रियों के वस्त्र , जिसे आज पठानी सूट कहा जाता है वो दरअसल स्त्रियों द्वारा पहने जाने वाला सलवार कमीज है ! (ये लेख उन सभी के लिए उपयोगी है जो इतिहास और फैशन डिजाइनिंग में रुचि रखते हैं ) एक बार की बात है दिल्ली […]
आसुर उपनिषद की उत्पत्ति गतांक से आगे… छान्दोग्य उपनिषद में विस्तारपूर्वक लिखा है कि इन्द्र (आर्य) और विरोचन (अनार्य) दोनों मिलकर किसी के पास ज्ञान सीखने गये। गुरु ने उनकी पात्रता और कुपात्रता की परीक्षा की। इन्द्र संस्कृत आत्मा और विरोचन मलिनआत्मा निकला और ज्ञान के ग्रहण करने में असमर्थ सिद्व हुआ। गुरु ने परीक्षार्थ […]
वैदिक संपत्ति गतांक से आगे… जिस तरह उपनिषदों में मिलावट है, उसी तरह गीता में भी मिलावट है।इस जमाने में लोकमान्य तिलक जैसा गीता का विद्यार्थी और दूसरा नहीं हुआ। गीता की मिलावट के विषय में गीतारहस्य भाग 3,पृ. संख्या 536 में आप कहते हैं कि, ‘जिस गीता के आधार पर वर्तमान गीता बनी है, […]
कल हमने राजपूतों का उदय, अधिवाशन एवं उत्पत्ति के विषय में विद्वान, इतिहासकार ,इतिहासज्ञ के विचार पढ़े। आज हम गुर्जर प्रतिहार की उत्पत्ति छठी से 12वीं सदी तक का पढ़ते हैं। जिस पुस्तक से हम पढ़ रहे हैं और प्रस्तुत कर रहे हैं वह राजस्थान की कला ,संस्कृति और इतिहास लेखक डॉ महावीर जैन व […]
“दस रवि से दस चन्द्र से बारह ऋषिज प्रमाण, चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण, भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान, चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण.”क्षत्रिय- राजपूत के गोत्र और उनकी वंशावलीअर्थ: – दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय, बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तीस क्षत्रिय वंशों […]
आजकल राजपूत और गुर्जरों में एक अनावश्यक विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है कि कौन राजा किस जाति का है? अमुक राजा गुर्जर जाति का है अथवा राजपूत जाति का है? जैसे पृथ्वीराज चौहान, अनंग पाल तँवर, सम्राट मिहिर भोज आदि राजाओं को लेकर यह विवाद अधिक गहराता जा रहा है। इसको लेकर दोनों […]
हिंदी दिवस पर विशेष आलेख। जितनी विद्या भूगोल में फैली हैं ,वह सब आर्यवर्त देश से मिश्र वालों यूनानी उनसे रोम और उनसे यूरोप देश में तथा उनसे आगे अमेरिका आदि देशों में फैली है (महर्षि दयानंद सत्यार्थप्रकाश एकादश समुल्लास) अब इसमें विवाद नहीं है की विद्या का मूल स्थान भारतवर्ष में पाया जाता है […]
गीता और उपनिषदों में मिश्रण गतांक से आगे… इसी तरह की बात छान्दोग्य 8/ 13/1 में लिखी है कि ‘चन्द्र इव राहोर्मुखात् प्रमुच्य’अर्थात् जैसे चन्द्रमा राहु के मुख से छूट जाता है।यह दृष्टांत भी उन्हीं गैवारू बातों की चरितार्थ करता है,जो चन्द्रग्रहण के विषय में प्रचलित है। अर्थात् चन्द्रमा को राहु खा जाता है और […]